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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Monday, July 6, 2015

दुष्यंत कुमार की मशहूर हिंदी ग.ज.ल का गढवाली रूपांतर ।

गढवाली रूपांतर: नेत्रसिंह असवाल

कखा त बल़्णि छै बग्वाल़ यख मवार खुणै
कखा स्यु हर्चिगे बतुलो भी गौं जवार खुणै ।

यखा त डाल़्यूं का छैलु घाम लगद ब्वयो

चला जि फुंडु कखी हौर गौं गुठ्यार खुणै ।

नि ह्वा कमीज त घुंजौंल पेट ढकि ल्याला

इ लोग कन लौबाणी का जाण पार खुणै ।

खुदा नि ह्वा न सही आदमी को ख्वाब सही

दिखण दिखौण्य त छैं छ दिल दुख्यार खुणै ।

उ बौंहडा. पड्यां कि ढुंगु गैल़ि नी सकदो

मैंकू उठाप्वड. आवाज मा अंगार खुणै ।

तेरो निजाम छ डामी दे थुंथरि शायर की

उज्याड. बाड. जरूरी छ यागितार खुणै ।

जियां त चांठ अपणा डाल़ि गछ फुलार फुनैं

म्वरां त बोण बिरणा डाल़ि गछ फुलार खुणै ।

गढवाली रूपांतर: नेत्रसिंह असवाल

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