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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Sunday, July 26, 2015

मयूर नृत्य गीत : एक गढ़वाली लोक नृत्य गीत की छटा

इन्टरनेट प्रस्तुति : भीष्म कुकरेती 
मूल स्रोत्र : केशव अनुरागी 
डा शिवा नन्द नौटियाल : गढ़वाल के लोक नृत्य-गीत


ह्युंचळी डांड्यु  की चली हिंवाळी कन्कोर 
रंगमतु ह्व़े , नचण लगे मेरा मन का मोर 
धौळी गंगा का छाल़ू पाणी 
भगीरथी कजोळ 
देवप्रयाग रघुनाथ मन्दिर 
नथुली सि पंवोर 
ह्युंचळी डांड्यु  की चली हिंवाळी कन्कोर 
रंगमतु ह्व़े , नचण लगे मेरा मन का मोर 
आरू, घिंघारू , बांज , बुरांस 
सकिनी झका झोर 
लखिपाखे बण मांग बिरड़ी 
चकोरी की चकोर 
ह्युंचळी डांड्यु  की चली हिंवाळी कन्कोर 
रंगमतु ह्व़े , नचण लगे मेरा मन का मोर 
डांड  का रसूली कूळईं 
झुप झुपा चंवोर 
ऊंची डांडी चौडंडी बथों 
गैरी गंगा भंवोर 
ह्युंचळी डांड्यु  की चली हिंवाळी कन्कोर 
रंगमतु ह्व़े , नचण लगे मेरा मन का मोर 
बसुधारा को ठंडो  पाणी 
केदार को ठौर 
त्रिजुगी नारेण तख 
बद्री सिर मौर 
ह्युंचळी डांड्यु  की चली हिंवाळी कन्कोर 
रंगमतु ह्व़े , नचण लगे मेरा मन का मोर 

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