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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Tuesday, December 24, 2013

पर्यटन स्थल प्रबंधन सिद्धन्तों के परिपेक्ष में उत्तराखंड पर्यटन का विवेचन

 उत्तराखंड परिपेक्ष में पर्यटन स्थल प्रबंधन सिद्धांत  भाग -२ 

                   Destination Management in Context of Uttarakhand Tourism Development Part -2 art 

(Tourism and Hospitality Marketing Management for Garhwal, Kumaon and Hardwar series--22   )

                                          उत्तराखंड में पर्यटन  आतिथ्य विपणन प्रबंधन -भाग 22 
                                                       लेखक : भीष्म कुकरेती                              
                                          (
विपणन  विक्री प्रबंधन विशेषज्ञ )


                  पर्यटन स्थल प्रबंधन सिद्धन्तों के परिपेक्ष  में उत्तराखंड पर्यटन का विवेचन

कल हमने पर्यटन स्थल प्रबंधन के सिद्धांतो की चर्चा की आज मोटे मोटे तौर उत्तराखंड पर्यटन का विवेचन किया जाएगा कि क्या उत्तराखंड सचमुच में पर्यटन विकास कर रहा है ?
जन आकांक्षाएं - यद्यपि जन आकांक्षाओं का आकलन बहुपक्षीय और मापदंड भी एक नही होते हैं।  किन्तु उत्तराखंड राज्य बनने के बाद भी  जनता के मन में यह छवि उभरी है कि उत्तराखंड पर्यटन आम जन आकांक्षाओं अनुसार नही हो रहा है।  
स्थानीय श्रम व मानवीय संसाधनो की भागीदारी -यदि उत्तराखंड में पर्यटन विकास हुआ है तो वह स्थानीय श्रम व मानवीय कौशल के साथ भागीदारी निभाने में नाकामयाब रहा है। यदि पर्यटन विकास होता तो अवश्य ही ग्रामीण उत्तराखंड से पलायन रुकता। 
प्रशिक्षणों का शहरों में केंद्रीय करण - पर्यटन संबंधी प्रशिक्षण शहरों तक सीमित हैं क्योंकि यदि ग्रामीण क्षेत्रों में पर्यटन व्यवस्था होती तो पलायन रुकता। 
पौड़ी , पिथारगढ़ जैसे क्षेत्रों की अवहेलना - लगता नही कि ग्रामीण पौड़ी गढ़वाल व पिथोरागढ़ जैसे पर्यटन क्षेत्र में कम विकसित क्षेत्रों को महत्व दिया गया है।  ऋषिकेश , हरिद्वार , देहरादून , नैनीताल जैसे स्थलों में बेइंतहा भीड़ बढ़ी है , किन्तु अन्य नये पर्यटक स्थल अभी भी  संसाधन अथवा विपणन की अनदेखी के कारण विकसित नही हो पाये हैं।  उदाहरणार्थ - खिर्सू , लैंसडाउन , मालनी तट , बेलधार , कैंडूळ उपेक्षित ही हैं। 
प्रवासियों को सम्म्लित नही किया गया - ऋषिकेश से शिवपुरी -कौडियाला -व्यासी तट गंगा तट पर राफ्टिंग आदि पर्यटन विकसित हुआ है।  किन्तु इसका आकलन कभी नही हुआ कि लक्ष्मण झूला से लेकर व्यासी  (उदयपुर , तल्ला ढांगू , बिछला ढांगू ) तक के कितने ग्रामवासी इस उद्यम में शामिल हुए हैं और कितने प्रवासी इन उद्यमों से प्रेरित हो अपने गाँवों की ओर वापस आये हैं ? 
कृषि को पर्यटन से संबल नही मिला - सबसे अधिक चिंतनीय विषय यह है कि उत्तराखंड में पर्यटन उद्यम को लाभ हुआ किन्तु पहाड़ों में कृषि करना बंद भी हुआ है।  याने कि पर्यटन ने स्थानीय उदयमों को कोई आधारभूत सहायता नही की है। आज भी दूध , फल, फूल  आदि का आयात होता है। 
स्थानीय कला वृद्धि - पर्यटन से स्थानीय कुटीर उद्यम जैसे कला को बढ़ावा मिलना चाहिए किन्तु बद्रीनाथ में कोई स्थानीय  (कुटीर उद्योग संबंधी कलाकृति नही दिखती है। 
स्थानीय खान -पान को संबल - पर्यटन का एक मुख्य ध्येय यह भी होता है कि स्थानीय भोज्य पदार्थ की विक्री हो किन्तु उत्तराखंड में उलटा हुआ है।  स्थानीय खान पान अब स्थानीय जनता के मध्य भी खत्म हो रहा है और वाह्य खान पान का प्रादुर्भाव अधिक हो रहा है। 
पर्यावरण को भयंकर खतरा - उत्तराखंड पर्यटन से पर्यावरण रक्षा कम हो रहा है जब कि पर्यटन पर्यावरण को खतरा पैदा कर रहा है । 
आपदा प्रबंधन का संकट -  पर्यटन स्थल विकास में आपदा प्रबंधन साधनों में अंतर्हित होता है।  किन्तु सन 2013 की आपदा सिद्ध करती है कि उत्तराखंड पर्यटन विकास में आपदाओं की रक्षा की  कोई ठोस योजना नही बनाई गईं थीं। 
आनंददायक आर्थिक विकास - स्थानीय पर्यटन विकास का सबसे प्रथम उद्येश होता है कि स्थानीय जनता को आनंददायक आर्थिक मिले किन्तु लगता नही कि उत्तराखंड पर्यटन विकास से स्थानीय जनता को आनंददायक लाभ मिला है 

अत: उत्तराखंड पर्यटन विभाग को उपरोक्त विषयों पर गम्भीरता पूर्वक ध्यान देना होगा।


Copyright @ Bhishma Kukreti 23 /12/2013 
Contact ID bckukreti@gmail.com 
Tourism and Hospitality Marketing Management for Garhwal, Kumaon and Hardwar series to be continued ...
उत्तराखंड में पर्यटन  आतिथ्य विपणन प्रबंधन श्रृंखला जारी 

                                   
 References

1 -
भीष्म कुकरेती, 2006  -2007  , उत्तरांचल में  पर्यटन विपणन परिकल्पना ,शैलवाणी (150  अंकों में ) कोटद्वारा गढ़वाल 


Destination Management in Context of Uttarakhand Tourism Development; Destination Management in Context of Kumaon, Uttarakhand Tourism Development; Destination Management in Context of Pithoragarh Kumaon, Uttarakhand Tourism Development; Destination Management in Context of Almora Kumaon, Uttarakhand Tourism Development; Destination Management in Context of Nainital Kumaon, Uttarakhand Tourism Development; Destination Management in Context of Champawat Kumaon, Uttarakhand Tourism Development; Destination Management in Context of Bageshwar Kumaon, Uttarakhand Tourism Development; Destination Management in Context of Udham Singh Nagar Kumaon, Uttarakhand Tourism Development; Destination Management in Context of Haridwar, Uttarakhand Tourism Development; Destination Management in Context of Pauri Garhwal, Uttarakhand Tourism Development; Destination Management in Context of Chamoli Garhwal, Uttarakhand Tourism Development; Destination Management in Context of Rudraprayag Garhwal, Uttarakhand Tourism Development; Destination Management in Context of Tehri Garhwal, Uttarakhand Tourism Development; Destination Management in Context of Uttarkashi Garhwal, Uttarakhand Tourism Development; Destination Management in Context of Dehradun Garhwal, Uttarakhand Tourism Development;

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