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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Thursday, July 16, 2015

स्रुघ्न नगर स हरिद्वार, बिजनौर , सहारनपुर इतिहास संदर्भ में

 Srughna City in context Ancient  History of Haridwar,  Bijnor,   Saharanpur 


                                         स्रुघ्न नगर - हरिद्वार इतिहास ,  बिजनौर  इतिहास , सहारनपुर  इतिहास संदर्भ में

                          Ancient  History of Haridwar, History Bijnor,   Saharanpur History  Part  -  143                                                                     हरिद्वार इतिहास ,  बिजनौर  इतिहास , सहारनपुर   इतिहास  -आदिकाल से सन 1947 तक-भाग - 143                     

                                               इतिहास विद्यार्थी ::: भीष्म कुकरेती  


        Hjajme  Nakmura states in his book A History of Early Vedanta Philosophy Vol.2 page- 64" Srughna is refereed frequently in Mahabhashya. It has been said that Srughna is either Saharanpur or Sugh of Today. 

        कुलिंद जनपद का मुख्यालय स्रुघ्न यमुना तट  पर बसा था। संभवतया तब यमुना उस ओर बहती थी जहां आज यमुना की पश्चमी नहर बहती है। 
नगर रक्षा हेतु सुदृढ़ प्राकार बना था। प्राकार का निर्माण ईंटों से हुआ करता था। प्राकार  चौड़ा  था और लोग उस पर चला करते थे। उस समय तीन ही राजधानियों में सुरक्षित प्राकारा थे।  काशिका ने भी स्रुघ्न के प्राकार प्रकार किया है - अंतरा तक्षशिलां पाटलिपुत्र च स्रुघ्नस्य प्राकाराः। 
    स्रुघ्न के बाहर गहरी परिखा थी जिसमे यमुना का जल भरा होता था। प्राकार पर कई द्वार थे जो द्वारपालों से सुरक्षित थे। पारिखा के उप्र पल भी थे। आक्रमणकारी पुल व प्राकार को भेद कर ही नगर में घुस सकते थे। 
   सातवीं सदी तक स्रुघ्न के प्राकार का ऊपरी हिस्सा गिर चुका था किन्तु निचला हिस्सा दृढ़ता  से बचा हुआ था।
                                  स्रुघ्न में राजकीय आगार , आवास 
 स्रुघ्न नगर में राजकीय निवास, राजसभा , कोषागार , भंडार , आदि बने थे। 
     शुल्क उगाई के लिए शुल्कशालाएं थीं। 
आमोद प्रमोद हेतु नाट्यशालाएं निर्मित थीं। 
 आगारों  का दायित्व उनमे नियुक्त अधिकारीयों का था। इन सभी हेतु अधिकारी थे। 
        नगर में चुदे मार्ग थे।  रथ चलते थे। भीतरी भाग में 'पुर ' (सभ्रांत ) व बाहरी बहग में चाण्डालादि वर्ग निवास करते थे।
                                        मकान 
वर्षा का पानी मकानों में न घुसे इसलिए मकानों के फर्स ऊँचे और पक्के बनाये जाते थे। प्रकाश व वायु आने जाने हेतु मकानों में गोल  खिड़कियां होती थी। घर के अंदर आँगन होते थे।  स्नानागार होते थे।  टांगने के लिए खूंटियां दीवार में गाडी जाती थी। घर में दीपक रखने हेतु अलग जगह होती थी। 
      घर के द्वार बंद करने लौह श्रिंघला /चेन होती थीं। 
           सभ्रांत बहुमंजली प्रासादों   में रहते थे।  समृद्धि अनुसार प्प्रासादों का आकर व रचना होती थी। दीवारें ईंटों की होती थी। ऊपरी मंजिल में मालिक व निचली मंजिलों में सहायक रहते थे। 
 स्रुघ्न के प्रासाद दूर से ही दिख जाते थे।  प्रासादों के मामले में स्रुघ्न व पाटलिपुत्र संपन शहर थे। 
 प्रसादों को समाज व स्रुघ्न का गौरव  माना जाता था। 
 


** मुख्य संदर्भ डा डबराल, महाभाष्य ,  व अग्निहोत्री का पतञ्जलिकालीन भारत Copyright@ Bhishma Kukreti  Mumbai, India 16/7/2015 
   History of Haridwar, Bijnor, Saharanpur  to be continued Part  --144

 हरिद्वार,  बिजनौर , सहारनपुर का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास  to be continued -भाग -
144


      Ancient History of Kankhal, Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient History of Har ki Paidi Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient History of Jwalapur Haridwar, Uttarakhand ;  Ancient  History of Telpura Haridwar, Uttarakhand  ;   Ancient  History of Sakrauda Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient  History of Bhagwanpur Haridwar, Uttarakhand ;  Ancient   History of Roorkee, Haridwar, Uttarakhand  ;  Ancient  History of Jhabarera Haridwar, Uttarakhand  ;   Ancient History of Manglaur Haridwar, Uttarakhand ;  Ancient  History of Laksar; Haridwar, Uttarakhand ;     Ancient History of Sultanpur,  Haridwar, Uttarakhand ;     Ancient  History of Pathri Haridwar, Uttarakhand ;    AncientHistory of Landhaur Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient History of Bahdarabad, Uttarakhand ; Haridwar;      History of Narsan Haridwar, Uttarakhand ;    AncientHistory of Bijnor;    Ancient  History of Nazibabad Bijnor ;    Ancient History of Saharanpur;   Ancient  History of Nakur , Saharanpur;    Ancient   History of Deoband, Saharanpur;     Ancient  History of Badhsharbaugh , Saharanpur;   Ancient Saharanpur History,     Ancient Bijnor History;
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