चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती
(s =आधी अ = अ , क , का , की , आदि )
(s =आधी अ = अ , क , का , की , आदि )
घ्याळ दा अपण कक्ष माँ छा , शिक्षा विभाग का चेफ सेक्रेटरी अर प्राइवेट सेक्रेटरी बि मंत्री कक्ष मा छा. पण शिक्षा मंत्रालय से भैर एक नाटक की शुरुवात ह्वे गे छे।
शिक्षा मंत्रालय कु ड्राइवर से भू सरंक्षण वाळ शिक्षा मंत्री की लाल बत्ती ली गे छा। घ्याळ दान ड्राइवर ख्यातवाळ जी तैं लाल बत्ती लाणो भेज छौ। बात बि सै च अपण सैणि अर अधिकार इनी दिए जावन तो ह्वे गे फिर !
ख्यातवाळ जी बड़ी मुस्किल से शिक्षा मंत्रालय की लाल बत्ती लेक दौड़ि दौड़िक अपण मंत्रालय तरफ आणा छा।
ख्यातवाल जीक पैथर भू सरंक्षण मंत्री जीक ड्राइवर बि दौड़ दौड़िक आणा छा।
भू संरक्षण मंत्री कु ड्राइवर कु नाम क्वी नि जाणद। मंत्री , संतरी अर चपड़ासी सबि ऊं तैं थोकदार जी बुल्दन। लखनऊ मा बि थोकदार छ तो देहरादून मा बि ड्राइवर जी थोकदार ही छन। बस गढ़वाल मा वो अब थोकदार नि छन।
ड्राइवर साब जब लखनऊ मा नौकरी पर लगिन तो ऊँन पब्लिक सर्विस का साब तैं सेवा आबंटन का बगत प्रार्थना कार कि साब मि त थोकदारूं थोक कु छौं त मि तैं इन मंत्रालय द्यावो जख जमीन जायजाद कि बात ह्वावन। अस्तु वूं तैं भू संरक्षण मंत्रालय मा रखे गे। लखनऊ आणो बाद बि ऊंकि थोकदारी याद नि गए अर वो सब्युं से हर समय यी बुल्दा छा कि भाग्य का वजै से वो ड्राइवर बणी गेन निथर वु त थोकदारूं थोकाक छन। लोगुन ऊंक नाम ही थोकदार धौर दे। ड्राइवर साब खुस छन भले ही दिल्ली -लखनऊ की सरकारन थोकदारी खतम कौर दे हो पण वो अबि बि थोकदार छन।
लखनऊ मा बि ड्राइवर साब हरेक गढ़वाली -कुम्मयों नापतोल थोकदार , कब्जादार , सिरतानी, खैकर का तराजू से करदा छा तो देहरादून मा बि ड्राइवर साब कु उत्तराखंड्यूं तैं नापणो तराजू थोकदार , कब्जादार , खैकर अर सिरतानी ही च।
थोकदार जीन ख्यातवाळ जी तैं शिक्षा मंत्रालय तौळ छौंपि इ दे।
थोकदार जीन बोलि ," ये खैकर ख्यातवाळ ! देख तैं लाल बत्ती वापस कौर दे हाँ !"
ख्यातवाळ - द्याखो ! थोकदार जी ! या लाल बत्ती शिक्षा मंत्री जीक च। "
ख्यातवाळ - द्याखो ! थोकदार जी ! या लाल बत्ती शिक्षा मंत्री जीक च। "
थोकदार - शिक्षा मंत्री तै लाल बत्ती द्यावो या काळी बत्ती द्यावो रौण त ऊन शिक्षा मंत्री ही च। "
ख्यातवाळ- क्या मतलब ?
ख्यातवाळ- क्या मतलब ?
थोकदार - रौब दाब का मामला मा शिक्षा मंत्रालय म्यार भू संरक्षण मंत्रालय का समिण पासंग बि नी च।
ख्यातवाळ- सीधा इन किलै नि बुलणा छां कि भू सरंक्षण विभाग मा ऊपरी कमाई भौत च अर शिक्षा मंत्रालय मा ऊपरी कमाई का साधन बहुत ही कम छन। भू संरक्षण विभाग पणचर स्यार च त शिक्षा विभाग पथरड्या बांज पुंगड़ च।
थोकदार -हाँ भू संरक्षण विभाग थोकदारु ख्वाळ जन च त शिक्षा विभाग खैकरुं से बि फंड च।
ख्यातवाळ- थोकदार जी अब ना वा पधानचारी रयीं च अर ना वा थोकदारी। पण फिर बि तुम थोकदारी थोकदारी का मांगळ लगाणा रौंदा।
ख्यातवाळ- थोकदार जी अब ना वा पधानचारी रयीं च अर ना वा थोकदारी। पण फिर बि तुम थोकदारी थोकदारी का मांगळ लगाणा रौंदा।
थोकदार -किलै नि लगौं थोकदारी का मांगळ ? हमम इथगा बड़ी जमीन च तो हम अपण जमीन की बड़ै बि नि कौर सकदा क्या ?
