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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Friday, September 13, 2013

नांगमुंड्याs /गंजा कु दुःख

चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती  

 अब जब पारिवारिक चरित्र अग्वाड़ि ऐइ जांद !
जब जवानी मा क्वी गंजा ह्वे जांद त इनि बुले जांद बल तैक इक गंजा हूण खानदानी गुण।  च पुरण जमन मा टुपला  पगड़ी होंदि छे त गंजा हूणो दुःख पता नि चलदो छौ।   तब बनि  बनि टुपला  पगड़ी पैर ल्यावो अर गंजापन ढकि ल्यावो।  अब इन नि च अब त एक बि बाळ झौड़ो ना कि आस पड़ोसी तै पता चल जांद अर पड़ोसी ब अपण चौक  बालकोनी मा  नै तरां क बाळ दिखदन त  बुल्दन ," यी बाळु  गुच्छा कुछ कनफणि सि किसमौ च।  जरुर क्वी गंजा हूणु च। "
 फिर जब झुर मुर बरखा होंदि छे त पता हि नि चलदो कि झुर मुर बरखा हूणि च।  बरखा बूंद बाळु मा पड़दा छा।   जब गंजा ह्वे जावो त झुर -मुर बरखा बि तड़क्वणि लगदन। 
जख मुख धूणमा एक गिलास पाणि लगद अर   गंजा ह्वे जावो त मुख धूणमा  डेढ़ गिलास पाणि लगण बिसे जांद। 
इंटरव्यू दीणो जावो त गंजा देखिक गेट पराकु चपड़ासी बि बुलण लग जांदो  बल "साब वैकेन्सी  इनर्जेटिक , यंग नौन्याळु कुण च।  हम तै इथगा अनुभवी आदिमै जरूरत नी च। "
गंजा देखिक अपण क्लास कि छोरि बि 'जी जी ' करिक बात करदन अर कबि कबी त "अंकल अंकल जरा अपण नोट्स दें जरा … " करिक भट्यांदि। 
गौं  मुहल्ला की बौ  बि गंजा द्यूर की छौं बरतदन जन बुल्या जिठा जी या मम्या ससुर ह्वावो ! 
शादी शुदा गंजा   की जनानी का आस पास  जवान छ्वारा म्वार /भौंरों की डार (झुण्ड )  मा घुमणा रौंदन। अर हर समय वींकि सहायता वास्ता खड़ा रौंदन।  
कति छ्वारा त गंजा की घरवळि तैं गंजा का ही समणि सलाह दींदन ," भाभी  जी ! अंकल को च्यवनप्राश  के अलावा दूध में इनर्जी टैबलेट जरुर देते रहिये। " बिचारो गंजा परेशान रौंद कि   छ्वारों कुण वैकि घरवळि अबि तलक भाभी च अर वु अंकल ह्वे ग्यायि। 
गंजा का बच्चा बि बिचारा परेशान रौंदन जब शादी ब्यौ पार्टी मा लोग वूं बच्चों तैं गंजा का समणि हि पुछदन कि "क्या बात तुमर पिताजी नि ऐन जु तुम लोग अपण ब्वाडा क दगड़ अयां छा ?"
मि खुद तीस सालम गंजा ह्वे गे छौ त मि तैं पता ही नी च कि कंघी , खुशबूदार हेयर ऑइल अर शैम्पू मा कथगा वैज्ञानिक विकास ह्वे गे। 
कबि समौ रालो त मि तुम तैं बथौलु कि गंजा तैं ईं निर्दयी दुनिया मा क्या क्या भुगतण पड़द।     



Copyright@ Bhishma Kukreti  14 /9/2013



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