उत्तराखंडी ई-पत्रिका की गतिविधियाँ ई-मेल पर

Enter your email address:

Delivered by FeedBurner

उत्तराखंडी ई-पत्रिका

उत्तराखंडी ई-पत्रिका

Monday, February 13, 2017

शूद्रक का विदूषक याने हिंदी फिल्मों का महमूद , ओम प्रकाश शर्मा का कैप्टन हमीद

Satire and its Characteristics, Sanskrit Drama by  Shudraka's Vidushak &  Satire,  व्यंग्य परिभाषा, व्यंग्य  गुण /चरित्र
-
  शूद्रक का विदूषक याने हिंदी फिल्मों  का महमूद , ओम प्रकाश शर्मा का  कैप्टन हमीद 
                      (संस्कृत नाटकुं मा हास्य व्यंग्य )  
-

    (व्यंग्य - कला , विज्ञानौ , दर्शन का  मिऴवाक  : (   भाग - 24   ) 

                         भीष्म कुकरेती 
-

 शूद्रक नामी गिरामी प्राचीन भारतीय नाटकोंकारों  मादे एक प्रमुख  नाटककार माने जान्दन। शूद्रक एक राजा व नाट्यलेखक छ्या (सुकुमार भट्टाचार्यजी  , विश्वनाथ बनर्जी ) । यद्यपि शुकध्रक की जीवनी बाराम भ्रान्ति ही च।  
शूद्रक का रच्यां मृच्छकटिकम , वासवदत्ता  अदि तीन नाटक माने जान्दन। 
 शूद्रकन बि अपण नाटकुं  मा कालिदासौ तरां हास्य अर व्यंग्य उत्पति करणो बान विदूषक को सहारा ले।  कालिदास का या अन्य प्राचीन संस्कृत  नाटकुं विदूषक जख मन्द बुद्धि , लालची , खाउ हून्दन तो शूद्रक का मृच्छिकटिकम का विदूषक राजा का सहचर , अनुशासनयुक्त , अफु पर काबु  करण वळ अर चतुर च।  हाँ वाक्पटुता अर अलंकार प्रयोग दुइ प्रकार का विदुषकुं चारित्रिक गुण छन।  शूद्रक की या विदूषक चरित्र की परिपाटी  हिंदी फिल्मुं  मा सन 1970 तक राइ तो  ओम  प्रकाश शर्मा  सरीखा हिंदी जासूसी उपन्यासकारों न बि अपणै। 
   
 मृच्छकटिकम कु पंचों  अंक मा वसन्तसेना द्वारा ब्राह्मण  चारुदत्त तै भोजन दीणम उदासीनता का प्रति मैत्रेय नामौ विदूषक कसैली , कांटेदार , कड़क टिप्पणी  उपमा अलंकार या कहावतों से करद -
--------------"बगैर जलड़ो कमल , ठगी  नि करण वळु बणिया , सुनार जु चोरी नि कारो ,  बगैर  घ्याळ -घपरोळ  की ग्रामसभा की बैठक  , अर लोभहीन गणिका मुश्किल से ही ईं मिल्दन। " -----
पंचों अंक मा विदूषक चारुदत्त तै हास्य व्यंग्य रूप मा सलाह दीन्दो -
--------"गणिका जुत्त पुटुक अटक्यूं गारो च जैतै भैर निकाळण  बि मुश्किल ही हूंद "  -----
मृच्छकटिकम नाटक का खलनायक च शकारा अर वैक  दोस्त च विट जैक नौकर च चेत। यी चरित्र अलग अलग बोली -भाषा वळ छन अर  प्राकृत याने स्थानीय भाषा प्रयोग करदन ।  (तिलकऋषि ) 
शूद्रकन प्राकृत अर संस्कृत का प्रयोग हास्य -व्यंग्य उत्तपन करणो बड़ो बढ़िया प्रयोग कौर।  मृच्छकटिकम मा कल्पना, उपमा  अर मुहावरों मिळवाक्  से तीखा व्यंग्य करे गे। 

शूद्रक की शैली अनुसार ही हिंदी मा महमूद , जॉनी वाकर जन हास्य कलाकारुं से काम लिए गे तो जासूसी उपन्यासकार ओम प्रकाश शर्मा का कैप्टन हामिद बरबस शूद्रक रचित मृच्छकटिकम  का मैत्रेय चरित्र की याद  दिलांद। 



