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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Sunday, July 26, 2015

संसद द्यूराण -जिठाण्यूं लड़णो चौक च , अखाड़ा च , युद्धक्षेत्र च , !

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                                  संसद  द्यूराण -जिठाण्यूं लड़णो चौक च , अखाड़ा च , युद्धक्षेत्र च , ! 

                                               रोष, गुस्सा,  , हताशा  मा   :::   भीष्म कुकरेती 

मास्टर  जी -हाँ तो पता च ना कि मीन ब्याळि तुम कुण 'भारतीय संसद ' पर निबंध लिखणो ब्वाल थौ ?
सब - मासाब ! ब्याळि ना।  चार दिन पैलि।  चार दिन बिटेन तो आप कोटद्वार अपण नौनीक के . जी   .  मा एडमिसन कराणो जयां छया। 
मास्टर - सालो चुप ! मीन खाल खैंचण तुमर ! अध्यापक से जुबान लडौन्दा ? ब्वालो मीन ब्याळि क्या बोलि छौ ?
सब - जी संसद पर निबंध। 
मास्टर - संसद ना अपितु 'भारतीय संसद ' पर निबंध। 
सब - जी 'भारतीय संसद' पर निबंध। 
मास्टर -तो  ये सुंदरी 'भारतीय संसद ' पर तीन क्या ल्याख ?
 सुंदरी  -यूँ तो भारत एक कृषि प्रधान देश च त इख किसान बि हूंदन।  चूँकि हमर देस मा प्रजातंत्र च त इख भयानक भयानक अलग किस्मौ मनिख -मनखेणि बि हूंदन जौंकुण हम विधायक या सांसद बुल्दां।  यि जानवर संसद रूपी चारागाह मा चरणा जांदन। पैलाक सांसद संसद तै नीतियों पर बहस का मंदिर , नीति स्वीकृति की मस्जिद , जनकल्याण का चर्च -गुरद्वारा समजदा छया पर अब सांसद संसद तै क्या समजदन यी नरेंद्र मोदी , मैडम सोनिया गांधी , मास्टर मुलायम  ,  अमित शाह जन नेताओं की समज मा इ नि आणु तो वोट खतण वळु  अर वोट नि दीण वळु समज मा क्या आण ? बस जी। 
मास्टर -बस ?
सुंदरी -जी जब युवराज  राहुल गांधी , युवराज दुष्यंत कुमार , राजकुमारी सुले ,राजकुमारी कनिमोझी का समझ मा इ औणु कि संसद क्या च त मै सरीखा छात्रा क्या ख़ाक बताली कि संसद क्या च ? 
मास्टर - चल बै बंदरु ! तू बोल 'भारतीय संसद' क्या च ?
बंदरु - यो तो भारत एक कास्तकारूं देस च पर इक संसद बि च अर  सांसद बि छन।  सांसदुं काम सिरफ़ अर सिरफ़ एकी काम च कि कै बि हिसाब से संसद मा हो हल्ला , चिल्ल्म चिल्ली , कुहराम हूणों रौ।  सांसद हमारा लड़ाका कौम च। बस जी मीन इथगा इ ल्याख। 
मास्टर -हा ये भुंदरी रु तू बता तीन क्या ल्याख ?
भुंदरी -यूँ तो भारत एक  कृषि प्रधान देस च।  कृषि प्रधान देस च त तीस प्रतिशत से अधिक लोग गरीबी रेखा का तौळ छन।  गरीबी हटाणो बान जनता सांसद चुणदि।  सांसदुं काम च संसदीय परम्परा अर संविधान विरुद्ध संसद कुंवा पास घपरोळ करण , अर काळा झंडा या बैनर लेक घ्याळ करण।  याने सांसदुंक  एकी काम च संसद ठप्प पड़ी रावो,  अर सांसदुं तै भत्ता मिलदा जावो। विरोधी पार्टी जब संसद तै हल्ला, घपला , घपरोळ ते वाधित  कराणम सफल हूंदी तो वीं तै गर्व हूंद अर सरकारी पार्टी तै पसीना छुटदन।   चूँकि संसद च तो संसद अध्यक्षा या अध्यक्ष बि हूंद।  संसद अध्यक्षा को एकि काम रै गे संसद शुरू हूंदी द 'हाउस  इज अडजौर्न्ड फॉर फिफ्टीन मिनट्स , ' हाउस  इज अडजौर्न्ड फॉर टुडे ' या 'हाउस  इज अडजौर्न्ड फॉर मेनी मंथ्स '  बुलण ।  संसद नि चलण से भारत पर जोर का चूना लगद।  बस। 
मास्टर -हाँ बै गुंदुरु ! तीन  'भारतीय संसद' पर क्या ल्याख ?
 गुंदुरु - यूँ तो भारत एक कृषि प्रधान देस है इसलिए इख रोज किसान आत्महत्या करदन।  चूँकि किसान आत्महत्या करदन तो इलै भारत मा भारतीय संसद बि च। 'भारतीय संसद'   द्यूराण -जिठाण्यूं लड़णो चौक च, एक अखाड़ा च , भारतीय संसद' एक युद्ध क्षेत्र च, । 'भारतीय संसद' मा  अखड़ाबाज बगैर बातो कुस्ती लड़दन, पैल बयानो से एक दुसर तै घायल करदन अर जब या से काम नि चलद , तो लात घूँसा चल्दन अर तब बि सांसदुं याने विधायकों का ज्यु नि भोरे तो तो कुर्सी , माइक , पेपरवेट से एक दुसर पर वार करदन। खून का फव्वारा छूटन या ना पर सरकारी अस्पतालों मा पट्टी बंधणा जांदन अर पट्टी पत्रकारों तै अवश्य दिखाँदन।  आज तक क्वी बि सांसद अपण कुकर्मों पर शर्मसार तो नि ह्वे पर जनता रोज शरम का मारी खुदकशी करणो वास्ता चुल्लू भर पाणी खुज्याणि रौंदी। संसद एक अखाड़ा च , युद्धक्षेत्र च , द्यूराण -जिठाण्यूं लड़णो चौक च !
मास्टर -ये निर्भाग्युं ! यी तुमन गंभीर अर गुस्सा वाळी बात चबोड़ , चखन्यौ अर हंसोड्या भौण मा लेखी दे ? क्या बात च ?
कुछ  (जोर से )- जी हम सब अच्काल फेसबुक मा नेत्र सिंह असवाल , पूरण पंत पथिक अर हरीश जुयाळै कविता जि पढ़ना रौंदा तो हम न यीं भौण मा निबंध लेखी दे। 
बकै ( हौर जोर से ) - जी दर्शन सिंह नेगी अर भीष्म कुकरेती का व्यंग्य बि हम फेसबुक मा पड़दां तो हमारी भौण इनि    .... 
मास्टर - पर किताब मा 'भारतीय संसद ' का बारा मा इन कुछ बि नि लिख्युं च तो तुमन यु उटपटांग क्या लेखी दे ?
सबि (इकछुटि ) - जी हम रोज लोकसभा अर राजयसभा टीवी लाइव जि दिखदाँ।   जु हम दिखदां वी हमन  निबंध मा लेखी दे।   
 

24/7  /15 ,Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India 
*लेख की   घटनाएँ ,  स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में  कथाएँ चरित्र , स्थान केवल व्यंग्य रचने  हेतु उपयोग किये गए हैं।
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