चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती
अजकाल उत्तराखंडी सोसल मीडिया ग्रुपुं से सुबेर सुबेर समाचार आणो सिलसिला बि शुरू ह्वे ग्यायि। खबर दीण , रंत रैबार भिजण भलो मनिखों काम च।
पण अचकाल चाहे समाचार अखबारों मा ह्वावो , टेलीविजन मा ह्वावो या सोसल मीडिया मा ह्वावो। कख्याक बि समाचार सुबेर सुबेर पढ़ण लैक नि रौंदन।
सुबेर सुबेर इना दाता से याने भगवान से सब्युं सुरक्षा बान प्रार्थना रौंद करणु त उना ऐफ़ ऐम रेडिओ मा सुबेर सुबेरा मुख्य समाचार सुण्यादि बल ब्याळि रात फलां मन्दिर से चोर मन्दिर की करोड़ो की सम्पति चूरे लीगेन अर स्थानीय लोगुं चोरी शक पुजारी अर नेताओं पर च ! इन समाचार सूणिक भगवान से रक्षा कवच कनै मांगे जावो ?
कनि कौरिक दिल समजै -बुजैक प्रार्थना अगनै बढांदु कि कि हे धनवन्तरी ! हे अश्वनी कुमारो ! हमर परिवार तैं विभिन्न रोगों से दूर रखेन ! त टेलीविजन ब्रेकिंग न्यूज ! ब्रेकिंग न्यूज की गूँज कंदुडुं मा आंद बल बजार मा मिलावटी दवाइयोँ धंधा जोरों से चलणु च। अब इन दिलगुदाज (ह्रदय विदारक ) खबर सूणिक प्रार्थना करणों ज्यू कैक बुल्यालो ?
खैर प्रार्थना कौरिक फलाहार का वास्ता फल पर जांदि कि टेलीविजन पर फिर से ब्रेकिंग न्यूज की गूँज आँदि बल दर्शको ! सावधान ! फलों पर हाथ बि नि लगैन। फलों के के अन्दर पकाने के लिए , रंग के लिए इंजेक्सन से जहर भर रहे हैं। इन जहरीली खबर सूणि फल देखिक ही ज्यू सूख जांद।
इना स्वास्थ्य रक्षा बान सुबेर सुबेर दूधौ गिलास हथ पर लींदु , एक घूंट जनि पींदु कि नौनु अखबार बांचदो अर खबर सुणांदु कि सरा भारत मा मिलावटी दूध को व्यापार अपण चरम सीमा पर च। मिलावटी दूध को समाचार सुणि गौळुन्दक दूध उल्टी ह्वेक भैर ऐ जांदो।
बेटी कॉलेज जाणै तयार होंदि कि टीवी मा समाचार सुणेद बल भारत मा ब्याळिरात हरेक राज्य मा बलात्कार की घटना ह्वेन। भारत मा बलात्कार के घटनाओं मा आशातीत वृद्धि हूणी च अर अब त शिक्षकों अर मा छौंपा दौड़ (होड़ , प्रतियोगिता ) लगीं च कि कु जादा बलात्कार कारल ! सुबेर सुबेर इन दिल्सोख्ता (दग्ध हृदय ) खबर सुणिक कु ब्वे -बाब बेटियुं तै कॉलेज भिजण मा उत्साह दिखालु। सुबेर सुबेर की निरुत्साही खबर पौढिक सरा दिन बेटी की चिंता ही लगीं राली कि ना ?
बेरोजगार बेटा सुबेर सुबेर अंग्रेजी अखबार मा रोजगार खुज्याणो बान अखबार खुल्दो तो अखबारम पैलो पेजौ हेडिंग " भारत में कम्पनियां रोज हजारों की संख्या में अपने कर्मचारियों को बर्खास्त कर रही हैं " पौढिक निरुत्साहित होलु कि ना ? वै तैं क्या अपण भविष्य उज्ज्वल दिख्याल ?
पैलि सुबेर सुबेर टेलीविजन , अखबारों अर सोसल मीडिया मा नकारात्मक खबर सुणिक , पौढ़ीक सरा दिन भर मन नकारात्मक दिशा मा इ घुमणु रौंद।
अब इन्टरनेट पर सोसल मीडिया मा बि नकारात्मक खबर पढ़णो मिल्द त दिल खट्टो ही हूंद।
अब इन्टरनेट पर सोसल मीडिया मा बि नकारात्मक खबर पढ़णो मिल्द त दिल खट्टो ही हूंद।
मि सकारात्मक समाचारों जग्वाळ मा रौंद बल सकारात्मक समाचारों से सरा दिन भर उत्साह रालो, कुछ करणों इच्छा होलि।
दिख्या कबि त इन दिन आलो कि अखबारों पैल पेज मा सकारात्मक खबरूं से भर्युं रालो।
Copyright@ Bhishma Kukreti 7/9/2013
[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी के जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के पृथक वादी मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण वाले के भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य;सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य श्रृंखला जारी ...]
No comments:
Post a Comment
आपका बहुत बहुत धन्यवाद
Thanks for your comments