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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Sunday, December 22, 2013

उत्तराखंड परिपेक्ष में पर्यटन स्थल प्रबंधन व्याख्याएं

  Destination Management in Context of Uttarakhand Tourism Development 

(Tourism and Hospitality Marketing Management for Garhwal, Kumaon and Hardwar series--21  )

                                          उत्तराखंड में पर्यटन  आतिथ्य विपणनप्रबंधन -भाग 21 
                                                       लेखक : भीष्म कुकरेती                             
                                                    (
विपणन  विक्री प्रबंधन विशेषज्ञ )

                                                    पर्यटक स्थल की परिभाषाएं 
           पर्यटन प्रबंधन में विद्वानो द्वारा कई विचारों की परिभाषाओं में अंतर है।  पर्यटक स्थल के बारे में भी विचार व परिभाषाओं में असमानता है।  जैसे मेरे लिए अब मेरा पैतृक गाँव वास्तव में पर्यटक स्थल ही है।  किन्तु देखा जाय तो वह गाँव साधारण स्थिति में पर्यटक स्थल नही है। 
                          बीगर  (2005 ) के अनुसार पर्यटक स्थल वह भौगोलिक स्थल  (गाँव , प्रदेस , देस , महाद्वीप या क्षेत्र ) है जिसे मेहमान अपने पर्यटन हेतु चुनाव करता है। पर्यटक स्थल में रहने , खाने , खरीददारी , मनोरंजन या मेहमान के उदेश्य की पूर्ति हेतु कार्य अथवा क्रियाओं की सुविधा होनी आवश्यक है। अत: यही कारण है कि पर्यटक स्थल एक प्रतियोगी इकाई है जिसमे व्यापार की रणनीति निहित होती है।  याने कि पर्यटक स्थल में मेहमान व मेजवान के मध्य व्यापार भी होना चाहिए।  यही कारण है कि यद्यपि मेरे लिए मेरा  पैतृक गाँव पर्यटक स्थल भले ही हो किन्तु वह गाँव पर्यटक स्थल नही है क्योंकि मेजवानों ने मेरी सुविधा हेतु कोई व्यापारिक रणनीति नही बनायी है।  मेरे पैतृक गाँव से पांच किलोमीटर दूर सिलोगी बाजार है वहाँ मेरी सुविधाओं हेतु व्यापारियों ने रणनीति तहत दुकाने खोली हैं।  अत: मेरा गाँव पर्यटक स्थल नही है किन्तु सिलोगी बजार एक पर्यटक स्थल है।
 योरपियन कमीसन (2000 ) के अनुसार पर्यटक स्थल पर्यटकों के लिए एक निश्चित किया हुआ व विकसित स्थल है जहां प्रशासनिक या अप्रशाशनिक , व्यापारी या सस्थानो द्वारा पप्रीतक की सुविधाओं का आदान प्रदान होता है।
                                      पर्यटक स्थल व पर्यटक स्थल प्रबंधन में प्रतियोगिता  का समावेश  
                       आधुनिक व प्राचीन पर्यटन में एक विशेष अंतर यह है कि आधुनिक पर्यटक स्थलों में प्रतियोगिया का समावेश एक आवश्यक तत्व है।  अब पर्यटन व पर्यटक स्थल प्रतियोगिता से प्रभावित होते हैं। पाठकों के लिए एक उदाहरण आवश्यक है -कैँडूल (मल्ला ढांगू , पौड़ी गढ़वाल ) में एक स्थान प्रसिद्ध प्रसिद्द है जहां सावित्री को यमराज ने उसके पति सत्यवान का जीवन लौटाया था। यहाँ हर वरस मेला लगता है , किन्तु बहुत ही छोटे स्तर पर।   वहीं मल्ला ढांगू में ही ठंठोली गाँव के ऊपर बेलधार जंगल  में एक पुराना शिवालय है।  पांच दस साल पहले ठंठोली निवासी ने किसी ऋषिकेश के भक्त द्वारा उस शिवालय का जीर्णोद्धार कराया और प्रति वर्ष वहाँ अब सैकड़ों लोग जुटते हैं।  गढ़वाल में सभी जगह शिवालय हैं याने शिवालय साधारण स्थल ही माना जाएगा और सावित्री को पीटीआई का जीवन मिलने का स्थल अति महत्वपूर्ण  स्थल माना चाहिए किन्तु विपणन प्रतियोगिता के कारण बेलधार मंदिर में अधिक भीड़ जुटती है व सावित्री -सत्यवान मिलन स्थल अभी भी एक उपेक्षित स्थल ही है। 
           पर्यटक स्थल के विकास में प्रतियोगिता जीतने की रणनीति आज एक सामयिक आवश्यकता है जब कि प्राचीन काल में पर्यटन स्थलों में प्रतियोगिता रणनीति बहुत ही कम मिलती थी। 

                            पर्यटक स्थल व पर्यटक स्थल प्रबंधन में पर्यावरण सुरक्षा का समावेश
 आज पर्यटन विकास में केवल प्रतियोगिता धर्म का समावेश ही नही हुआ है अपितु पर्यावरण रक्षा -सुरक्षा भी एक आवश्यक तत्व है। 

