Satire and its Characteristics, Sanskrit Drama by Shudraka's Vidushak & Satire, व्यंग्य परिभाषा, व्यंग्य गुण /चरित्र
-
-
शूद्रक का विदूषक याने हिंदी फिल्मों का महमूद , ओम प्रकाश शर्मा का कैप्टन हमीद
(संस्कृत नाटकुं मा हास्य व्यंग्य )
-
(व्यंग्य - कला , विज्ञानौ , दर्शन का मिऴवाक : ( भाग - 24 )
भीष्म कुकरेती
-
(व्यंग्य - कला , विज्ञानौ , दर्शन का मिऴवाक : ( भाग - 24 )
-
शूद्रक नामी गिरामी प्राचीन भारतीय नाटकोंकारों मादे एक प्रमुख नाटककार माने जान्दन। शूद्रक एक राजा व नाट्यलेखक छ्या (सुकुमार भट्टाचार्यजी , विश्वनाथ बनर्जी ) । यद्यपि शुकध्रक की जीवनी बाराम भ्रान्ति ही च।
शूद्रक का रच्यां मृच्छकटिकम , वासवदत्ता अदि तीन नाटक माने जान्दन।
शूद्रकन बि अपण नाटकुं मा कालिदासौ तरां हास्य अर व्यंग्य उत्पति करणो बान विदूषक को सहारा ले। कालिदास का या अन्य प्राचीन संस्कृत नाटकुं विदूषक जख मन्द बुद्धि , लालची , खाउ हून्दन तो शूद्रक का मृच्छिकटिकम का विदूषक राजा का सहचर , अनुशासनयुक्त , अफु पर काबु करण वळ अर चतुर च। हाँ वाक्पटुता अर अलंकार प्रयोग दुइ प्रकार का विदुषकुं चारित्रिक गुण छन। शूद्रक की या विदूषक चरित्र की परिपाटी हिंदी फिल्मुं मा सन 1970 तक राइ तो ओम प्रकाश शर्मा सरीखा हिंदी जासूसी उपन्यासकारों न बि अपणै।
मृच्छकटिकम कु पंचों अंक मा वसन्तसेना द्वारा ब्राह्मण चारुदत्त तै भोजन दीणम उदासीनता का प्रति मैत्रेय नामौ विदूषक कसैली , कांटेदार , कड़क टिप्पणी उपमा अलंकार या कहावतों से करद -
--------------"बगैर जलड़ो कमल , ठगी नि करण वळु बणिया , सुनार जु चोरी नि कारो , बगैर घ्याळ -घपरोळ की ग्रामसभा की बैठक , अर लोभहीन गणिका मुश्किल से ही ईं मिल्दन। " -----
पंचों अंक मा विदूषक चारुदत्त तै हास्य व्यंग्य रूप मा सलाह दीन्दो -
--------"गणिका जुत्त पुटुक अटक्यूं गारो च जैतै भैर निकाळण बि मुश्किल ही हूंद " -----
मृच्छकटिकम नाटक का खलनायक च शकारा अर वैक दोस्त च विट जैक नौकर च चेत। यी चरित्र अलग अलग बोली -भाषा वळ छन अर प्राकृत याने स्थानीय भाषा प्रयोग करदन । (तिलकऋषि )
शूद्रकन प्राकृत अर संस्कृत का प्रयोग हास्य -व्यंग्य उत्तपन करणो बड़ो बढ़िया प्रयोग कौर। मृच्छकटिकम मा कल्पना, उपमा अर मुहावरों मिळवाक् से तीखा व्यंग्य करे गे।
शूद्रक की शैली अनुसार ही हिंदी मा महमूद , जॉनी वाकर जन हास्य कलाकारुं से काम लिए गे तो जासूसी उपन्यासकार ओम प्रकाश शर्मा का कैप्टन हामिद बरबस शूद्रक रचित मृच्छकटिकम का मैत्रेय चरित्र की याद दिलांद।
-
8 / 2/2017 Copyright @ Bhishma Kukreti
Discussion on Satire; definition of Satire; Sanskrit Drama by Shudraka's Vidushak & Satire,Verbal Aggression Satire; Sanskrit Drama by Shudraka's Vidushak & Satire, Words, forms Irony, Sanskrit Drama by Shudraka's Vidushak & Satire,Types Satire; Games of Satire; Sanskrit Drama by Shudraka's Vidushak & Satire,Theories of Satire; Sanskrit Drama by Shudraka's Vidushak & Satire,Classical Satire; Censoring Satire; Sanskrit Drama by Shudraka's Vidushak & Satire,Aim of Satire; Satire and Culture , Rituals8 / 2/2017 Copyright @ Bhishma Kukreti
व्यंग्य परिभाषा , व्यंग्य के गुण /चरित्र ; (संस्कृत नाटकों में हास्य व्यंग्य ) व्यंग्य क्यों।; (संस्कृत नाटकों में हास्य व्यंग्य )व्यंग्य प्रकार ; (संस्कृत नाटकों में हास्य व्यंग्य ) व्यंग्य में बिडंबना , व्यंग्य में क्रोध , व्यंग्य में ऊर्जा , व्यंग्य के सिद्धांत , व्यंग्य हास्य, व्यंग्य कला ; व्यंग्य विचार , (संस्कृत नाटकों में हास्य व्यंग्य )व्यंग्य विधा या शैली ,(संस्कृत नाटकों में हास्य व्यंग्य ) व्यंग्य क्या कला है ? (संस्कृत नाटकों में हास्य व्यंग्य )
No comments:
Post a Comment
आपका बहुत बहुत धन्यवाद
Thanks for your comments