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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Thursday, July 16, 2015

हरीश जी ! उत्तराखंड नेहरू खानदानै जागीर नी च जी !

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                    हरीश जी ! उत्तराखंड नेहरू खानदानै जागीर नी च जी ! 

                        कव्वा का कर्कस बचन   :::   भीष्म कुकरेती 

               ब्याळै खबर च बल हमर उत्तराखंडौ पधान जी माने हरीश रावत नीति याने योजना आयोग की बैठक मा शामिल नि ह्वेन।  
अर रूण या च बल ये इ हरीश रावत 9 फ़रवरी कुण रुणा छया बल योजना आयोग नि हूण से उत्तराखंड तै फंड नि मिलणा छन 
अब जब नीति आयोग की बैठक मा यु मुद्दा उठाणो बगत छौ तो हरीश रावत जी हतो  कमांड की मालिस वास्ता इफ्तार पार्टी मा कबाब तो खूब भचकाणा रै होला किन्तु जब उत्तराखंड की बात आइ तो मुख  लुकैक देहरादून सीणो ऐ गेन। 
माना कि तुम्हारी लीडर्याणी अर राजकुमार  तै लैंड बिल पसंद (राजनैतिक कारण ) नी च तो यांक मतलब यो तो नी च कि तुम उत्तराखंड हित  की बळी चढ़ै द्यावो ? हरीश जी उत्तराखंड ना तो तुमर च अर ना ही नेहरू  खानदान की जागीर कि तुम नीति सरीखा महत्वपूर्ण संस्था की बैठक  का विरोध पार्टी आधार पार करो। 
             जब नीति आयोग का नाम प्लानिंग कमिसन छौ तो कौन सा धज घटेणा छया ? प्लानिंग कमिसन या नीति एक संस्था च तो भारतीय एक्जीक्यूटिव याने राज्य का CEO हूणो नातन नीति बैठक मा तुमर भाग  लीण आवश्यक ही छौ। 
आजकाल पार्टयूं मा' देश बड़ो ना  राजनीतिक स्वार्थ बड़ो '  सिद्धांत बड़ो ह्वे गे।  नेताओं का अहम देश से बड़ो ह्वे गे।  ममता बनर्जी को अहम भारतवर्ष से बड़ो च।  भाजपा को अहम इण्डिया'ज  बेनिफिट्स से कखि ऐंच ह्वे गे। नेहरू हिंदुस्तान से बड़ दिखेण चयेंद। 
           जब कॉंग्रेस सरकार मा छे तो भाजपा तै न्यूक्लियर डील से खतरा लगद छौ अर भाजपान संसद मा काम नि हूण दे , मनमोहन सरकार गिराणो सब इंतजाम करिन। अब भाजपा सरकार मा च अर न्यूक्लियर पावर का वास्ता वी करणी च जो कॉंग्रेस चांदी तो कॉंग्रेस संसद तै सड़क बणाणम भाजपा से अग्वाड़ी जाण चाणि च। स्वार्थ का गंडासा से  देस हित  कु बुगचा बणाये जाणु च।  
लैंड बिल या एफडीआई  या पाकिस्तान से संबंध ह्वावन या इजरायल से सबंध ह्वावन, या कश्मीर मा अलगाववादियों से संबंध हो , जब  यी राजनीतिक दल सरकार मा हूंदन तो यूंक  सिद्धांत कुछ हौर हूंदन अर जनि एक दिन का बाद विरोधी दल ह्वे जांदन तो यूँ दलूँ सिद्धांत 180 डिग्री फरके जांदन।  दलीय स्वार्थ भारत की समृद्धि तै पैथर धकेलणु च। 
राजनीतिज्ञ भारत तै स्वार्थ की झंडी से धत्ता बताणा छन। 
                         तो इटालियन बौ , नागपुर का बाडा , कोलकत्ता का लाल कुर्ती वळा या फटीं साडी वळि , यूपी बिहार मा ठग विद्या फैलान वळ , पंजाब , ओडिसा , तमिलनाडु तै अपण बाप दादों की जागीर समजण वळा राजनीतिज्ञों तै बताण चाँद कि भारत की जनता अजीब च जब तक राजकरणी वळ ठीक ठाक रौंदन तब तक भारत का लोक सब कुछ सहन  कर दींदन पर जब राजनीती अपण स्वार्थ की ऊंचाई पर जांदी तो जनता इन वातावरण पैदा कर दीन्दी कि अशोक साम्रज्य , गुप्त साम्राज्य , भोज , विक्रमादित्य , मुगल अर अविजित ब्रिटिश साम्राज्य  अफिक नेस्ताबूद ह्वे गेन।  
        मि गढ़वाल संबंधित एक ऐतिहासिक सच्चाई बतांदु।  गुरख्या 12 साल तक लंगूरगढ से अगनै नि बढ़ सकिन किलैकि जनता तै शाह वंशीय राजा पर भरवस छौ किन्तु जनि श्रीनगर राजा पर भरवस खत्म ह्वे जनता का गुख्यों का प्रति  प्रतिरोधात्मक शक्ति बि खतम ह्वे गे अर फिर गढ़वाल तै गुर्ख्यों गुलाम हूण पोड। 
                        इटालियन बौ , नागपुर का बाडा , कोलकत्ता का लाल कुर्ती वळा या फटीं साडी वळि , यूपी बिहार मा ठग विद्या फैलान वळ , पंजाब , ओडिसा , तमिलनाडु तै अपण बाप दादों की जागीर समजण वळा राजनीतिज्ञों जरा टक्क लगैक सूणो कि राजनीति आवश्यक च पर भारत हित  तै बलि देकि अपण स्वार्थ सिद्धि तो क्वी प्रजातंत्र नी च।  निथर जनता को तो कुछ नि जालो किन्तु तुम तै वोट तो छवाड़ो पाणी दीण वळ बि क्वी नी मीलल सैत ! 



16 /7  /15 ,Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India 
*लेख की   घटनाएँ ,  स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में  कथाएँ चरित्र , स्थान केवल व्यंग्य रचने  हेतु उपयोग किये गए हैं।
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