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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

उत्तराखंडी ई-पत्रिका

Friday, December 27, 2013

Parakram Shah as Mukhtyar or Representative of Pradyuman Chandra in Kumaon

  (History of Kumaon from 1000-1790 AD)
                          
                     (History of Panwar Dynasty Rule in Kumaon)
History of Uttarakhand (Garhwal, Kumaon, Haridwar) - Part 228

                                              ByBhishma Kukreti
                 When Jaya Kirti Shah had to flee from Devalgarh due to attack of Joshi brothers, Pradyuman Chandra (presently Kumaon King) came to Shrinagar.
  Pradyuman sent his younger brother Parakram to Almora. Parakram Shah was representing Pradyuman in Kumaon. In 1780, Parakram was called to Almora from Shrinagar.
 Garhwal administrators as Ajab Ram Negi advised him to become Garhwal king in place of Jaya Kirti Shah. Parakram was also ambitious to take Kumaon Kingdom. However, Joshi brothers did not encourage him. Joshi brothers did not like Parakram Shah. Parakram Shah started making friends the supporters of Mohan Chandra (who was in exile) in Almora.  Parakram was administrating Kumaon kingdom. However, Parakram was proved as weak administrator and he was also not liked by the people.
   Parakram never wanted the Kumaon Kingdom. He was more interested in getting crown of Garhwal. When Pradyuman Chandra returned to Almora from Shrinagar, Parakram Shah started his journey to Shrinagar. Before, reaching Shrinagar by Parakram Shah, Jaya Kirti Shah recaptured Shrinagar Garhwal. As per advice of Parakram Shah, Ajab Ram started making strategy to dislodge Jaya Kirti Shah.
             Jaya Kirti Shah sent Dhani Ram Dobhal for getting army from Sirmaur. Parakram went to Almora for taking advices from Pradyuman Shah.

Copyright@ Bhishma Kukreti -bckukreti@gmail.com 27/12/2013

                                      References

Dr. Shiv Prasad Dabral, Uttarakhand ka Itihas Bhag 10, Kumaon ka Itihas 1000-1790
Badri Datt Pande, 1937, Kumaon ka Itihas, Shri Almora Book Depo Almora
Devidas Kaysth, Itihas Kumaon Pradesh
Katyur ka Itihas, Pundit Ram Datt Tiwari
Oakley and Gairola, Himalayan Folklore
Atkinson, History of District Gazette
Menhadi Husain, Tuglak Dynasty
Malfujat- E Timuri
Tarikh -e-Mubarakshahi vol 4
Kumar Suresh Singh2005, People of India
Justin Marozzi, 2006, Tamerlane: Sword of Islam
Bakshsingh Nijar, 1968, Punjab under Sultans 1000-1526 
The Imperial Gazetteer of India, Volume 13 page 52 
Bhakt Darshan, Gadhwal ki Divangit Vibhutiyan
Mahajan V.D.1991, History of Medieval India
Majumdar R.C. (edited) 2006, The Sultanate
Rizvi, Uttar Taimur Kalin Bharat
Tarikhe Daudi
Vishweshara nand , Bharat Bharti lekhmala
Aine-e Akbari
Akbari Darbar
Tareekh Badauni
Eraly Abraham, 2004 The Mogul Throne
The Tazuk-i-Jahangiri
Maularam- Gadh Rajvansh Kavya
Ramayan Pradeep
Annatdev’s Smriti-Kaustubh
Sarkar, History of Aurangzeb
Jadunath Sarkar, History of Aurangzeb
Sarkar, fall of Mogul Empire
Sailendra Nath Sen, 2010, An Advanced History of Modern India
(The History of Garhwal, Kumaon, Haridwar write up is aimed for general readers)
                           
History of Garhwal – Kumaon-Haridwar (Uttarakhand, India) to be continued… Part -230  
History of Kumaon (1000-1790) to be continued….
Himalayan, Indian History of Chand Dynasty rule in Kumaon to be continued…
  (Himalayan, Indian History (740-1790 AD to be continued…)
Xx
Notes on History of Kumaon, Himalaya; History of Pithoragarh Kumaon, Himalaya; History of Champawat Kumaon, Himalaya; History of Bageshwar Kumaon, Himalaya; History of Nainital Kumaon, Himalaya; History of Almora Kumaon, Himalaya; History of Udham Singh Nagar Kumaon, Himalaya; History of Kumaon, Himalaya, North India; History of Kumaon, Himalaya, South Asia;

जब उत्तराखंड उत्पादन समर्थन का कारण दिल्ली सरकार खतरा मा पोड़ !

