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कुछ गढ़वळि हँसिकाएँ
चबोड़ , चखन्यौ , चचराट ::: भीष्म कुकरेती
भगवानो एक मिनट
मनिख -भगवान ! क्या यु सही च बल आपक एक मिनट पृथ्वी मा हजारों सालुं बरोबर हूंदन ?
भगवान - हाँ पुत्र या बात सत्य च कि म्यार एक मिनट पृथ्वी मा हजारों सालुं बरोबर हूंदन।
मनिख - ईश्वर ! क्या या बात सच च कि आपक एक ढेला बरोबर पृथ्वी मा खरबों बरोबर हूंदन
भगवान - एकदम सत्य। म्यार एक धेला बरोबर पृथ्वी मा खरबों बरोबर हूंदन।
मनिख - तो प्रभु ! मि तै एक धेला रुपया दे दियां बस।
भगवान -पुत्र मि त्वै पर प्रसन्न छौं। इलै मि त्वै तै एक धेला अवश्य देलु। एक मिनट जग्वाळ कौर बस ।
२-
एक -तू अफु तै समजद क्या छे ?
दुसर - अर तू अफु तै क्या समजद क्या छे ?
पैलु -मि बगैर सियाँ एक घंटा तक दौड़ सकुद।
दुसर - तो इखमा क्या च ? मि बगैर चल्यां दस घंटा तक लगातार से सकुद।
३-
म्यार जनम गौं मा ह्वे अर चालीस साल से मुंबई मा रौंदु। मुंबई कबि नि सींदी। अर जसपुर इन स्थान च जु तुम तै हर समय सींद दिखुद।
23 /7 /15 ,Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India
*लेख की घटनाएँ , स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में कथाएँ , चरित्र , स्थान केवल व्यंग्य रचने हेतु उपयोग किये गए हैं।
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