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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Thursday, September 26, 2013

चलो देहरादून तैं सेंटर ऑफ़ आइडियाज की राजधानी बणौला !

चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती 

घरवळि- आज क्या छंवां इखुल्या -इखुलि बात करणा , पुळयाणा (खुश हूण ) , दुखी हूणा , हंसणा  …। 
मि -  कुछ ना ! आज एक बिलकुल विचार आई बल 
घरवळि-छ्वाड़ो तुम उत्तराखंड के लिख्वारुंम द्वी इ विचार आंदन  कि पहाड़ों से पलायन हो रहा है , और गाँवों में  शराब आम बात हो गयी है। 
मि -  नै नै !
घरवळि-सूणों तुम प्रवासी छंवां त तुम  अफु त टुंड ह्वेक दारु पींदा अर दगड़म ह्यळि गडणा रौंदा बल पहाड़ शराब मा डूबि ग्यायि।  
मि -   नो नो दिस टाइम 
घरवळि-दिस टाइम और ओल्ड टाइम ! यू हिपोक्रेट माइग्रेटेड गढ़वालीज थिंक अबाउट माइग्रेसन शुड बि स्टौप्ड।  अर जब गां मा कैक दाड़ी -मूछ आयि ना कि वैतैं लेकि दिल्ली -मुंबई ऐ जांदवा ! 
मि -  नै नै ये बगत बहुत नयो विचार आयुं च। 
घरवळि-जरा सुणावो त सै कि कै द्वी सौ साल पुरण विचार तैं तुम न्यू आइडिया बुलणा  धौं ! 
मि -  म्यार विचार च बल देहरादून तैं सेंटर ऑफ़ आइडियाज   की राजधानी बणण  चयेंद। 
घरवळि-यु सेंटर ऑफ़ आइडियाज कु विचार छ क्या च?
मि -  देख पैल पेरिस तैं सेंटर ऑफ़ आइडियाज की राजधानी बुले जांद थौ। 
घरवळि-तो ?
मि -  पण अब पेरिस मा नया आइडियौं कमि आण बिसे गे अर सैत च लन्दन तैं सेंटर ऑफ़ आइडियाज की राजधानी क खिताब मील जावो !
घरवळि-तो ?
मि -  त म्यार विचार च कि लन्दन से पैल अगल्वार मारे जाव अर देहरादून तैं सेंटर ऑफ़ आइडियाज की राजधानी बणये जावु ! 
घरवळि-सेंटर ऑफ़ आइडियाज की राजधानी बान क्या क्या करण पोड़ द ?
मि -  सेंटर ऑफ़ आइडियाज की राजधानी का लोग आउट ऑफ बौक्स याने अपण सीमा से भैर इनक्रोचमेंट करिक  सुचदन 
घरवळि-अरे वाह ! देहरादून मा हरेक  नागरिक अपण सीमा से भैर का बारा मा इ  सुचदन। हरेक घर , हरेक दुकान , हरेक बिल्डिंग सरकारी जमीन मा इनक्रोचमेंट करणी ही रौंद कि ना ? यांक मतबल च सचमुच मा देहरादून वाळ आउट ऑफ बौक्स याने अपण सीमा से भैर इनक्रोचमेंट करणों बान ही सुचणा रौंदन।  
मि -  ओहो मेरो मतलब सरकारी जमीन को इनक्रोचमेंट से नि छौ बलकणम नया नया आइडिया से छौ।  
घरवळि-अच्छा ! त जब अपण नरायण  जीन एक नौन्युं दलाल तैं लाल बत्ती अधिकार देन त क्या वो नयो आइडिया नि थौ  ?
मि - अरे इन आइडिया ना। 
घरवळि-त कन  आइडिया ?
मि -  जन कि एफल टावर बणाण ! 