  चुगनेर,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती 

(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )
                      जब घ्याळ दा कुछ नि छा तो  गढ़वाली अर प्रवास्यूं तरां  घ्याळ दा बि पहाड़ी गाउँ मा घटदी खेती से उद्वेलित रौंद छा। आम गढ़वाली या प्रवासी तरां घ्याळ दा  तैं बि चिंता छे कि यद्यपि पहाड़ी अनाज -दाल की भारी मांग च किन्तु पहाडूं मा रोज खेत बांज पड़ना ही छन।  अब जब घ्याळ दा शिक्षा मंत्री बौण गेन त आम पहाड़ी नेतौ तरां प्रशासन, दिन मा दस मीटिंगुंमा  शिरकत करण अर भाषण दीण मा व्यस्त ह्वे गेन। एक दिन वूंम बच्चों वास्ता मिड डे मील की   फ़ाइल आयि अर तब पता लग कि मिड डे मील मा स्थानीय खाद्य पदार्थ कु जिकर ही  नि छौ . घ्याळ दान सोचि कि यदि मिड डे मील तैं स्थानीय कृषि उत्पादन से जुड़े जावो तो कुछ ना सै तो  स्कूल का आस -पास का गांउं  मा द्वी चार मौ  तो ग्युं -सट्टी अर दाळ उगाण शुरू कौर द्याल।
                       वै दिन ही शिक्षा विभाग मा  व्यवस्था अर सरकारी किताबुं प्रकाशन संबंधित फ़ाइल ऐन।  घ्याळ दा खौंळे गेन कि शिक्षा मंत्रालय का सबि प्रकाशन मेरठ बिटेन हूंद।  जब कि उधम सिंग नगर , हरिद्वार अर देहरादून का इंडस्ट्रियल जोन मा मॉडर्न प्रेस छन जो अंतररास्ट्रीय प्रकाशन कम्पन्युं किताब छ्पदन। घ्याळ दा तैं बि इखमा उत्तराखंड उद्यम विकास की  किरण नजर आयि।
      
