संकलन - भीष्म कुकरेती
१- कवितौ मुंडळी (शीर्षक ) झकाझक खौंऴयाण वळ, चटपटो हूणि चयेंद अर बांद जन आकर्षित हूण चयेंद। मुंडळ बंचनेरुं तैं भट्याण वाळ हूण चयेंद।
२-कविता मा चमत्कार हूण इ चयेंद।
३- कविता से पाठक तैं दुनिया तै दिखणौ एक बिलकुल नया , अभिनव नजरिया मिलण चयेंद।
४-कविता मा बिलकुल एक नई अंतर्दृष्टि हूण चयेंद।
५-कविता मा एक धारणा या छवि या चित्र इन बणण चएंद कि पाठक साँस रोकि कविता आनन्द ल्यावो।
६-छवि या चित्र इं दुनिया का या पाठकों समज लैक ही हूण चयेंदन।
७-कविता का एक विषय से दुसर विषय मा प्रवेश इन नि लगण चयांद कि दुसर विषय अनधिकृत रूप से प्रवेश करणु च याने के हेरक विषय का एक दुसर से संबंध हूण चएंद। याने कि कविता मा भटकाव नि हूण चएंद।
८-कविता गद्यात्मक , छ्न्दविहीन ह्वावो तो भी कविता मा मधुर ध्वनि हूण जरुरी च।
९- कवि का विषय या ढौळ कवि का वास्ता कविता रचण से पैलि खुद का वास्ता आश्र्चर्य मिश्रित हूण चयेंद।
१०- कविता चाहे सर्वज्ञात घटना की ही किलै नि ह्वावो फिर भी कविता मा कुछ ना कुछ रहस्य हूण चयेंद।
११- कविता मा एक विलक्षण भौण हूण चएंद।
१२-कविता मा एक विलक्षण बात /सन्दर्भ/प्रतीक /बिम्ब हूणि चयेंद .
१३-कविता से पाठक तैं क्रियाशील या कल्पनाशील हूण जरुरी च।
१४-यदि विषय अर घटना सर्वज्ञात च त कविता की भाषा मा कल्पना/चमत्कार हूण जरुरी च।
१५-यदि भाषा सपाट च त विषय मा कल्पना/चमत्कार हूण चएंद।
१६-फोकट का समजाणो कोशिस नि हूण चएंद बलकणम कविता मा कल्पना शीलता या छवि तै अफिक समजाण लैक हूण चएंद।
१७- कुछ कल्पना का काम पाठकों वास्ता छुड़न जरूरी च।
१८- द्वी शब्दों या द्वी वाक्यों बीच एक परम शान्ति बि हूण चएंद जन कि घंटी आवाज का बाद एक शान्ति होंद।
१९-हरेक शब्द तै कवि का सुच्युं मनमुताबिक भावना या चित्र पैदा करण चएंद।
२०- कविता से कवि अर पाठक दुयुं तैं थोड़ा भौत असुवुधा, असहज , कष्ट, महसूस करण चएंद।
२१- कविता तै एक इन सवाल पैदा करण चयांद जैक उत्तर असंभव नि ह्वावो पण कट्ठण जरुर हूण चयेंद।
२२- हर आश्चर्य से पाठकों से घनिष्टता बढ़ण चएंद।
२३- हर बार जब कवि कविता रचो तो कविता रचणो एक नयो आविष्कार हूण जरूरी च।
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