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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Sunday, September 1, 2013

सवादि कविता का गुण

 संकलन - भीष्म कुकरेती
१- कवितौ मुंडळी (शीर्षक ) झकाझक खौंऴयाण वळ,  चटपटो  हूणि चयेंद अर बांद जन आकर्षित हूण चयेंद।  मुंडळ  बंचनेरुं तैं भट्याण वाळ हूण चयेंद।  
२-कविता मा चमत्कार हूण इ चयेंद।  
३- कविता से पाठक तैं  दुनिया तै दिखणौ एक बिलकुल नया , अभिनव नजरिया मिलण चयेंद। 
४-कविता मा बिलकुल एक नई अंतर्दृष्टि हूण चयेंद।  
५-कविता मा एक धारणा या छवि या चित्र इन बणण चएंद कि   पाठक साँस रोकि कविता आनन्द ल्यावो।  
६-छवि या चित्र इं  दुनिया का या पाठकों समज लैक ही हूण चयेंदन। 
७-कविता का एक विषय से दुसर विषय मा प्रवेश इन नि लगण चयांद कि दुसर विषय अनधिकृत रूप से प्रवेश करणु च याने के हेरक विषय का एक दुसर से संबंध हूण चएंद। याने कि कविता मा भटकाव नि हूण चएंद।  
८-कविता गद्यात्मक , छ्न्दविहीन ह्वावो तो भी कविता मा मधुर ध्वनि हूण जरुरी च।  
९- कवि का विषय या ढौळ  कवि का वास्ता कविता रचण से पैलि खुद का वास्ता आश्र्चर्य मिश्रित हूण चयेंद।
१०- कविता चाहे सर्वज्ञात घटना की ही किलै नि ह्वावो फिर भी कविता मा कुछ ना कुछ रहस्य हूण चयेंद।   
११- कविता मा एक विलक्षण भौण हूण चएंद। 
१२-कविता मा एक विलक्षण बात /सन्दर्भ/प्रतीक /बिम्ब हूणि चयेंद . 
१३-कविता से पाठक तैं क्रियाशील या कल्पनाशील हूण जरुरी च।  
१४-यदि विषय अर घटना सर्वज्ञात च त कविता की भाषा मा कल्पना/चमत्कार  हूण जरुरी च।  
१५-यदि भाषा सपाट च त विषय मा कल्पना/चमत्कार  हूण चएंद।  
१६-फोकट का समजाणो कोशिस नि हूण चएंद बलकणम कविता मा कल्पना शीलता या छवि तै अफिक समजाण लैक हूण चएंद। 
१७- कुछ कल्पना का काम पाठकों वास्ता छुड़न जरूरी च।  
१८- द्वी शब्दों  या द्वी वाक्यों बीच एक परम शान्ति बि हूण चएंद जन कि घंटी आवाज का बाद एक शान्ति होंद।  
१९-हरेक शब्द तै कवि का सुच्युं मनमुताबिक भावना या चित्र पैदा करण चएंद।  
२०- कविता से कवि अर पाठक दुयुं तैं थोड़ा भौत असुवुधा, असहज , कष्ट, महसूस करण  चएंद। 
२१- कविता तै एक इन सवाल पैदा करण चयांद जैक उत्तर असंभव नि ह्वावो पण कट्ठण जरुर हूण चयेंद।  
२२- हर आश्चर्य से  पाठकों से घनिष्टता बढ़ण चएंद।  
२३- हर बार जब कवि कविता रचो  तो कविता रचणो एक नयो आविष्कार हूण जरूरी च।  

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