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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Thursday, July 9, 2015

ये परधान ! अब तू इ म्यार नातिक पूठ धू !

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                               ये परधान ! अब तू इ म्यार नातिक पूठ धू ! 
                   
                        चबोड़ , चखन्यौ , चचराट   :::   भीष्म कुकरेती 
ब्वारी - ये जी क्या कन ?
सासु (बुडड़ि ) कन क्या करण।  तौं गोरुं तै तड़म लगादि।  गोर मा जादि। 
ब्वारी - हाँ पर ये निर्भागणि नाक कु फुंजल। ब्याळि त मीन अपण नौनी बोलिक  फूंजि दे पर रोज रोज कु फूंजल बच्चोंक नाक। ग्विरमिलाक ह्वे गे अर अबि बि ईंक नाक पर पपड़ा लग्यां छन। 
सासु -मि तै नि सुणा हाँ।  मीन त नि फुंजण तैंकि नाक। 
ब्वारी - हाँ पर परधान ज्योरूम तो जावो कि इन कब तक बगैर नाक फुँज्यां कब तक राला हमर नौना -नौनी। 
सासु - हाँ बोट लींद दैं तो खुट मा पोड़ि छौ अर  नाती नतिण्यूं नाक फुंजणो सवाल ऐ तो ददि मरि गे तै परधानै।    मि यीं तै लेकि परधानम जांदु अर वैमा इ ईंक नाक पुंजेक लांदु।   तुम गोरम  चल जावो। 
(बुडड़ि नातण लेकि चल जांदी )
जवान बुडड़ि - ये दीदी ! कख जाणि छे /
बुडड़ि  - जाण कख च वै परधानौ कुण रूणो जाणु  कख ! अर तेरी लाठी कखक दौड़ मा ?
जवान बुडड़ि -मि बि परधानौ खत्ता भरणो इ जाणु छौं अर। क्या  हमन त ब्वाल पढयूं -लिख्युं च तो गाँवकुण कुछ कारल पर यु त अनपढ़ों से बि फंड च कुछ बि विकासौ काम नि करदु। 
बुडड़ि  -हाँ तो बुन्याइ  सीं मेरि नातणि नाक दिखदि -सुबेर बिटेन नाक बगणु च पर अबि तक परधानौ इन मर्युं च ईंक नाक साफ़ नि ह्वे साक। 
जवान बुडड़ि - तैंको त नाक इ ले च।  म्यार ये नातिक त द्वी दिन बिटेन पूठ इ साफ़ नि ह्वे।  अजकालो फेसबुक्या , इंटरनट्या ब्वार्युं कुण क्या बुलण।  ब्वारी बुलणि च जब बच्चोंक सफाईका का काम ग्रमसभौ क च त किलै बच्चोंका नाक हम साफ़ करला ? 
बुडड़ि  -उन ब्वार्युं बुलण बि सै च किसरकारौ काम हम किलै करवां ?
जवान बुडड़ि -हाँ हमर काम च बच्चोंका नाक -पूठ साफ़ करण ? आज तो  मीन परधानौ बांठै इन धरण कि सोरग मा वेक बुबा ददा बि याद करण बिसे जाला।  क्या परेशानी हुइं च द्वी दिन ह्वे गेन अर म्यार नातिक पूठ पुंजणो क्वी नि आयि। 
बुडड़ि  -ले सि परधान बि अपणो चौक मा मिल गे। 
जवान बुडड़ि -क्या रै परधान क्या बण गे तो त्वेपर फंकर लग गेन हैं ?
परधान -क्या ह्वे बोड्युं  ? हाँ नाक पूठ पुंजणो बात हो तो बात नि करिन हाँ।  सुबेर बिटेन सब तै जबाब दींद दींद मेरि टक टूटि गे। 
बुडड़ि  -अरे हम जबाब मांगणो नि अयां छंवां। मि त अपण नातिणो नाक फुंजाणो अयुं छौ। 
जवान बुडड़ि -अर मि तीम अपण नातिक पूठ फुंजवाणो अयुं छौं। 
परधान - यां सुबेर बिटेन समजान्द समजान्द म्यार गिच्च पर फ्यूण ऐ गे कि बच्चों का नाक -पूठ फुंजणो कर्तव्य ग्रामसभा को नी च। 
बुडड़ि  - अरे पिछला द्वी मैनौं मा त  हमर बच्चोंका नाक -पूठ सरकारी आया इ फुंजणि छे कि ना ?
जवान बुडड़ि - क्या सज से सौज सौज वा आया बच्चोंक नाक फुंजदि छे , बड़ा सलीका से पूठ फुंजदि छे अर डिटॉलन पूठ धूंदि छे , फिर नरम तौलिया से पुंछदि छे , अर अंत मा पाउडर छिड़कदि छे।  बच्चा कथगा बिगरौ से अपण नाक अर पूठ साफ़ करवान्द छा।  अर अब सब बंद किलै कार तीन ?
परधान - मेरी बोइयो ! यह सरकारी योजना थी।  तुम लोगुं तै सफाई प्रशिक्षण दीणो बान आया भिजे गे छे कि तुम गाँव वळ सफाई सीखी जैल्या।  पर काण्ड इ लग गेन कि तुम अब अपण इ बच्चों नाक पूठ साफ करण भूलि गेवां। 
बुडड़ि  - अब त पूठ धूण त राइ दूर हम तै बच्चोंका नाक कागज से बि साफ करण मा घीण लगद। 
परधान - हाँ पर अब सफाई प्रशिक्षणों योजना खतम ह्वे गे। 
जवान बुडड़ि - हम कुछ नि जाणदा तू इ हमर नाती नतिण्यूं नाक पूठ साफ़ कर। 
बुडड़ि -निथर याद च हमन त्वे से पैलाक परधानौ क्या हाल करिन ! कोढ़ी जन अपर उबरौन भैर नि आंदो अब। 
परधान - अरे मि संगळी बौ कुण ब्वाल बि च कि मि एक दिनों ध्याड़ी जगा द्वी दिनों मनरेगा की ध्याड़ी द्योलु पर वा बौ तो एक दिनाकी ध्याड़ी जगा चार दिनों ध्याड़ी मंगणी च। 
जवान बुडड़ि -तो दे देदी एक दिनों बदल चार दिनों ध्याड़ी।  मनरेगा कु यु त फायदा च कि -
परधान - अरे पर मथि वाळ आठ दिनों ध्याड़ी पौंछाणो बुलणा छन। 
द्वी इकछुटि -हाँ चैन से रौण त हमकुण आया का प्रबंध कौर।  निथर ----- 
परधान -ठीक च।  मि मथि फोन करदु।  (फोन पर )  हाँ साब ठीक च आया का बाबत आपौ कुण एक दिनौ ध्याड़ी जगा आठ दिनौ ध्याड़ी पौंछि जाली।  ओ धन्यवाद जी। 
परधान - जावो संगळी बौ तै भ्याजो।  स्याम बिटेन नाक -पूठ पुंजणो ऐ जाली।  अब त जावा संगळी बौ तै जल्दी भयाजो। 


9 /7  /15 ,Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India 
*लेख की   घटनाएँ ,  स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में  कथाएँ चरित्र , स्थान केवल व्यंग्य रचने  हेतु उपयोग किये गए हैं।
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