             चूँकि आजकल  करम सिंह रावत जी छुटि पर  छा तो घ्याळ दा पर ब्रिटिश रूल , अमेंडेड रूल, अलण रूल -फलण रूल कु  बोझ नि छौ।  
 घ्याळ दान माणावाल जी तैं बुलाइ कि सबि संबंधित विभागुं कुण आदेस भेजो कि तुरंत मिड डे मील का वास्ता  केवल स्कूल की पट्टी में उत्पादित अनाज -दाळ ही उपयोग होना चाहिए।  घ्याळ दान दुसर आदेस भिजणो आदेस दे कि उत्तराखंड में शिक्षा विभाग का प्रकाशन का कार्य उत्तराखंड मा कार्यरत प्रेसों को ही  दिया जाय।  दूसरे प्रदेशों में प्रकाशन कार्य केवल विशेष तकनीकी फायदे की स्तिथि मे ही दिया जाय। 
                  माणावाल जीन घ्याळ दा तैं कथगा इ  समझाइ कि मिड डे मील यद्यपि शिक्षा विभाग का अंतर्गत आंद पण इकमा केंद्रीय सरकार , राज्य सरकार कु  पब्लिक डिस्ट्रीब्यूसन विभाग आदि अन्य विभाग बि शामिल छन तो इकतरफा आदेस उचित नी च।  इनी शिक्षा विभाग का प्रकाशन मा केवल शिक्षा विभाग ही सम्मलित नी च बलकण मा स्टेट परचेज डिपार्टमेंट , वित्त विभाग व ऑडिट जन विभाग शामिल छन।  पण आज घ्याळ दा पर पहाड़ कृषि विकास अर उत्तराखंड उद्यम विकास कु डौंड्या नरसिंग चड्युं  छौ तो घ्याळ दान माणावाल जीक नि सूण।  
 माणावाल जी एक घंटा का अंदर द्वी सर्कुलर लै गेन।  घ्याळ दा तैं आश्चर्य ह्वे कि मिड डे  मील मा अनाज -दाळ -मसाला खरीदी मा बारा अलग अलग विभाग अर तेतालीस उप विभाग सम्मलित छा।  इनि शिक्षा प्रकाशन मा त्याइस विभाग अर तिहत्तर उप विभाग शामिल छा।  याने कि एक किताब छपण मा तिहत्तर उप विभागुं तैं कै ना कै रूप मा क्रियाशील हूण पोड़द।
   घ्याळ दान सर्कुलर मा दस्तखत करिन अर माणावाल जी तैं आदेस दे कि सर्कुलर आज ही सब जगह पौंच जाण चयेंद। 
  माणावाल -  एस मिनिस्टर ! बट  मिनिस्टर !
घ्याळ दा - क्या ?
माणावाल -एस मिनिस्टर याने आप तै सम्बोधन 
घ्याळ -अर बट  ?
माणावाल - सर ! नीतिगत विषय पर शिक्षा मुख्य सचिव की सहमति लीण  आवश्यक च । 
घ्याळ दा -रावत जीन नितरसि प्रशासन का मुख्य कार्य का बारा मा क्या बोल छौ ?
माणावाल - कि प्रशाशनिक अधिकार्युं काम राजनैतिक नीतियुं पर  कार्यवाही करण च ना कि नीति बणाण।
घ्याळ - तो यूं द्वी सर्कुलरुं तैं सबि विभागुंम भिजणा इंतजाम कारो।   अर तीन बजे एक प्रेस कोंफेरेंस का इंतजाम बि कारो। 
माणावाल -हाँ मंत्री जी ! किन्तु मंत्री जी ?
घ्याळ -प्रेस कोंफेरेंस का इंतजाम 
माणावाल जी -एस मिनिस्टर। 
तीन बजे प्रेस कल्ब देहरादून मा शिक्षा मंत्री की प्रेस कोंफेरेंस ह्वे। शिक्षा मंत्रीन पहाड़ी खेती सुधार -विकास का वास्ता मिड डे मील मा  क्षेत्रीय -अनाज दाळ -मसालों की आवश्यकता अर अपण निर्देश अर प्रदेस मा प्रकाशन उद्योग तैं बढ़ावा दीणो बान शिक्षा विभाग का प्रकाशन उत्तराखंड मा हूण चयेंद पर व्याख्यान ही नि दे अपण आदेस की भी बात कार। घ्याळ दाक हिसाब से प्रेस कॉन्फ्रेंस सफल छे।  पत्रकारुं हिसाब से कोंफेरेंस  बेकार टैम पर छे।  रात हूंद त दारु -सारु बि चल जांद। 
खैर चूंकि हिंदी टीवी चैनेलों मा तीन बजी से सात बजी तक कुछ ख़ास विषय नि होंदन त द्वी चैनेलूंन ब्रेकिंग न्यूज मा बोलि दे कि उत्तराखंड में उद्योग विकास अर कृषि विकास हेतु शिक्षा विभाग की पहल! अर देखा देखि पांच छै चैनलूंन बि इनि  न्यूज तैं ब्रेकिंग न्यूज बणै दे। 
अर सात बजी आंद आंद उत्तरप्रदेश -उत्तराखंड संबंधित चैनेलुँ मा या न्यूज मुख्य न्यूज बणी गे। 
 आठ बजी सबि क्षेत्रीय अर रास्ट्रीय समाचार चैनेलों मा ब्रेकिंग न्यूज आयि कि उत्तर प्रदेस की दो मुख्य पार्टियों कुसपा अर कैकुसपा द्वारा केंद्रीय सरकार को समर्थन न देने का ऐलान और शायद कल कुसपा के कठोर सिंह और कैकुसपा  की भानुमति महामहिम रास्ट्रपति से मिल सकते हैं।   
नौ बजे घ्याळ दा घौर पौंछिन।  आज अपण निर्णय से घ्याळ दा अति खुस छौ ।  दगड़मा घ्याळ दा और बि खुश छा कि टीवी चैनेलों मा उत्तराखंड का समाचार ऐ। 
साढ़े नौ बजि , घ्याळ दान पैलो गफा डाळि इ छौ कि मुख्यमंत्री क ऑफिस बिटेन मुख्यमंत्रीक फोन आयि , " घ्याळ जी ! यी क्या च ? तुमर कारण दिल्ली मा हमर पार्टीक सरकार खतरा मा ऐ गे।  तुम तुरंत म्यार कार्यालय पंहुचो। "


