सन 1892 ई के करीब की गढ़वाली कविता
राजनीतिरचना -हर्षपुरी गुसाईं ( 1820 -1905 )
राजाऊ कु राज काज , जनु बागवानी साज
फूलुं बगीचा मांज , बाड़ बांधी चाहेंद।
नानाउ की गौर कद , ठुलाऊँ मौळाइ देन्द
छांटि छांटि चुंगी लेंद , घणोप उपाड़ेन्द।
तांकी कद गेड़ गाँठ , खाणो लाणो राज फांट
जडान उपाड़िक क्या ?येकि बेरि खायेंद।
परजा कु पीड़ा देकि , बेकसूरो डाँड लोक
चाहे कैकि मौ बीक , अपजस पायेंद
इंटरनेट प्रस्तुति -भीष्म कुकरेती १३/७/२०१५
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