-
8 / 2/2017 Copyright @ Bhishma Kukreti 

Discussion on Satire; definition of Satire; Sanskrit Drama by  Shudraka's Vidushak &  Satire,Verbal Aggression Satire; Sanskrit Drama by  Shudraka's Vidushak &  Satire, Words, forms Irony, Sanskrit Drama by  Shudraka's Vidushak &  Satire,Types Satire;  Games of Satire; Sanskrit Drama by  Shudraka's Vidushak &  Satire,Theories of Satire; Sanskrit Drama by  Shudraka's Vidushak &  Satire,Classical Satire; Censoring Satire; Sanskrit Drama by  Shudraka's Vidushak &  Satire,Aim of Satire; Satire and Culture , Rituals
 व्यंग्य परिभाषा , व्यंग्य के गुण /चरित्र ; (संस्कृत नाटकों में  हास्य व्यंग्य )  व्यंग्य क्यों।; (संस्कृत नाटकों में  हास्य व्यंग्य )व्यंग्य  प्रकार ; (संस्कृत नाटकों में  हास्य व्यंग्य ) व्यंग्य में बिडंबना , व्यंग्य में क्रोध , व्यंग्य  में ऊर्जा ,  व्यंग्य के सिद्धांत , व्यंग्य  हास्य, व्यंग्य कला ; व्यंग्य विचार , (संस्कृत नाटकों में  हास्य व्यंग्य )व्यंग्य विधा या शैली ,(संस्कृत नाटकों में  हास्य व्यंग्य ) व्यंग्य क्या कला है ? (संस्कृत नाटकों में  हास्य व्यंग्य )   

कालिदास साहित्य मा हास्य -व्यंग्य

Satire and its Characteristics, Satire and Humor in Kalidas Literature ,  कालिदास साहित्य में हास्य -व्यंग्य,  व्यंग्य परिभाषा, व्यंग्य  गुण /चरित्र 
-
                कालिदास साहित्य मा हास्य -व्यंग्य 
-

    (व्यंग्य - कला , विज्ञानौ , दर्शन का  मिऴवाक  : (   भाग - 23    ) 

                         भीष्म कुकरेती 
-
महाकवि कालिदास संस्कृत का नाटक शिरमौर छन। ऊंको महाकव्य , गीतों में प्रतीकों से सटीक बिम्ब बणदन, कालिदासन शास्त्रीय शैली अपणाइ।  कालिदास का नाटकुं माँ चरित्र अपण पद अर जाती का हिसाबन व्यवहार करदन तो  कालिदास का नाटकुं माँ     
हास्य -व्यंग्य करणो काम विदूषक  /भांड करदन।  किन्तु विदूषक  का हास्य बि परिष्कृत हास्य व्यंग्य च। बलदेव प्रसाद उपाध्याय (संस्कृत साहित्य का इतिहास , 1965 , शारदा मन्दिर प्रकाशन ) लिखदन बल  कालिदास का कवितौं माँ हास्य व्यंग्य पर्याप्त मात्रा माँ च और उंका नाटकुं मा वीम का सिर बि दर्शकों तैं हंसाण मं कामयाब च , हास्य च तो व्यंग्य बि ऐई जांद।   गोविंदराम शर्मा (संस्कृत साहित्य की प्रमुख प्रवर्तियाँ, 1969  ) लिखदन की कालिदास का हास्य प्रयोजन बि श्रृंगार कारस का अनुकूल च।. 
                      जे  . तिलकऋषिन अपण एक लेख ' THE IMAGES OF WIT AND HUOUR IN KALIDAS'S AND SUDRKA'S DRAMAS ' मा  कालिदास अर शूद्रक का नाटकों माँ व्यंग्य की पूरी छानबीन अर व्याख्या कार। कालिदास कृत अभिज्ञान शाकुंतलम का रूपान्तरकार विराजन बि कालिदास कृत ये नाटकम हास्य व्यंग्य का कथगा इ उदाहरण देन। 
अनन्तराम मिश्र 'अनन्त ' अपण ग्रन्थ 'कालिदास  साहित्य और रीति काव्य परम्परा (लोकवाणी संस्थान , 2007 , पृष्ठ 297 ) मा लिखदन बल 'हास्य -व्यंग्य क्षेत्र में रीतिकवि कालिदास से अधिक सफल हैं। यद्यपि कालिदास ने नाटकों में विदूषक के माध्यम से हास्य रस उद्भावना के  विभिन्न प्रयास किये हैं तथापि उनमे हास् भाव रीतिकाव्य के जैसे स्फुट और विशद नही हैं ' ।
सुषमा कुलश्रेष्ठ (कालिदास साहित्य एवं संगीत कला, 1988  ) मा बथान्दन बल कालिदास साहित्य मा हास्य भरपूर च (भरत कु नाट्य शास्त्र माँ    हास्य माँ ही व्यंग्य समाहित च ) .  
कालिदास का विदूषक अंक  मा हास्य व्यंग्य पैदा करणो बाण कालिदासन अलंकार , उपमाओं को बढ़िया प्रयोग कर्यूं च। विदूषक की भाषा में अपभ्रंश व प्राकृत शब्दावली प्रयोग हुयुं च। 

