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सती सावित्री कु ठौ सिलोगी से किलै नराज , गुस्सा , क्रोधित च ?
चबोड़ , चखन्यौ मा चर्चा -चरखा ::: भीष्म कुकरेती
सिलोगी (ढांगू ) - ये कैंडुळौ सती सावित्री ठौ ! त्यार त ये मैना मजा होला हैं ?
कैंडुळ गांवक (ढांगू ) सती सावत्री कु ठौ -बात नि कौर हाँ !
सिलोगी -अरे ये ये मैना कैंडुळ गांव मा त्यार ठौ मा म्याळा लगल कि ना ?
सती सावत्री ठौ -उँह !
सिलोगी -ह्याँ इन बुले जांद कि त्यारी ठौ मा यमराजन सती सावित्री तै वींको पति सत्यवान की जिंदगी बौड़ै छै। सही बात च कि ना ?
सती सावत्री ठौ - त्वै तै क्या पड़ीं च इकमी कैंडुळम यमराजन सती सावित्री तै वींको पति सत्यवान की जिंदगी बौड़ै छै।
सिलोगी -क्या मतलब ? मि तै क्या पड़ीं च ?
सती सावत्री ठौ -हाँ त्वै तै ले क्या पड़ीं च ? त्वै तै मेरी क्यांकि फिकर ? त्यार ल्याखन तो भंगुल जामि जैन धौं !
सिलोगी
-अरे इन बुलणी छै। सरा हिन्दुस्तान मा ये इ कैंडुळ ही इन जगा च जखा कुण
बुले जांद कि इख धर्मराज यमराजन सती सावित्री तै सत्यवान की जिंदगी लौटै
छे।
सती
सावत्री ठौ -हाँ ! हाँ ! सरा हिन्दुस्तान मा ये इ कैंडुळ ही इन जगा च जखा
कुण बुले जांद कि इख धर्मराज यमराजन सती सावित्री तै सत्यवान की जिंदगी
लौटै छे। त्वै तै क्या पड़ीं च ?
सिलोगी
-मि तै क्या पड़ीं च कि .... अरे ढांगू क्या सरा उत्तराखंड वास्ता बड़ी
गर्व की बात च कि ढांगू मंडल कु कैंडुळ गाँव ही इन जगा च जखा कुण बुले
जांद कि इख धर्मराज यमराजन सती सावित्री तै सत्यवान की जिंदगी लौटै छे।
सती सावत्री ठौ -हाँ पर त्वै तै क्यांको गर्व ?
सिलोगी -अरे तू मे से तीन चार मील दूर छे अर नयारक छाल सरोड़ा मरोड़ा से बि द्वी तीन मील अळग होली धौं !
सती सावत्री ठौ -त्यार ल्याखन क्या च कि मि एक अनोखी , अनूठी , अद्विका जगा छौं। नि बुला मीमान !
सिलोगी -इखमा द्वी राय नि छन कि सरा भारतम कैंडुळक सावित्री ठौ बेजोड़ , विशिष्ठ या बेमिसाल जगा च।
सती
सावत्री ठौ -ह्यां पर तू चुप रौ त्वी ले कामक हूंदो तो मि आज ढांगू वळु
कुण बि अनजाना , बेगाना, अजाण जगा छौं। सि द्याख नी तीन कि मै से पैथराक
स्थापित हुयां धार्मिक स्थल डांडा नागराजा , भैरव गढ़ , नीलकंठ आज संसार
प्रसिद्ध ह्वे गेन। तू ही ले कामक हूंदो तो मै डांडा नागराजा , भैरव गढ़ ,
नीलकंठ जन जगाऊँ तरां आज भारत मा प्रसिद्ध हुँदु।
सिलोगी
-अरे पर इकमा मि कौर सकुद कि त्वै से पैथराक स्थापित हुयां धार्मिक स्थल
डांडा नागराजा , भैरव गढ़ , नीलकंठ आज संसार प्रसिद्ध ह्वे गेन।
सती सावत्री ठौ -तू ही ले कामक हूंदो तो मै बि डांडा नागराजा , भैरव गढ़ , नीलकंठ जन जगाऊँ तरां आज भारत मा प्रसिद्ध हुँदु।
सिलोगी
-ह्यां तू प्रसिद्ध नि ह्वे तो कैंडुळ वळु पर गुस्सा होदी। क्रोधित ही
हूणै त देहरादून का गौरव -सौरव होटलुं मालिक कैंडुळक मनोहर लाल जुयाल पर
ह्वेदी , रुस्याणै तो कैंडुळक सिविल इंजीनियर रवि जुयाल पर ह्वेदी।
गुस्सा ही हूणै तो मुंबई मा ट्रैवल एजेंसी का मालिक अशोक काळा पर होदी।
अरे आनन फानन मा त्वै से पैथराक स्थापित हुयां धार्मिक स्थल डांडा नागराजा
, भैरव गढ़ , नीलकंठ आज प्रसिद्ध ह्वे गेन पर सावित्री का ठौ सरीखा
अन्यन , अनोखा , विशिष्ट धार्मिक स्तहल प्रसिद्ध तो छोडो गुमनामी मा च तो
इखमा सिलगी का क्या दोष ?
