कवित्री : उमा घिल्डियाल, श्रीनगर
ह्यूं चली डांडी
पैना खंडों बोलदा
उत्तराखंड
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ऊर्जा प्रदेश
नी देखु सकणू
अपणू देश
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हरा बुग्याल
बण गैनी मसाण
ऐंसू का साल
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महाकाल कू
तांडव देखीयाली
ऊंका भक्तों ना
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यम कू डेरा
बणीनी चार धाम
ऐंसू यात्रा मा
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पहाडूं पाणी
पहाड़ की जवानी
काम नि आई
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नंदा कू मैत
बारों मैना मा चैत
बाढ़ मा अचेत
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सड़की ह्वेनी
यमलोक कू बाटू
जून मैना मा
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प्रलय देखी
मार्कंडेय की भाँती
हम सब्युं ना
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धन रे चीड़
सजै देनी तिन ता
सूखी पुंगड़ी।
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