** कल पढ़ें कि घ्याळ दा के निर्णय से दिल्ली सरकार क्यों खतरे में पड़ी ?



Copyright@ Bhishma Kukreti  27/12/2013 


[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक  से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य;सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य    श्रृंखला जारी  ]

Thursday, December 26, 2013

Devotion Rapture in Garhwali Folk Drama

गढवाली लोक नाटकों / लोक  गीतों में  भक्ति रस

Review of Characteristics of Garhwali Folk Drama, Folk Theater/Rituals and Traditional Plays part -64

                                    Bhishma Kukreti
             Devotion rapture is part of love rapture in Bharat’s Natyashastra.
          All devotional folk songs, dances and ritualistic performances are examples of rapture of devotions.
 Example of Devotion rapture in Garhwali folk drama

रवांइ गढ़वाल क्षेत्र का प्रचलित  लोक नाटकों लोक  गीतों में  भक्ति रस

लोक जागर  धार्मिक अनुष्ठान के लोक नाटक में  भक्ति रस  

  जागर में आह्वान गीत जाग जाग देव जाग धरती आगास जाग मासु देवता जाग पंवाली काठी जाग शाटी -पासी -क्षेतर  जाग जाग जाग  देव जाग

Awake! O Respectful deity! Or I call you deity
Awake! O Earth deity! Or I call you earth deity
Awake! O Sky deity!  Or I call you sky deity
Awake! O Masu deity!  Or I call you Masu deity
Awake! O Panvali Kathi deity! Or I call you Panvali Kathi deity
Awake! O the border protecting deities Shati, Pasi- Khetrapal! Or I call  the border protecting deities Shati, Pasi- Khetrapal!
Awake! O Respectful deity! Or I call you deity


Copyright@ Bhishma Kukreti 23/12/2013

Review of Characteristics of Garhwali Folk Drama, Community Dramas; Folk Theater/Rituals and Traditional to be continued in next chapter.