सती
सावत्री ठौ - हे सिलगी ! यदि तू एक कामक टूरिस्ट प्लेस साबित ह्वे जांद
तो मि अफिक प्रसिद्ध ह्वे जांदो। त्यार इक टूरिज्म लैक इंफ्रास्ट्रक्चर
हूंद जन कि होटल , मोटल , रिजॉर्ट आदि तो फिर देहरादून का गौरव -सौरव
होटलुं मालिक कैंडुळक मनोहर लाल जुयाल पर ह्वेदी , रुस्याणै तो कैंडुळक
सिविल इंजीनियर रवि जुयाल, अशोक काळा आदि कुछ करदा।
गोदेश्वर
कु शिव मंदिर - हाँ हाँ सावित्री ठौ सही बुलणु च। मी बि डांडा नागराजा ,
भैरव गढ़ , नीलकंठ से पैथरौ नि छौं किन्तु हे सिलोगी ! त्वै सरीखा जगा यदि
प्रसिद्ध टूरिस्ट प्लेस का रूप मा स्थापित नि होलु तो हम सरीखा प्राचीन
कालीन धार्मिक स्थल पर्यटक स्थल का रूप मा स्थापित नि ह्वे सकदवां।
सिलोगी -ह्यां पण ?
गोदेश्वर
कु शिव मंदिर - सिलोगी डाँड़ ! तू तो इन जगा मा छे कि गढ़वाल मा शायद मसूरी
डांड ही त्वै जन होला फिर तू प्रसिद्ध टूरिस्ट प्लेस किलै नि बण सकुणु छै ?
सती
सावत्री ठौ -हाँ तू जैदिन प्रसिद्ध ह्वै जैल मि कश्मीर से कन्यकुमारी अर
सोमनाथ से जगनाथ तक अफिक प्रसिद्ध ह्वे जौलु। हम सरीखा धार्मिक स्थलों तै
पर्यटक स्थल स्थापित हूणो वास्ता त्वै सरीखा केंद्रीय पर्यटक स्थल की मदद
चयेंद।
सिलोगी -द लगा बल सुंगरुं दगड़ मांगळ !
सती सावत्री ठौ -सुंगरुं दगड़ मांगळ ?
गोदेश्वर कु शिव मंदिर - सुंगरुं दगड़ मांगळ ?
सिलोगी
-अरे जब तक ढांगू वळुम चेतना नि आली म्यार ख़ाक विकास होलु ? जब तक ढांगू
वळ खुद नि बिजल तब तक कुछ नि ह्वे सकुद। स्थनीय लोगुं की चेतना ही बड़ी
हूंदी। द्याख नी च तुमन री गांवक चमोली लोगुं मा जागरण आइ तो डाँडाक
नागराजा आज पूरा गढ़वाल मा प्रसिद्ध ह्वे गे। स्थनीय मानव शक्ति ही कै स्थान
तै पर्यटक स्थल प्रसिद्ध कर सकदी।
गोदेश्वर कु शिव मंदिर -यी ढांगू वळ कब बिजल ?
सती सावत्री ठौ -यी ढांगू वळ कब बिजल ?
सिलोगी - अरे इन पूछदि कि यी ढांगू वळ बिजल बि कि ना ?
18/7 /15 ,Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India
*लेख की घटनाएँ , स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में कथाएँ , चरित्र , स्थान केवल व्यंग्य रचने हेतु उपयोग किये गए हैं।
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