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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Thursday, December 26, 2013

ब्लेम द प्रेस याने प्रेस पर भगार लगाओ

चुगनेर,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती 

(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )


 आज सुबेर सुबेर कुछ  अखबारूं मा खबर छे 
मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री घ्याळ दा के मध्य पर्यावरण को लेकर मतभेद गहराए !
मुख्यमंत्री उत्तराखंड में पर्यावरण की बिगड़दी स्थिति से खासे चिंतित हैं और कुछ योजनाओं को निरस्तर करना चाह रहे थे।  किन्तु शिक्षा मंत्री का मानना है कि विकास आवश्यक है।  इसी विषय पर कल मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री के बीच मतभेद खुलकर सामने आये.
ब्याळि जब घ्याळ दाक समिण 100 फाइलुँ मादे ऊंक इलाका क साइंस कॉलेज अर स्युंसी बैजरों मा आइटीआइ स्कुल योजना निरस्तर करणो फ़ाइल बि ऐन अर घ्याळ दान यूं योजनाओं तैं निरस्तर नि कार। इख पर घ्याळ दाकी रावत जी अर माणावाल जीक दगड़ बड़ी बहस ह्वे। 
अंत मा रावत जीन ब्वाल - मंत्री जी इन किलै नि करदा आप मुख्यमंत्री या कैबिनेट सेक्रेटरी से पूछी ल्यावदी कि क्या करे जावु । 
इथगा मा माणावाल जीक मोबाइल पर फोन आयि , माणावाल जी - मंत्री जी मानननीय मुख्यमंत्री आपसे बात करण चाणा छन। 
मुख्यमंत्री -घ्याळ दा जी ज़रा दस मिनटो कुण तुम म्यार ऑफिस ऐ जावो।  चीफ सेक्रेटरी तैं बि दगड़ लै येन। 
 घ्याळ दा अर रावत जी फटाफट मुख्यमंत्री तैं मिलणो चलि गेन।  एक चपड़ासी बि कमरा मा छौ।
चपड़ासी जी पान खाणो भैर ऐन।  चपड़ासी जी हैंक चपड़ासी जीमा बुलणा छा कि मुख्यमंत्री हमर शिक्षा मंत्री पर नराज ह्वे गेन। अर उना इ पत्रकार लोग बि समाचार लीणो चिलंग -गरुड़ जन रिटणा  रौंदन . कुछ पत्रकारुंन चपडस्यूं संवाद से लिंक ले अर  स्टोरी की खोज अर स्टोरी क्रिएट करण मा वयस्त ह्वे गेन। 
मुख्यमंत्री दगड़ घ्याळ दाकी मीटिंग दस  मिनट मा ख़तम ह्वे गे।  बातचीत राज्य मा सरकारी विभागुं मा कॉन्ट्रेक्ट लेबर की छे।  चूंकि यु विषय बड़ो संवेदनशील छौ तो मुख्यमंत्रीन शिक्षा मंत्री तैं व्यक्तिगत तौर पर बुलाइ। आण वाळ समय मा कुछ अध्यापकुं तैं कॉन्ट्रैक्ट से परमानेन्ट करण तो पार्टी का हित समिण रखिक  लिस्ट बणाणो  आदेस मुख्यमंत्रीन शिक्षा मंत्री तैं दे। 
रावत जी की अनुपस्थिति मा घ्याळ दान मुख्यमंत्री से अपण क्षेत्र मा साइंस कॉलेज की बात कार।  मुख्यमंत्रीन घ्याळ दा तैं समझाइ कि विरोधी दल की योजना कबि बि  पूरी नि करण चयेंद पण घ्याळ दा अड्या छा कि साइंस कॉलेज कु काम बंद नि हूण चयेंद। 
जब घ्याळ दा संतुष्ट नि ह्वे तो मुख्यमंत्रीन रावत जी तैं बुलाइ। 
मुख्यमंत्री - रावत जी ! दक्षिण गढ़वाल मा साइन्स कॉलेज खुलण मा संवैधानिक अर विधि की क्या क्या समस्या छन ?
रावत जीन अपण बैग से एक फ़ाइल निकाळ अर देखिक ब्वाल - एस चीफ मिनिस्टर ! सन 1886 कु युनाइटेड प्रोविन्स लैंड अक्वीजिसन लॉ 353 खंड 3 याने कुमाऊं कमिसनरी कु उपखंड 432 का हिसाब से या जमीन सरकारी नी  च. सन 1952 का उत्तरप्रदेश लैंड एक्यूजिसन नियम 567 , उपखंड 211 का हिसाब या लैंड थोकदार ब्र्ह्मा सिंह जी की च अर अब सरकारी कॉलेज खुलणो वास्ता ब्र्हमा  सिंग जीका अड़तीस पड़पोताओं की स्वीकृति आवश्यक च. फिर सन 1923  का फोरेस्ट रिहैबिलेशन  नियम 647 उपखंड  हिमालय जोन 12 A का हिसाब से इन जमीन मा सरकारी भवन नि बौण सकद। 
घ्याळ दा -पण रावत जी! जब मी ये विषय पर आपसे छ्वीं लगाणु छौ त आपन मि तैं इ  नियम नि बतैन ?
रावत - एस मंत्री जी !  आपन में से डाइरेक्ट्ली नि पूछ कि संवैधानिक अर विधि समस्या क्या च।
अब रावत जी अर घ्याळ दा मुख्यमंत्री कार्यालय से भैर ऐन त घ्याळ दाक मुख लाल चचकार हुयुं छौ। 
इथगा मा एक पत्रकारन पूछी दे - घ्याळ दा ! सुना है कि आपके और मुख्यमंत्री के मध्य पर्यावरण विषय पर मतभेद हैं। 
घ्याळ दा -नहीं ऐसी कोई बात नही है ।  पर अवश्य ही उत्तराखंड के हितार्थ  सन 1886 व सन 1923 में बने नियम बदलने चाहिए। 
रावत जीन घ्याळ दा तै कार भितर बिठाइ कि पत्रकार जादा सवाल नि पूछ साक। 
बस इथगा बात पर खबर छप कि मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री पर्यावरण के मामले में आमने सामने। 
घाम आण से पैल मुख्यमंत्रीक प्रेस सचिव कु फोन आयि ," मंत्री जी आपसे अनुरोध च कि अगनै बिटेन पत्रकारुं दगड़ सावधानी से बात करिन। "
घ्याळ दा - पर मीन तो बात ही नि कार। 
प्रेस सचिव - हाँ हम तै पता लग गे कि क्या बात ह्वे छे।  आपकी तरफ से हम एक प्रेस नोट जारी करणा  छां कि प्रेस को अपनी जुमेवारी ठीक से निभानी चाहिए। 


Copyright@ Bhishma Kukreti  26/12/2013 


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