डा शिवा नन्द नौटियाल
जब मैना सौण को आलो
बरखा होली गदिरा भरेला , स्वीँसाट होलो गाड को।
काळा काळा बादळ आला , रंग मल्हार गाला
अंधेरो होलो चाल चलकेली उज्याळो होलो धार को।
थम थम मोर नाचला , मिंडखा टर्र टर्र बोलाला
पैरा पोड़ला रस्ता टुटला चोट होली रात को।
छाम छम के कोदो गोडेलो , कुयोड़ो होलो रात सि लगली
जबतक कुटी दाथी हाथ मा , नाम नि होलो बाटा को।
No comments:
Post a Comment
आपका बहुत बहुत धन्यवाद
Thanks for your comments