ख्यातवाळ- एक बात बतावो थोकदार जी ! जब आपम इथगा बड़ी भारी जमीन छे तो ड्राइवर किलै बौणा ?
ख्यातवाळ- एक बात बतावो थोकदार जी ! जब आपम इथगा बड़ी भारी जमीन छे तो ड्राइवर किलै बौणा ?
थोकदार - मेरी घरवळि तैं पसंद नि छौ कि मी खेती पाती कौर तो मि परबस ह्वेक लखनऊ चली ग्यों।
ख्यातवाळ- अब क्या हाल छन जमीन का ?
ख्यातवाळ- अब क्या हाल छन जमीन का ?
थोकदार -कुज्य़ाण ! दस बारा साल ह्वे गेन मि गांव नि ग्यों। चल उख गाँमा भंगुल जमिण दे। तू मै तैं लाल बत्ती वापस कौर।
ख्यातवाळ- नै लाल बत्ती त शिक्षा मंत्रालत की च।
ख्यातवाळ- नै लाल बत्ती त शिक्षा मंत्रालत की च।
थोकदार - यार म्यार मंत्री जी थोकदारुं ख्वाळक त नी छन पण गां मा कब्जादार छा। पता च सन साठक पैमास से पैल कब्जादार हूण बि बड़ी बात छे। लोग बेटी दींद दैं दिखद छा कि नौनु वाळ कब्जादार छन , सिरतान छन कि खैकर छन।
ख्यातवाळ- अब बेटी वाळ क्या दिखदन ?
ख्यातवाळ- अब बेटी वाळ क्या दिखदन ?
थोकदार -अब दिखदन कि नौनु मलाईदार पोस्ट पर छ कि ना ! पता च सि परसि सार्वजनिक निर्माण विभाग का एक चपड़ासी ब्यौ पीएचडी नौनी दगड़ ह्वे। जब कि नौनि बुबा कब्जादार खानदान का छा अर नौनक त खानदानो अता -पता ही नि छौ। पण सब तै पता च कि पीडब्ल्यूडी विभाग मा चपड़ासी की मैना कमाई लाख द्वी लाख से कम नी च।
ख्यातवाळ - अच्छा मि मथि जांद कि मंत्री जी क्या करणा छन
ख्यातवाळ - अच्छा मि मथि जांद कि मंत्री जी क्या करणा छन
थोकदार - क्या करणा छन। अरे शिक्षा मंत्री छन तो अपण ड्यार जाणै तयारी करणा होला। क्वी कवा बि बधाई दीणो नि आइ
ख्यातवाळ- तुमर इक क्या हाल छन ?
ख्यातवाळ- तुमर इक क्या हाल छन ?
थोकदार - अरे हाल क्या हूण। ठेकेदार , दलाल , सरपंच , ग्राम प्रधान सब वधाई दीणो लैन मा छन। रात बारा त बजी इ जाला ।
ख्यातवाळ- तो फिर तुम बारा बजी घौर पौंचल्या ?
ख्यातवाळ- तो फिर तुम बारा बजी घौर पौंचल्या ?
थोकदार -क्यांक बारा बजी ! भोळ सुबेर। ठेकेदार लोग मंत्री जी तै छ्वाड़ल क्या ? पार्टी सार्टी बि त चललि
ख्यातवाळ- भाग भाग की बात च।
ख्यातवाळ- भाग भाग की बात च।
थोकदार - हे भै ! शिक्षा मंत्री जी कब्जादार घराना का छन कि तनि सिरतानी या खैकरी घराना का छन ?
ख्यातवाळ- कुज्य़ाण भै !
ख्यातवाळ- कुज्य़ाण भै !
थोकदार - जै हिसाब से घ्याळ दा जी तैं शिक्षा मंत्रालय मील वै से मै तैं त लगद कि घ्याळ दा जी खैकर खानदान का बि नि होला। क्या जमानु ऐ गे अब बेजमीन का लोग बि मंत्री बणना छन अर पैल जगमोहन सिंग जी सरीखा थोकदार ही मंत्री बणदा छा। म्यार तो नेगी जी दूर का रिस्तेदारूं का रिस्तेदार छा।
तबी मथि बीतें आवाज आयी - ख्यातवाळ जी ! गाडी गाडो , मंत्री जी ड्यार जाला।
थोकदार - जा जा ! पण या बात साफ़ च कि शिक्षा मंत्री जी कब्जादार घराना का नि छन। अब बतावो ! क्या बेकार जमाना ऐ गयाइ बल इन खैकर खानदान का लोग मंत्रालय चलाला।
Copyright@ Bhishma Kukreti 19 /12/2013
[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी के जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के पृथक वादी मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण वाले के भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य;सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य श्रृंखला जारी ]
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