विक्रमोर्वशीय का तिसरो अंक मा विदूषक का भोजन की कल्पना व्यंग्य को बहुत सुंदर उदाहरण च जब भोजन व चिन्नी  -मीठा प्रेमी प्रिय  विदूषक ' चिन्नी ' की याद  माँ चन्द्रमा की  तुलना  चिन्नी -पिंड से करद (ही ही भो खांडमोदासस्सिरियो उदीदो रा। ... )   । 
'मालविकागणिमित्र' मा बि विदूषक का हाव भाव व वार्तालाप हास्य -व्यंग्य पैदा करद ( तिलकऋषि) 
शकुंतलम (दुसर अंक ) मा बि विदूषक का भाव भंगिमा , वार्ता से हास्य व्यंग्य पैदा हूंद। विदूषक का वार्तालाप शब्द अर मच्छीमार का शब्द सामयिक प्रशासन अर समाज पर व्यंग्य  पैदा करदन।  
कालिदास का सभी नाटकों में हास्य व्यंग्य उतपति का वास्ता विदूषक ही मुख्य चरित्र च। कालिदास का नाटकुं मा मुख्यतया   उपमा अलंकार का प्रयोग हास्य -व्यंग्य उत्पन करद।   


-

7 / 2/2017 Copyright @ Bhishma Kukreti 

Discussion on Satire; definition of Satire; Satire and Humor in Kalidas Literature, Verbal Aggression Satire; Satire and Humor in Kalidas Literature,  Words, forms Irony, Satire and Humor in Kalidas Literature, Types Satire; Satire and Humor in Kalidas Literature,  Games of Satire; Satire and Humor in Kalidas Literature, Theories of Satire;Satire and Humor in Kalidas Literature,  Classical Satire; Censoring Satire; Satire and Humor in Kalidas Literature, Aim of Satire; Satire and Culture , Rituals, Satire and Humor in Kalidas Literature, 

 व्यंग्य परिभाषा , व्यंग्य के गुण /चरित्र ; व्यंग्य क्यों।; व्यंग्य  प्रकार ;  व्यंग्य में बिडंबना , व्यंग्य में क्रोध , व्यंग्य  में ऊर्जा ,  व्यंग्य के सिद्धांत , व्यंग्य  हास्य, व्यंग्य कला ; व्यंग्य विचार , व्यंग्य विधा या शैली , व्यंग्य क्या कला है ?    
Satire and Humor in Kalidas Literature ,  कालिदास साहित्य में हास्य -व्यंग्य,

पँचतन्त्र मा हास्य व्यंग्य

Satire and its Characteristics, Panchtantra, व्यंग्य परिभाषा, व्यंग्य  गुण /चरित्र
-
पँचतन्त्र मा हास्य व्यंग्य 
-

    (व्यंग्य - कला , विज्ञानौ , दर्शन का  मिऴवाक  : (   भाग -  22  ) 

                         भीष्म कुकरेती 
-

पण्डित विष्णु शर्माs  रच्यूं कथा खौळ (संग्रह ) पँचतन्त्र आज भी उपयोगी च , लाभकारी च अर प्रासंगिक च।  कथा चूँकि शिक्षा दीणो रचे गै थै त इखमा निखालिश व्यंग्य की गुञ्जैस कमी च। 
फिर बि पँचतन्त्र मा व्यंग्यक झलक झळकां मिलदी च।  दंभ , मिथ्याभिमान, लोलुपता , नारी दगड़ विश्वासघात आदि जन व्याख्यानों में कम ही सै व्यंग्य तो छैं इ च (सत्यपाल चुग , 1968 , प्रेमचन्दत्तरो उपन्यासों की शिल्पविधि ).  
Leonard Feinberg न अपण ग्रन्थ  'Asian Laughter  (पेज 426 ) मा पँचतन्त्र का कथाओं मा हास्य व्यंग्य ढूंढ।Leonard Feinberg का हिसाब से संसार तै जानवरों आँख से दिखण अपण आप मा व्यंग्य च अर जानवरों चरित्र से मनिखों मनोविज्ञान व्याख्या करण बि एक तरां को व्यंग्य ही च। 
पँचतन्त्र माँ सूक्ष्म हास्य या व्यंग्य च अर वो  झळकां ही च (Meena Khorana , 1991 , The Indian subcontinent in literature for children and Young)  
Mathew Johan Hodgart अपणी किताब  Die Satire ( पृष्ठ 127  मा )लिखदन कि पँचतन्त्र या अन्य पुरणी कथाओं मा कथा उद्देश्य अपणा आप मा व्यंग्य च अर  फिर जानवरों द्वारा कथा तै जीवन्त बणये जाण बि त व्यंग्य को एक रूप च।   
सम्मेलन पत्रिका  19 77 माँ बि इनि बोले गे बल पँचतन्त्र मा अपरोक्ष रूप से व्यंग्य मिल्दो जखमा एक पात्र अर्जुन तरां संशय से भर्यूं रौंद अर दुसर चर्तित्र कृष्ण तरां उपदेश दीन्दो वास्तव मा यु सुकराती आइरोनी च। 

पँचतन्त्र मा चरित्रों नाम गुण बि बथान्दन अर यो भि व्यंग्य को एक भाग च।  यही शील गढ़वाली नाटक का शिरमौर भवानी दत्त थपलियालनन अपण द्वी नाटकों मा बि अपणाइ।  नाम से हास्य व्यंग्य पैदा करण एक व्यंग्य  शैली च  

@भीष्म कुकरेती