चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती
मि तैबरै बात करणु छौं जब हमर गाँ मा केवल ग्राम पंचायत छै अर तब हमर इख पंचायत राज नि ऐ थौ।
अहा तब बि हमर गाँ मा ग्राम पंचायतौ चुनाव हूंद था अर अब बि पंचायत राजौ चुनाव हूंदन। तब बि गौं लोगुं तै मुंडरु हूंद थौ आज बि मुंड फूटै से लोगुं तैं मुंडर हूंद।
पंचायत चुनाव सुचना आवो ना कि सरा गाँ सुंताळ मा चलि जांद छौ कि कै तैं पंच प्रधान बणौला ? आज बि पंचायत राज मा समस्या - पंच -प्रधान कै तैं चुनणौ की ही च बस आयाम -डाइमेंनसन बदलि गेन।
जब वै बगत मि छ्वटु छौ अर हमर प्रजातंत्र बि ग्वाइ लगान्द लगान्द जवान हूण बिसे गे छौ त सरा गां परेशान रौंद छौ कि प्रजातंत्र तै जवान हूणों बान पंच -प्रधान कखन लौला ? तब पंच -प्रधान बणणो क्वी तयार नि हूंद थौ। अर अब परेशानी या च कि जौंक बुबाको जनम गां मा बि नि ह्वे वी बि विजय बहुगुणा अर साकेत बहुगुणाक तरां पंच -प्रधान -सरपंच -जिला परिषदौ चुनाव लड़णो मैदानी लठैतुं दगड़ ऐ जांदन। कोठी दिल्ली -देहरादून मा अर चुनाव लड़न गढ़वाल का गांवुं मा।
तब गां वाळ फिकर का मारा सींद नि छा , खांद नि छया। जब क्वी बि पंच -प्रधान बणणो तयार नि हूंद छौ त इकै आदिम तैं पंच बणणो बान लोग बारा बारा दिन ,छै छै राति वै मनिखौ चौक मा पड्याँ रौंद था अर तब तक डट्याँ रौंद था जब तलक वू मनिख पंच बणणो हाँ नि बोलि दयावो। याने लोग हैंक तैं पंच बणाण मा एक द्वी मैना व्यस्त रौंदा था। लोगुंम द्वी मैना तक एकी काम रौंद छौ कि कनि कौरिक बि ग्राम प्रधान अर पंच मिल जावन !
अब बि परिस्थिति तकरीबन ऊनि च पण तरीका दुसर ह्वै गे। अब जब तलक चुनाव नि ह्वै जावन तब तलक हमर चौक मा चुनाव प्रत्यासी क लठैत मैदानी पिस्तौल लेक बैठ्या रौंदन अर हम यूँ दिनु प्रर्त्यास्युं दियीं लठैत जेड सेक्युरिटी मा रौणो मजबूर रौंदा।
तब पंचैत मा माल -मलाई नि हुंदी छे त क्वी पंच -प्रधान बणणो तयार नि हूंद थौ अर सरा गां तैं पंच प्रधान बणाणो बान मेहनत करण पोड़द छे।
अब पंचैत मा इथगा माल -मलाई च कि दुधि बच्चा बि प्रधान बणणो बान पर्चा भौरिक ऐ जांद। प्रवासी जु अपण ब्वे -बुबा मरण पर गां नि आंदन वो बि चुनाव लड़णो या चुनाव लड़वाणों बान गां ऐ जांदन।
हौर दिनों जै गां मा कवा बि नि दिखेंदा छा उख अचकाल चुनावी कवारौळी मचीं रौंदी , किलैकि समणी पर सब्युं तैं मनरेगा , जनरेगा अदि की मलाई जि दिख्यांदी।
जख प्रेम की बंसुळी बजदी छे उख अब युद्ध की रणभेरी बजदी।
जख पैल पता इ नि चलदो छौ कि ये गां मा कथगा जाती छन उख अचकाल पंचैत चुनावुं बगत एकि चुलखन्दो मा भाइ -भाइ अलग अलग पक्वड़ पाकंदन। अजकाल जाति नि बंटेंदन भयात बंटेदि। गुटबन्दी , जाती -बंदी आज चुनाव का जर -जेवर -जवाहरात -गहणा ह्वे गेन।
अजकाल पति अपण वाइफ़ पर बि बिश्वास नि करदो अर बुबा अपण नौनु पर भरवस नि करदो त कुंठित ह्वेका सबि दारु क तलौ मा डुबकी मारणा रौंदन। दारु पर ही अब सब विश्वास करदन। प्रत्यासी बि शराब पर विश्वास करदो कि वोटर शराब पेकि मेरि भकलौण मा आलु त वोटर बि शराब पर विश्वास करदो कि जु जादा शराब पिलालु वो ही ग्राम हितैषी होलु। शराब भरोषा दिलाणो माध्यम ह्वे ग्यायि।
पैल लोग पंच -प्रधान इलै बणदा छा कि सेवा करे जावो आज लोग पंच -प्रधान इलै बणदन कि सरकारी योजना से मेवा खाए जावो।
Copyright@ Bhishma Kukreti 30 /9/2013
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