घरवळि-यी पश्चमी देश हमेशा से भारतs  दगड़ पक्षपात करदन।  हमर देहरादून मा हजारों कचरा का ऐफल टावर छन  त देहरादून सही माने मा सेंटर ऑफ़ आइडियाज की राजधानी ह्वे कि ना ?
मि -  ओहो सिन ना ! जख विचारक नदी छाल पर कुर्सी मा बैठिक बड़ा बड़ा विचार -विमर्श करदन।  
घरवळि-यी पश्चमी लोग सरासर हमारी अवहेलना करदन।  हमर देहरादून मा नदी नि ह्वावन पण नदी जन गंदा- गू -मूत से भर्याँ सैकड़ों खुला नाळा  छन जौंक किनारा पर , चाय-फलाहार ,  खाण पीणै सैकड़ो  दुकान छन अर हम नागरिक ख़ुशी ख़ुशी गू -मूत से भर्याँ गंदा खुला नाळो किनारा खाणों चीज बि खांदवाँ अर दगड़म भारत मा गिरती स्वास्थ्य सुवधाओं पर घंटो बहस बि गंदा, खुला नाळो किनारा नि करदा क्या ?
मि -  ओहो मेरो मतबल नई तकनीक खुज्याण अर वै तैं व्यवहारिक रूप दीण से च।   
घरवळि-नई तकनीक का मामला मा  बि हमर देहरादून अन्तराष्ट्रीय स्तर पर अग्वाड़ी च। हमारा राजनेता , सरकारी अधिकारी , ठेकेदार घूस लीणो अर ब्लैक मनी छुपाणो बान इन इन तकनीक इस्तेमाल करदन कि पेरिस का विचारक त हमर समणि पाणि भौरल ! 
मि -  ह्यां म्यार मतबल शिक्षा से बि छौ। 
घरवळि-अरे देहरादून त शिक्षा का मामला मा हमेशा से अग्वाड़ि छौ अर आज बि च। देहरादून मा जथगा स्कूल छन वां से दस गुणा कोचिंग  सेंटर छन।  देहरादून मा जथगा छात्र छन उथगा प्राइवेट ट्यूटर बि छन अब यां से जादा देहरादून शिक्षा मामला मा क्या कौर सकुद ?
मि -  ओहो आधुनिक संस्कृति बि सेंटर ऑफ़ आइडियाज की राजधानी का वास्ता जरूरी हूंद। 
घरवळि-इखमा क्या च आज हरेक गढवाळिन अपण संस्कृति छोड़ि याल त यांसे बिंडी आधुनिक संस्कृति क्या हूंद ?फिर अब जरा रात विर्त कारुं मा क्या क्या हूंद इ बताणो जरुरत च क्या ?
मि -  भै कै बि शहर तैं सेंटर ऑफ़ आइडियाज की राजधानी बणणो बान शहर मा सुरक्षित जीवन जरुरी च। 
घरवळि-अब क्वी हमर इम्पोर्टेड मुख्य मंत्री विजय बहुगुणा जीक सल्ला मशबरा मानन  अर छै बजे सौब अपण कार्यालय बंद कौरिक ड्यार ऐ जावन त देहरादून से बढ़िया सुरक्षित जगा दुनिया मा कखि नी च।  
मि -  तू बि ना मजाक करण पर ऐ गे !
घरवळि-अरे मुंबई मा रौंदा अर देहरादून का बारा मा सुचदा त मीन मजाक नि करण त क्या करण ?
मि -  ह्यां पण मुंबई वाळ हम तैं मुंबई का कख समजदन !
घरवळि-त  देहरादून वाळ त क्या तुमर गां जसपुर वाळ बि तुम तैं जसपुरौ कख माणदन ? 
मि -  इख वाळ हम तैं गैर महाराष्ट्री समजदन अर उख उत्तराखंडी हम तैं गैर उत्तराखंडी माणदन।   त इनमा क्या करे जावो ?
घरवळि-कुछ ना,  अपण रोजी रोटी कमाणम व्यस्त रावो अर क्या ! 




Copyright@ Bhishma Kukreti  27 /9/2013 



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