उत्तराखंडी ई-पत्रिका की गतिविधियाँ ई-मेल पर

Enter your email address:

Delivered by FeedBurner

उत्तराखंडी ई-पत्रिका

उत्तराखंडी ई-पत्रिका

Wednesday, July 29, 2015

उत्तराखंड में महाभारत संकलन , व सम्पादन - व्यास आश्रम माणा या ब्यासचट्टी ?

Collection and Editing of Mahabharata and Vyasashram
                              उत्तराखंड में महाभारत संकलन , व  सम्पादन -   व्यास आश्रम माणा या ब्यासचट्टी ? 
 
                          Ancient  History of Haridwar, History Bijnor,   Saharanpur History  Part  -154                       
                                                हरिद्वार इतिहास ,  बिजनौर  इतिहास , सहारनपुर   इतिहास  -आदिकाल से सन 1947 तक-भाग - 154                     

                                               इतिहास विद्यार्थी ::: भीष्म कुकरेती  


                 महाभारत में हरिद्वार , बिजनौर , सहारनपुर का वर्णन 

महाभारत में हरिद्वार, बिजनौर व सहरनपुर क्षेत्र का वर्णन खूब मिलता है।  शकुन्तला की कथा भी महभारत में आई है। महाभृत में भृगु श्रृंखला का वर्णन है जो हरिद्वार के बिलकुल पास है। 
 कई प्रसंग सिद्ध करते हैं कि महभारत के अधिसंख्य भागों का संकलन, सम्पादन शुंग काल में पंचनद से बाहर उत्तराखंड में हुआ। (डा डबराल ).
                       व्यास गुफा माणा और ब्यास चट्टी 
व्यास को महाभारत के संपादक के रूप में ख्याति प्राप्त है।  महाभारत के शांति पर्व ( ३२४ /१२-१३ ) में उल्लेख  है कि व्यास आश्रम गंधमाधन श्रृंग के पास गुफा में गंगा तट पर था।  यह विदित है कि माणा गाँव के ऊपर व्यास गुफा में पांच छह महीने लिखा ही नही जा सकता।  याने कि व्यास का दूसरा आश्रम भी होना चाहिए।  क्या नयार नदी और गंगा संगम के पास व्यास ऋषि का जाड़ों का आश्रम रहा होगा ? ब्यास चट्टी के बारे में किवदंती है कि व्यास मुनि ने यहां तपस्या की थी।
                         महाभारत के दो पाठ 
  महाभारत के दो पाठ हैं -उत्तर भारतीय पाठ और दक्षिण भारतीय पाठ। 
उत्तर भारतीय पाठ तर्कसंगत नही है और कथाएँ भी अस्पष्ट सी हैं। 
दक्षिण भारतीय पाठ उच्चकोटिका है।  दक्षिण भरतीय पाठ के संकलन में उत्तराखंड का वर्णन अधिक है और अवश्य  संकलनकर्ता उत्तराखंड पर मुग्ध ही नही अपितु  संकलनकर्ताओं  को बिजनौर , सहारनपुर , हरिद्वार से लेकर बद्रीनाथ तक  ज्ञान था। 


Copyright@
 Bhishma Kukreti  Mumbai, India 30 /7/2015 
   History of Haridwar, Bijnor, Saharanpur  to be continued Part  --155

 हरिद्वार,  बिजनौर , सहारनपुर का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास  to be continued -भाग -155



      Ancient History of Kankhal, Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient History of Har ki Paidi Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient History of Jwalapur Haridwar, Uttarakhand ;  Ancient  History of Telpura Haridwar, Uttarakhand  ;   Ancient  History of Sakrauda Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient  History of Bhagwanpur Haridwar, Uttarakhand ;  Ancient   History of Roorkee, Haridwar, Uttarakhand  ;  Ancient  History of Jhabarera Haridwar, Uttarakhand  ;   Ancient History of Manglaur Haridwar, Uttarakhand ;  Ancient  History of Laksar; Haridwar, Uttarakhand ;     Ancient History of Sultanpur,  Haridwar, Uttarakhand ;     Ancient  History of Pathri Haridwar, Uttarakhand ;    AncientHistory of Landhaur Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient History of Bahdarabad, Uttarakhand ; Haridwar;      History of Narsan Haridwar, Uttarakhand ;    AncientHistory of Bijnor;    Ancient  History of Nazibabad Bijnor ;    Ancient History of Saharanpur;   Ancient  History of Nakur , Saharanpur;    Ancient   History of Deoband, Saharanpur;     Ancient  History of Badhsharbaugh , Saharanpur;   Ancient Saharanpur History,     Ancient Bijnor History;
कनखल , हरिद्वार का इतिहास ; तेलपुरा , हरिद्वार का इतिहास ; सकरौदा ,  हरिद्वार का इतिहास ; भगवानपुर , हरिद्वार का इतिहास ;रुड़की ,हरिद्वार का इतिहास ; झाब्रेरा हरिद्वार का इतिहास ; मंगलौर हरिद्वार का इतिहास ;लक्सर हरिद्वार का इतिहास ;सुल्तानपुर ,हरिद्वार का इतिहास ;पाथरी , हरिद्वार का इतिहास ; बहदराबाद , हरिद्वार का इतिहास ; लंढौर , हरिद्वार का इतिहास ;बिजनौर इतिहास; नगीना ,  बिजनौर इतिहास; नजीबाबाद , नूरपुर , बिजनौर इतिहास;सहारनपुर इतिहास;  Haridwar Itihas, Bijnor Itihas, Saharanpur Itihas

No comments:

Post a Comment

आपका बहुत बहुत धन्यवाद
Thanks for your comments