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गढ़वळि बुड़यों की 5 मुख्य समस्यायें
चबोड़ , चखन्यौ , चचराट ::: भीष्म कुकरेती
बकौल शंकर पुणतांबेकर बुढ़ापा 'अवकाश प्राप्त श्रृंगार ' च। अब इन अवकाश प्राप्त श्रृंगार का हूंदा कुछ समया तो पैदा ह्वेलि कि ना ?
बूड्यों की 5 वीं ना पैलि समस्या या च कि जु आजौ बुड्या युगों पैल जौं जनान्युं तै ऑफ़लाइन छेड़ा करदा छया अब वी जनानी करीना कपूर , सोनम कपूर , कटरीना की फोटो लगैक फेसबुक मा 'हाई अंकी" (अंकल ) , 'हाई ओल' (ओल्ड मैन ) करिक सम्बोधित करदन। द्वापर युग की एक मेरी ऑफ़लाइनै गोपी न तो खुले आम सलाह दे दे कि -अंकी आप बाळु पर कुछ डाइ स्याइ कारो। फिर मे सरीखा टायर (Tier ) याने थक्यूँ बि नि रौंद किन्तु लोग रिटायर (दुबर थक्यूँ ) करिक भट्यान्दन।
अब हमर ज़माना मा रिवाज छौ कि पत्नी उमर मा छुटि हूण चयेंद तो मे जन कथगा इ पुरानी इमारतुं की पत्नी अबि बि इन लगदन कि जन अबि अबि भितर पैंचि ( गृह प्रवेश ) ह्वे हो। दुकानदार म्यार दगड़ बाति नि करदन पर मेरी वाइफ का साथ ही बचळयाणा रौदन तो मि उपेक्षा , फ़ालतू , इग्नोर फील करण मिसे जांदु अर आप सब तै पता च आदिम भूक , तीस , झिड़की सब कुछ बर्दास्त कर सकद पर उपेक्षा , फालतू , इग्नोर बर्दास्त नि कौर सकुद। मि अर मेरी वाइफ हाथ पर हाथ मिलैक चलणा रौला तो रस्ता चलदा पैथर बिटेन छोरा -छोरी कमेंट्स करदन - दुसर शादी वळाक समस्या ये इ हूंद कि वु अपण जवान कज्याण से चिपक्युं रौंद। भौत सा तो एक्स्ट्रा कमेंट्री करिक बुल्दन - दुसरै बीबी घुमाणो मजा इ कुछ हौर हूंद।
जब से बेटों तै पता चल कि मि बुड्या ह्वेइ ग्यों तो तब बिटेन क्वी शादी , बर्थ डे पार्टी , इंगेजमेंट पार्टी हो तो अफिक जांदन अर मि तै नि भिजदन किन्तु क्वी मोरि गे तो फ्यनेरल मा या चौथा (गुजराती मा बसेणा ) मा मि तै भिजदन। अब शादी ब्यौ ना शमशान घाट इ अपण जाण पछ्याणक वळु तै मिलणो माध्यम ह्वे गे।
पैलाक मैना गौं ग्यों तो मीन तूंगी काका तै हाल चाल पूछें तो ऊंन बताइ -ब्यटा क्या बोलु , क्या खैरि लगौं , क्या सुणौ ?
घुंड हिल्दा नि छन अर मुंड हिलण बंद नि हूंद किन्तु यूँ गूणी,बांदर अर सुंगरुँ जग्वाळ करणी पड़द। अर यि निर्भागी गूणी बांदर बि समजी गेन कि म्यार घुंड अर मुंड वरिष्ठ नागरिकौ पेंसन खाणा छन तो म्यार हकाण से बि नि डरदन।
ब्यटा ! गाँव वळु हाल नि पूछ तो ठीकि राल। जब जवान छौ तो कछबोळी नाम सूणिक आंत बुळबुळान्द छा , दांत किटकिटांद छ , जीब लप लप करदि छे तो बुगठ्या मरण पर क्वी बि एक लुतकी नि दींद छौ। अब जब कि मुख मा दांत नीन , पेट मा आंत नीनतो अपण गाँव इ ना न्याड़ -ध्वारक गाँव वळ बि कछबोळी बुजिन भेजी दींदन कि पता नि बुड्या कब टुरक जांद धौं तो बुड्या आशीर्वाद इनि मा सै !
1st समस्या - प्रवासी बुड्यो की दिल की इच्छा पूरी नि हूण
प्रथम बार प्रवासी जनरेसन की सबसे प्रमुख समस्या या च कि उ गाँव नि बिसर सकुद अर शहर मा जिंदगी भर सुपिन दिखद कि वैन रिटायर हूणो बाद गाँव मा बसण किन्तु वैकि स्याणी वैमा इ रै जांदन। कथगा इ व्यवहारिक कारणु से वु प्रवासी रिटायर हूणों बाद गांव तो बसण दूर की बात च खाली ह्वेका बि प्रवासी बुड्या साल भर मा एक दिनों बान गांव नि जै पांदो अर बेबस ह्वेका गांवका कूड़ , पेड़ , पाणी तै याद करिक बुढ़ापा कटणो मजबूर रौंद। बेबसी, प्रवासी, गढ़वळि बुड्या बिचारो !
14/7 /15 ,Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India
*लेख की घटनाएँ , स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में कथाएँ , चरित्र , स्थान केवल व्यंग्य रचने हेतु उपयोग किये गए हैं।
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