स्थल का बुद्धितापूर्ण  व सावधानी पूर्वक  उपयोग व उपभोग - पर्यटन स्थल का उपभोग व उपयोग वुद्धिपूर्वक व सावधानी पूर्वक होना पर्यटन स्थल प्रबंधन की महत्वपूर्ण आवश्यकता है। पर्यटन स्थाल का दोहन इस तरह ना हो कि आने वाली पीढ़ी को नुकसान उठाना पड़े। 
उन वस्तुओं का प्रयोग ना किया जाय जो पर्यावरण व नई पढ़ी के लिए हानिकारक हों जैसे प्लास्टिक , का उपयोग , गंगा किनारे शौचालय बनाना आदि
स्थल व प्रकृति का दोहन - पर्यटक स्थल का दोहन इतना ना हो कि स्थल की प्रकृति व प्राकृतिक सामर्थ्य ही समाप्त हो जाय।
प्राकृतिक संपदा में उन्नति व सुधार - पर्यटन से प्राकृतिक सम्पदा में सुधार आना चाहिए व सम्पदा की उन्नति होनी चाहिए।
पर्यटन साधनों में आपदा प्रबंधन - प्रत्येक पर्यटन साधन में आपदा प्रबंधन का समावेश आवश्यक है।

                                पर्यटक स्थल व पर्यटन स्थल विकास में मानवीय पहलुओं का समावेश 

पर्यटन स्थल विकास व प्रचार -प्रसार में यह ध्यान रखा जाना चाहिए कि पर्यटन से जुड़ा प्रत्येक मनुष्य प्राकृतिक सम्पदा व प्राकृतिक विधियों पर ही  निर्भर है। 
मानव जनसंख्या  जबरदस्त रूप से बढ़ रही है। 
संसाधन  उपयोग  में प्रति व्यक्ति की भागीदारी बडग रही है। 
मनुष्यों की अधिक क्रियाएँ व प्रतिक्रियाएं वातावरण व प्रकृति की मौलिकता के लिए खतरा बन सकती है.
मनुष्य  के कृत्य मनुष्यता व प्राकृतिक संसाधनो को समय से पहले ही  खत्म कर सकते हैं। 
मनुष्य व प्रकृति के मध्य ऐसा जटिल संबंध  है कि भविष्य की भविष्यवाणी करना सरल नही है।
                          पर्यटन विकास में अहिंसा का स्थान 

 प्राकृतिक व कृत्रिम संसाधनो का उपयोग हो किन्तु अप्राकृतिक रूप से क्षरण ना हो कि स्थानीय लोग व भावी पीढ़ी प्राकृतिक संसाधनो से बंचित रह जाय। 
पर्यटन विकास से सौहार्द्य नष्ट नही होना चाहिए। 
पर्यटन विकास से मानवीय सौहार्द्य पर गलत प्रभाव नही पड़ना चाहिए। 
पर्यटन से अन्य जीव जंतुओं व वनस्पति पर विपरीत प्रभाव नही पड़ना चाहिए
       सांस्कृतिक वा ऐतिहासिक धरोहर का संरक्षण 
पर्यटन से स्थानीय सामाजिक , सांस्कृतिक , ऐतिहासिक धरोहर का संरक्षण होना चाहिए ना कि क्षरण। 
 पर्यटन में  स्थानीय , राष्ट्रीय व अंतराष्ट्रीय नियमों का पालन होना चाहिए . 
पर्यटन विकास से लाभ वितरण इस तरह न हो कि लाभ कुछ ही लोगों तक सीमित हो जाय अपितु सभी को पर्यटन विकास से लाभ मिलना चाहिए। 
पर्यटन विकास से स्थानीय मानव  प्रतियोगिता गुणो में सुधार व  विकास  पर्यटन की प्राथमिकता होती है। 

Copyright @ Bhishma Kukreti 20 /12/2013 
Contact ID bckukreti@gmail.com 
Tourism and Hospitality Marketing Management for Garhwal, Kumaon and Hardwar series to be continued ...
उत्तराखंड में पर्यटन  आतिथ्य विपणन प्रबंधन श्रृंखला जारी 

                                   
 References

1 -
भीष्म कुकरेती, 2006  -2007  , उत्तरांचल में  पर्यटन विपणन परिकल्पना ,शैलवाणी (150  अंकों में ) कोटद्वारा गढ़वाल 
xx

Destination Management in Context of Uttarakhand Tourism Development; Destination Management in Context of Kumaon, Uttarakhand Tourism Development; Destination Management in Context of Pithoragarh Kumaon, Uttarakhand Tourism Development; Destination Management in Context of Almora Kumaon, Uttarakhand Tourism Development; Destination Management in Context of Nainital Kumaon, Uttarakhand Tourism Development; Destination Management in Context of Champawat Kumaon, Uttarakhand Tourism Development; Destination Management in Context of Bageshwar Kumaon, Uttarakhand Tourism Development; Destination Management in Context of Udham Singh Nagar Kumaon, Uttarakhand Tourism Development; Destination Management in Context of Haridwar, Uttarakhand Tourism Development; Destination Management in Context of Pauri Garhwal, Uttarakhand Tourism Development; Destination Management in Context of Chamoli Garhwal, Uttarakhand Tourism Development; Destination Management in Context of Rudraprayag Garhwal, Uttarakhand Tourism Development; Destination Management in Context of Tehri Garhwal, Uttarakhand Tourism Development; Destination Management in Context of Uttarkashi Garhwal, Uttarakhand Tourism Development; Destination Management in Context of Dehradun Garhwal, Uttarakhand Tourism Development;

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