                 References
1-Bharat Natyashastra
2-Steve Tillis, 1999, Rethinking Folk Drama
3-Roger Abrahams, 1972, Folk Dramas in Folklore and Folk life 
4-Tekla Domotor , Folk drama as defined in Folklore and Theatrical Research
5-Kathyrn Hansen, 1991, Grounds for Play: The Nautanki Theater of North India
6-Devi Lal Samar, Lokdharmi Pradarshankari Kalayen 
7-Dr Shiv Prasad Dabral, Uttarakhand ka Itihas part 1-12
8-Dr Shiva Nand Nautiyal, Garhwal ke Loknritya geet
9-Jeremy Montagu, 2007, Origins and Development of Musical Instruments
10-Gayle Kassing, 2007, History of Dance: An Interactive Arts Approach
11- Bhishma Kukreti, 2013, Garhwali Lok Natkon ke Mukhya Tatva va Charitra, Shailvani, Kotdwara
12- Bhishma Kukreti, 2007, Garhwali lok swangun ma rasa ar Bhav , Chithipatri
The present folksong (मूल -डा जगदीश 'जग्गूनौडियाल , इंटरनेट प्रस्तुती एवंपरिवर्तन - भीष्म कुकरेती )
 Xx
Devotion Rapture  in Garhwali Folk Drama, Folk Rituals, Community Theaters and Traditional Plays; Devotion Rapture  in Garhwali Folk Drama, Folk Rituals, Community Theaters and Traditional Plays from Chamoli Garhwal, North India, South Asia; Devotion Rapture  in Garhwali Folk Drama, Folk Rituals, Community Theaters and Traditional Plays from Rudraprayag Garhwal, North India, South Asia; Devotion Rapture  in Garhwali Folk Drama, Folk Rituals, Community Theaters and Traditional Plays from Pauri Garhwal, North India, South Asia; Devotion Rapture  in Garhwali Folk Drama, Folk Rituals, Community Theaters and Traditional Plays from Tehri Garhwal, North India, South Asia; Devotion Rapture  in Garhwali Folk Drama, Folk Rituals, Community Theaters and Traditional Plays from Uttarkashi Garhwal, North India, South Asia; Devotion Rapture  in Garhwali Folk Drama, Folk Rituals, Community Theaters and Traditional Plays from Dehradun Garhwal, North India, South Asia; Devotion Rapture  in Garhwali Folk Drama, Folk Rituals, Community Theaters and Traditional Plays from Haridwar Garhwal, North India, South Asia;
गढवाली लोक नाटकों में   भक्ति रस  टिहरी गढ़वाल के गढवाली लोक नाटकोंभक्ति में  रस;उत्तरकाशी गढ़वाल के गढवाली लोक नाटकों में  भक्ति  रसहरिद्वारगढ़वाल के गढवाली लोक नाटकों में  भक्ति रस;देहरादून गढ़वाल के गढवालीलोक नाटकों में  भक्ति रस;पौड़ी गढ़वाल के गढवाली लोक नाटकों में  भक्तिरस;चमोली गढ़वाल के गढवाली लोक नाटकों में   भक्ति रसरुद्रप्रयाग गढ़वालके गढवाली लोक नाटकों में    भक्ति रस;

Tit for Tat: a Central Himalayan, Garhwali Folk Tales for Social Cause Oriented Managers

Garhwali Folk Tales, Fables, Traditional stories, Community Narratives for Effective Managers, Effective executives, Effective Boss, Effective Supervisors or Stories for Effective management, management Lesson from Garhwali Folk Literature from Garhwal, part- 42   

       Collected and edited by: Bhishma Kukreti (Management Training Expert)

               Centuries back, a widow used to live in a village. That cruel widow was black magician. She had a daughter. He was man eater and used to perform black magic with the help of human flesh.
       The black magician used to be in search of parentless children. She used to catch such child and put into her bag. Then she used to perform black magic by killing child by thumping in mortar.
            One day, the widow black magician was gone for searching orphan child in grazing grass field.  There she saw a child was grazing cattle alone in the grazing filed. He was Dukhanya an orphan child.
  She jumped for Dukhnya. She was put Dukhanya into bag. His friends saw that the old woman putting their friend into her bag.
            Through other path, the friends of Dukhanya came before black magician. They wanted to help her to carry her bag. She agreed and she gave them that bag. Children freed Dukhanya and put mud into bag. After some time, they returned her bag to widow black magician. While taking the bag on her shoulder she felt water. She thought that Dukhanya was urinating. She told,” Tyar mutan matan mi Ghaur I dikhul. I will take revenge for your urinating.”
   When the widow opened the bag she was annoyed to see mud.
           Second time, she went to grazing field and caught Dukhanya and put him into her bag. Again the children asked her to ahnd over the bag for helping her and they put yellow bee in place of Dukhanya. On the way, yellow bite her. She told,” teri chungi mi ghauram I dikhlu. I will see your pinching me.”
       She was angry to see yellow bee inside bag instead of Dukhanya.
          Third time, she caught Dukhanya, put him into bag but she did not hand over the bag to his friends.
  She put the bag into her store room and went to fetch water. By any means, Dukhanya came out of bag. In the mean time, daughter of woman black magician came into room. Dukhanya requested her to enter into bag. Dukhanya closed the bag and came out of store room.
 When widow came it was dark. She hit the bag by club and killed her daughter. When she opened the bag and found that she killed her own daughter. Facing the realities, the widow also died there only. The cruel widow got tit for tat.


