Collection and Editing of Mahabharata and Vyasashram
उत्तराखंड में महाभारत संकलन , व सम्पादन - व्यास आश्रम माणा या ब्यासचट्टी ?
Ancient History of Haridwar, History Bijnor, Saharanpur History Part -154
हरिद्वार इतिहास , बिजनौर इतिहास , सहारनपुर इतिहास -आदिकाल से सन 1947 तक-भाग - 154
इतिहास विद्यार्थी ::: भीष्म कुकरेती
Copyright@ Bhishma Kukreti Mumbai, India 30 /7/2015
History of Haridwar, Bijnor, Saharanpur to be continued Part --155
हरिद्वार, बिजनौर , सहारनपुर का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास to be continued -भाग -155
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महाभारत में हरिद्वार , बिजनौर , सहारनपुर का वर्णन
महाभारत में हरिद्वार, बिजनौर व सहरनपुर क्षेत्र का वर्णन खूब मिलता है। शकुन्तला की कथा भी महभारत में आई है। महाभृत में भृगु श्रृंखला का वर्णन है जो हरिद्वार के बिलकुल पास है।
कई प्रसंग सिद्ध करते हैं कि महभारत के अधिसंख्य भागों का संकलन, सम्पादन शुंग काल में पंचनद से बाहर उत्तराखंड में हुआ। (डा डबराल ).
व्यास गुफा माणा और ब्यास चट्टी
व्यास को महाभारत के संपादक के रूप में ख्याति प्राप्त है। महाभारत के शांति पर्व ( ३२४ /१२-१३ ) में उल्लेख है कि व्यास आश्रम गंधमाधन श्रृंग के पास गुफा में गंगा तट पर था। यह विदित है कि माणा गाँव के ऊपर व्यास गुफा में पांच छह महीने लिखा ही नही जा सकता। याने कि व्यास का दूसरा आश्रम भी होना चाहिए। क्या नयार नदी और गंगा संगम के पास व्यास ऋषि का जाड़ों का आश्रम रहा होगा ? ब्यास चट्टी के बारे में किवदंती है कि व्यास मुनि ने यहां तपस्या की थी।
महाभारत के दो पाठ
महाभारत के दो पाठ हैं -उत्तर भारतीय पाठ और दक्षिण भारतीय पाठ।
उत्तर भारतीय पाठ तर्कसंगत नही है और कथाएँ भी अस्पष्ट सी हैं।
दक्षिण भारतीय पाठ उच्चकोटिका है। दक्षिण भरतीय पाठ के संकलन में उत्तराखंड का वर्णन अधिक है और अवश्य संकलनकर्ता उत्तराखंड पर मुग्ध ही नही अपितु संकलनकर्ताओं को बिजनौर , सहारनपुर , हरिद्वार से लेकर बद्रीनाथ तक ज्ञान था।
Copyright@ Bhishma Kukreti Mumbai, India 30 /7/2015
History of Haridwar, Bijnor, Saharanpur to be continued Part --155
हरिद्वार, बिजनौर , सहारनपुर का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास to be continued -भाग -155
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