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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Friday, December 13, 2013

हर्युं नेता क वास्ता मातमपुर्सी करणो अटल सिद्धांत

 चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती 

     
(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )
                   भारत मा हर समय चुनाव हूणा रौंदन।  कुछ ना सै त गढ़वाळि गाऊं मा गूणी बांदर बचाओ महासंघ या सुंगरु संख्या बढ़ाओ समीति का चुनाव त ह्वाला ही।  जितद त एकि नेता च पण दस नेता हरदन।  जित्युं नेताम वधाई दीणो पांच साल तलक जै नि सक्यांद पण हर्यां नेता तैं मातमपुर्सी दीण जरुरी हूंद किलैकि जब नेता जीती गे तो उ तुमर नि रै जांद। अब तुमर टैम -कुटैम मा साथ तो हर्युं नेता ही द्याल कि ना ?
इलै हर्युं नेता पास मातमपुर्सी वास्ता जाण जरुरी च।
जु नेता चुनाव जितुद वैकि राजनैतिक जीत हूंद अर जु हरदु च वैकि नैतिक जीत हूंद।  इलै हर्युं नेता मा जैक बुलण पोड़द ," नेता जी आपकी त नैतिक विजय ह्वे। " आपकी  नैतिक विजय हुई है वाक्य हर्युं नेताओं वास्ता एक माळा च , एक हार च। 
अचकाल चुनाव मा शराब का गाड़ -गदन बगाण अर रुप्यों बरखा करण चुनाव लड़णो अभिन्न अंग च।  चाहे तुमन हर्युं नेताक खूब दारु घटकै ह्वावो फिर बि  हर्या नेता समिण पश्त्यौ शब्द जरुर बुलण चएंदन," अजी ! वु थुका जीत वो त वैक दारु अर रुप्या जीत ! अचकाल विचारा शरीफों वास्ता चुनाव जितण मुश्किल ह्वे गे। आप त पक्का सिद्धांतवादी छन तो तुमन शराब थुका बगाण छे।  वैकि शराब जीत आपका सिद्धांत जीत गेन "
हर्युं नेता कथगा ही कुकर्मी ह्वावो , हर्युं नेता पर धारा 302 ,307 का मुकदमा ही किलै नि चलणा ह्वावन, हर्युं नेता गुंडगर्दी को कथगा बि बड़ो उस्ताद ह्वावो आप तैं हर्युं नेता वास्ता सांत्वना का यु वाक्य बुलण जरुरी च ," अजी वैम इथगा बड़ी बाहु बली अर गुंडों फ़ौज नि हूंदी तो अवश्य ही जीत तुमरि ही हूण छे। गुंडों समिण शरीफुं कख चलदी ?"
अजकाल क्या पैलि बिटेन उद्योगपतियों पैसा से ही चुनाव लड़े जांद तो मातमपुर्सी का यी शब्द एक सास्वत्व वाक्य च ," या जीत उद्योगपतियुं गुलामुं जीत च।  " 
फिर जनता बि त बेवकूफ च अर हर्युं नेता समिण  यि लफज बुलण बि जरूरी छन ," जनता साली बि मुर्ख च।  भला -बुरा पछ्याणदि नी  च।  जनता भलो भूलो बीच फरक करण माँ बिलकुल नाकामयाब राइ । "
कुछ लांछना का इन शब्द प्रयोग आवश्यक छन जन कि मीडिया बि बिकाउ च।  मीडियान बि आपक न्यूज नि दे। 
सरकारी तंत्र तै गाळि दीणो बि इ बकत च तो हर्युं नेता से बुलण चयेंद बल सरकारी तंत्र बि भ्रस्ट च , सरकारी तंत्र चांदु इ नि छौ तुम सरीका ईमानदार नेता राजनीती मा आवो। 
 आवश्यक नी बि ह्वावो तो बोलि दीण चयेंद कि आज प्रजातंत्र की जघन्य हत्या ह्वे।  प्रजातंत्र का वास्ता आज काला दिवस च। 
इनि  श्रद्धांजलि का हरेक शब्द हर्युं नेता समिण बुलण चयेंदन।  



Copyright@ Bhishma Kukreti  7 /12/2013 


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