Copyright @ Bhishma Kukreti 26/12/2013 for review and interpretation                 
Garhwali Folktales, Fables, Traditional stories for Managers,/executives, boss, supervisors or Stories for management from Garhwal to be continued…

                  References
1-Bhishma Kukreti, 1984, Garhwal Ki Lok Kathayen, Binsar Prakashan, Lodhi Colony, Delhi 110003, 
2- Bhishma Kukreti 2003, Salan Biten Garhwali Lok Kathayen, Rant Raibar, Dehradun
3- Bhishma Kukreti, Garhwali Lok Kathaon ma Prabandh Vigyan ka Tantu , Chitthi Patri’s Lok Kathayen Visheshank  , Dehradun

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उत्तराखंड के प्रत्येक विधायक के लिए पर्यटन ज्ञान हेतु विदेस भ्रमण आवश्यक हो

Uttarakhand Legislators  must Visit Foreign Tourist Places Eery Year
(Tourism and Hospitality Marketing Management for Garhwal, Kumaon and Hardwar series--25   ) 
                                          उत्तराखंड में पर्यटन  आतिथ्य विपणन प्रबंधन -भाग 25 
                                                       लेखक : भीष्म कुकरेती                              
                                          (
विपणन  विक्री प्रबंधन विशेषज्ञ )
  भारत वास्तव में एक पाखंडियों का देस है। 
. कल रात 9 बजे प्राइम टाइम में मै टाइम्स चैनेल में एक गरमागरम  बहस देख रहा था । जिसमें कर्नाटक के विधयाकों द्वारा लैटिन अमेरिका के अमेजॉन क्षेत्र में यात्रा की चीर फाड़ हो रही थी। अधिकतर गैर राजनीतिक पंडितों का निर्णय था कि कर्नाटक के विधायक ऐसे टूर कर गुनाह कर रहे हैं। आश्चर्य की बात यह है कि  स्वयंभू  विज्ञापन गुरु   सुहेल सेठ भी टाइम्स नाउ के न्यायाधीश अर्णव गोस्वामी के साथ राजनीतिज्ञों की आलोचना कर रहे थे। पत्रकारों और विज्ञापन जगत के कर्णाधारों द्वारा  बगैर सोचे  समझे विधायकों के ज्ञान टूर को बुरा कहना केवल पाखंड ही नही अपितु नासमझी भी कहा जाएगा। 
एक बार देहरादून से प्रकाशित होने वाली प्रसिद्ध हिंदी मासिक ने उत्तराखंड  सरकार को कटघरे  में खड़ा कर दिया कि राज्य सरकार देहरादून में फूटबाल ग्राउंड तो नही बना रही है किन्तु औली में अंतर्राष्ट्रीय स्कीइंग व देहरादून में आइस स्केटिंग  खेल पर करोड़ों रुपया फूंक रही है।  मैंने मासिक के सम्पादक से कहा कि आपको जब पर्यटन उद्यम के आंतरिक तत्वो का ज्ञान ही नही है तो आप ऐसा कैसे लिख सकते है ? औली में स्नो स्कीइंग या देहरादून में आइस स्कीइंग ग्राउंड सर्वथा खेल विकास से बिलकुल  अलग विधाएं व माध्यम हैं।  स्कीइंग विकास या आइस स्केटिंग  सर्वथा पर्यटनोंन्मुखी खेल हैं और  भविष्य के लिए पर्यटन विकास के लिए इन दोनों खेलों पर निवेश आवश्यक हैं। 
