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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Tuesday, July 7, 2015

अमोधभूति परवर्ती कुणिंद नरेश (अल्मोड़ा नरेश)

  Post Amodhabhuti Kuninda Kings   & Haridwar, Bijnor,   Saharanpur History  (Almora Coins )
                         अमोधभूति परवर्ती कुणिंद नरेश (अल्मोड़ा नरेश) 


                       Ancient  History of Haridwar, History Bijnor,   Saharanpur History  Part  -  137                      
                                                हरिद्वार इतिहास ,  बिजनौर  इतिहास , सहारनपुर   इतिहास  -आदिकाल से सन 1947 तक-भाग -   137                    

                                               इतिहास विद्यार्थी ::: भीष्म कुकरेती  


        
                   अल्मोड़ा से उपलब्ध मुद्राएं 

 अमोघभूति के पश्चात कुणिंद नरेशों के चार मुद्राएं प्राप्त हुयी हैं (डबराल ). अल्मोड़ा में मिलने से इन्हे अल्मोड़ा मुद्राएं खा जाता है। 
चारों मुद्राएं आकर में समान है। इन मुद्राओं में साम्यता न होने के बाद भी विशेषतायें लिए हुए हैं -
                          मृगभूति अथवा मार्गभूति 
      इन मुद्राओं में मात्राओं की अशुद्धि है जो उस काल की विशेषता थी।  इस मुद्रा में लेख है - म - ग - भ त स।  यह मुद्रा शिवदत्त की मुद्रा के समान आकार की है।  नामन्त में शायद धनभूति , बलभूति और अमोघभूति के समान भूतिस (भूतस्य ) है।  यदि पहले अक्षर मिग (मृग ) या मग्ग (मार्ग ) हैं तो नरेश का नाम मृगभूति या मार्गभूति हो सकता है। 

                       शिवदत्त 
 मुद्रा के आगे वाले भाग में बड़े बड़े अक्षरों में ब्राह्मी में  सिवदतस लेख हैं।  लेख मुद्रा की परिधि के समानांतर है।  लेख से पूर्व वेष्ठिनी से घिरी स्वेदी वृक्ष के सम्मुख नंदी खड़ा है।  मध्य में संभवतया नाग है (ऐलन ). रेप्सन इस पशु को हिरन मानता है।  
                 मुद्रा के पीछे भाग में नन्दिपाद के उप्र इन्द्रयष्टि बड़ी बड़ी रेखाओं द्वारा बनाया गया है।  इसी मुद्रा की अंकन समानता अयोध्या से प्राप्त कुमुदासेन व अजवर्म मुद्राओं में भी मिलता है (ऐलन ) .

                           हरिदत
    मुद्रा का निर्माण अस्वधानी व कम परीक्षित व शिक्षित शिल्पकारों द्वारा हुआ है।  अंकन में अशुद्धियाँ हैं।  मुद्रा पर हरिदतस याने हरिदतस्य प्रतीत 'होता है।  मुद्रा का आगे का हिस्सा और पीछे का हिज्जे के अंकन शिवदत मुद्रा नाकं जैसे हैं।
                                    शिवपालित 

  इस मुद्रा में भी असावधानी से अंकन हुआ है।  मुद्रा पर नरेश नाम शिवपालित्स्य होना चाहिए था किन्तु अंकन है - शिवपालि।  सिक्के के पीछे भाग में किसी परुष या देवता आकृति अंकित है।  देवता के सम्मुख नाग अंकित है जैसे शिवदत या हरिदत की मुद्राओं में अंकित है।   


Copyright@
 Bhishma Kukreti  Mumbai, India 8/7/2015 
   History of Haridwar, Bijnor, Saharanpur  to be continued Part  --138

 हरिद्वार,  बिजनौर , सहारनपुर का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास  to be continued -भाग -
138


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