इसी तरह जब उत्तराखंड पर्यटन विभाग ने अपने एजेंटो की मीटिंग मसूरी में पंचतारा होटल में कराई और वहाँ कुछ ग्लैमरस प्रोग्रैम सम्पादित किये तो मेरे एक मित्र ने अपनी पत्रिका में पर्यटन विभाग की भर्त्सना  की . मैंने मित्र को फोन किया कि मेरे भाई पर्यटन एक ग्लैमरस उद्यम भी है तो इसमें ग्लैमर आना ही चाहिए।  ग्लैमर व्यापार को ग्लैमर व्यापार के हिसाब से चलना चाहिए ।  टूरिज्म एजेंटों को तुलसी की काली चाय पिलाकर प्रोत्साहित  नही किया जा सकता है और उनके उत्साह वर्धन के लिए पंचतारा होटल में पार्टी आवश्यक है। 
इसी तरह पत्रकार विधायकों का पर्यटन ज्ञान के लिए विदेस यात्रा की भी कटु आलोचना करते हैं। 
पर्यटन आज नये नये कलेवरों के साथ आ रहा है।  आज पर्यटन उद्यम में नई नई सुविधाओं व आकर्षण के नये नये माध्यम लाये जा रहे हैं।  यदि  राज्य में पर्यटन विकास करना है तो पर्यटन में नये नये माध्यमों का प्रवेश आवश्यक हैं ।
विधायक व अन्य शक्तिशाली राजनीतिज्ञ पर्यटन विकास में बदलाव हेतु निर्णायक भूमिका निभाते हैं और इन राजनीतिज्ञों को अवश्य ही पर्यटन की जानकारी अत्यावश्यक है। 
उत्तराखंड राज्य में विधयकों , जिला पर्षद के अध्यक्षों को पर्यटन की बारीकियों के बारे में , नये माध्यमों , नई तकनीक के बारे में जानकारी होनी ही चाहिए। 
यदि  विधायकों व जिला परिषद अध्यक्षों को पर्यटन में होने वाले परिवर्तनो का ज्ञान नही होगा तो ऐसे विधायक या निर्णायक नेतृत्व अवश्य ही पर्यटन में प्रतियोगी परिवर्तन को रोकेंगे।  
अत: विधायकों  व जिला परिषद के अध्यक्षों को हर साल विदेस यात्रा अत्यावश्यक है।  इसे जनता का पैसा फूंकना नही समझा जाना चाहिए। विधायकों की विदेस यात्रा से अवश्य ही पर्यटन को लाभ मिलता है। विधायक  अपने अनुभव प्रसाशनिक अधिकारी व जनता को बांटते हैं तो पर्यटन चेतना फैलती है जो पर्यटन के लिए अत्यावश्यक है। 
ब्लॉक प्रमुखों को हर पांच साल में एक बार विदेस प्रवास पर भेजना आवश्यक है जिससे उत्तराखंड में प्रत्येक क्षेत्र में पर्यटन उद्यम चेतना फैले। 
पर्यटन के बारे में समाज में भी चेतना आनी आवश्यक है कि पर्यटन एक ग्लैमरस उद्यम भी है।  समाज को सरकार पर दबाब बनाना चाहिए कि विधायकों को पर्यटन ज्ञान हेतु विदेस भेजा जाय।  


Copyright @ Bhishma Kukreti 26 /12/2013 
Contact ID bckukreti@gmail.com 
Tourism and Hospitality Marketing Management for Garhwal, Kumaon and Hardwar series to be continued ...
उत्तराखंड में पर्यटन  आतिथ्य विपणन प्रबंधन श्रृंखला जारी 

                                   
 References

1 -
भीष्म कुकरेती, 2006  -2007  , उत्तरांचल में  पर्यटन विपणन परिकल्पना ,शैलवाणी (150  अंकों में ) कोटद्वारा गढ़वाल 


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Himalayan History of Joshiyana (Distress by Joshi brothers and Company) in Shrinagar Garhwal

 (History of Kumaon from 1000-1790 AD)
                          
                     (History of Panwar Dynasty Rule in Kumaon)
History of Uttarakhand (Garhwal, Kumaon, Haridwar) - Part 228

                                              ByBhishma Kukreti
            Sirmaur King Jgatprakash returned to Sirmaur from Shrinagar after taking gifts. After Jgatprakash returning to his home, Garhwal King Jaya Kirti Shah planned to pay religious visit and perform rituals at his family Goddess temple in Devalgarh. The Garhwal to ministers supporting Pradyuman Chandra and other conspirators against Jaya Kirti Shah informed the news of Jaya Kirti visiting Devalgarh to Kumaon King Pradyuman Chandra. These ministers or conspirators informed Pradyuman that that was the best time to attack on Garhwal King. It was sure that Jaya Kirti would have least armed force with him at the time of ritual religious performance. Devalgarh is four miles away from Shrinagar.
      Kumaoni army led by Jaya Nand Joshi, and Harsh Dev Joshi attacked on Jaya Kirti Shah in temple. Jaya Kirti Shah was shocked by the sudden attack. He could not organize his army and Jaya Kirti Shah had to flee from temple.
The attack was held on Navmi of Dahshara and Jaya Kirti Shah ran away on Vijaya Dashmi.
         Kumaoni army looted Garhwal Kingdom wealth lying in Devalgarh temple.
         The Garhwal ministers reached to Pradyuman. Pradyuman marched towards Shrinagar with armed force. The subject of nearby villages did not welcome Pradyuman. The subject was frustrated due to inter group revelries among Garhwal administrators and the oppressive methods applied by Pradyuman and party.
      Pradyuman or Joshi brothers asked to blaze the houses of supporters of Jaya Kirti Shah. There was distressful blaze in Shrinagar. This cruel oppression and distress is named as “Joshiyana’ in Garhwal. Many folktales are still told and heard about Joshiyana in Garhwal.   
 The armed forces of Joshi brothers looted Shrinagar and nearby villages with force.
Pradyuman Shah was there for three months. Then Pradyuman Shah returned to Kumaon.
 It seems that Jaya Kirti Shah ruled for three months after Pradyuman Shah returning to Kumaon. The last inscription of Jaya Kirti Shah is of 1786.
 There are two views about death of Jaya Kirti Shah. One view is that Joshi killed Jaya Kirti Shah fell ill and died with natural death.
   The queen of Pradyuman Chandra delivered son Sudarshan Shah in 1784. Pradyuman Chandra could not stay more in Shrinagar as there was danger for his heir in Almora, Kumaon. In that period Jaya Nand Joshi also died. Harsh Dev Joshi had to consolidate his position.
 As soon as Pradyuman left Shrinagar, Jaya Kirti Shah recaptured Shri Nagar. Garhwal kingdom was having same problem of administrators. Most probably, Jay Kirti Shah died in first part of 1786.

Copyright@ Bhishma Kukreti -bckukreti@gmail.com 25/12/2013

                                      References

Dr. Shiv Prasad Dabral, Uttarakhand ka Itihas Bhag 10, Kumaon ka Itihas 1000-1790
Badri Datt Pande, 1937, Kumaon ka Itihas, Shri Almora Book Depo Almora
Devidas Kaysth, Itihas Kumaon Pradesh
Katyur ka Itihas, Pundit Ram Datt Tiwari
Oakley and Gairola, Himalayan Folklore
Atkinson, History of District Gazette
Menhadi Husain, Tuglak Dynasty
Malfujat- E Timuri
Tarikh -e-Mubarakshahi vol 4
Kumar Suresh Singh2005, People of India
Justin Marozzi, 2006, Tamerlane: Sword of Islam
Bakshsingh Nijar, 1968, Punjab under Sultans 1000-1526 
The Imperial Gazetteer of India, Volume 13 page 52 
Bhakt Darshan, Gadhwal ki Divangit Vibhutiyan
Mahajan V.D.1991, History of Medieval India
Majumdar R.C. (edited) 2006, The Sultanate
Rizvi, Uttar Taimur Kalin Bharat
Tarikhe Daudi
Vishweshara nand , Bharat Bharti lekhmala
Aine-e Akbari
Akbari Darbar
Tareekh Badauni
Eraly Abraham, 2004 The Mogul Throne
The Tazuk-i-Jahangiri
Maularam- Gadh Rajvansh Kavya
Ramayan Pradeep
Annatdev’s Smriti-Kaustubh
Sarkar, History of Aurangzeb
Jadunath Sarkar, History of Aurangzeb
Sarkar, fall of Mogul Empire
Sailendra Nath Sen, 2010, An Advanced History of Modern India
(The History of Garhwal, Kumaon, Haridwar write up is aimed for general readers)
                           
History of Garhwal – Kumaon-Haridwar (Uttarakhand, India) to be continued… Part -228  
History of Kumaon (1000-1790) to be continued….
Himalayan, Indian History of Chand Dynasty rule in Kumaon to be continued…
  (Himalayan, Indian History (740-1790 AD to be continued…)

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