उत्तराखंडी ई-पत्रिका की गतिविधियाँ ई-मेल पर

Enter your email address:

Delivered by FeedBurner

उत्तराखंडी ई-पत्रिका

उत्तराखंडी ई-पत्रिका

Sunday, September 15, 2013

History Gastronomy, agriculture, agro--products in Post Mahabharata Kulinda Janpad

परवर्ती महाभारत कुलिंद जनपद (500 -400 BC )में कृषि , खाद्य यंत्र व भोजन इतिहास 
                     History Gastronomy,  food items, agriculture, agro--products in Post Mahabharata Kulinda Janpad   

                                 उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास --11 
                                        History of Gastronomy in Uttarakhand 11

  

                                      आलेख :  भीष्म कुकरेती 

कुलिंद जनपद का वर्णन महभारत में तो हुआ ही था।  इसके अतिरिक्त अष्टाध्यायी ,  साहित्य व जैन साहित्य में कुलिंद जनपद का वर्णन मिलता है।  अशोक से पहले कुलिंद जनपद  (500 -400 BC ) समृद्ध जनपद था और फिर अशोक के पश्चात भी कुलिंद जनपद का अस्तित्व था. पाणिनि गन्थ में दो ग्रामों आयर पतांजलि ग्रन्थ में इस क्षेत्र (उत्तराखंड व  सहारनपुर आदि ) के दो  वर्णन मिलता है।
                                      परवर्ती महाभारत कुलिंद जनपद (500 -400 में घरेलू सामग्री  


 -बैठने के स्थान - , पराल, मांदरा, चारपाई या चौपाई, चौकी , पीढ़े , कम्बल।  पिंडार घाटी से रांकव कम्बल निर्यात होता था। जंगली व पालतू जानवरों के चरम भी बैठने या सोने बिछौने के  आते थे । 
पात्र /वर्तन मुख्यतया मिट्टी , काष्ट , पत्थर व पत्तों के बनते थे। 
अनादि रखने के लिए बड़ी बड़ी चाटियां (दबल ) होते थे।  
सामग्री रखने के लिए खालों के थैले , लौकी की तुम्बी , आदि थे। 
कांस्य व ताम्र पात्र उपयोग में आते थे। 
                               अन्न पान 
दूध , दही ,  घी , मांश आवश्यक भोजन अंग थे।  
आयतित मसाले भी रहे होंगे क्योंकि मिर्च का यदि वर्णन है तो  काली मिर्च लौंग रहा होगा।  
अदरक , पीपल आदि मसालों का प्रयोग होता था। 
दालचीनी या तमालपत्रम का उपयोग भी होता रहा होगा क्योंकि यह उत्तरी भारत का बहुत पुराना मसाला है। 
सम्भवत: भंग , राई आदि का प्रयोग होता रहा होगा और धनिया या जंगली धनिया भी प्रयोग में  आता होगा . 
मधु मक्खी व शहद - पहाड़ी शहद की मैदानों में बड़ी मांग थॆ. शहद जंगली व  मधु मक्खियों से मिलता था। 
 प्रयोग भोजन में होता था और नमक संभवत: तिब्बत से आयात  होता होगा। . 
कंद , मूल , फलों का ताजा व सुखाकर प्रयोग होता था।  बनैले पत्तों का भी तेमन (साग -भाजी ) प्रयोग होता था. भिस की जडे  बार जिक्र अप्पणजातक में मिलता है ।
यवागू या पतली खिचड़ी सभी को भाति थी। 
मांडी , छाछयुक्त मांडी (लपसी , पलेऊ ) का भी प्रयोग होता था।  
सत्तू सेवन आम बात थी 
कच्चे या पके बालियों /फलियों को भुनकर खाने की  व्यापक प्रथा थी। 
भात , खीर , तिल सहित  चावल -झंगोरा का रिवाज था 
चावल -झंगोरा तरीदार साग, दालों , मांस मच्छी , दूध के साथ  जाने का वर्णन साहित्यों में मिलता है। 
फलों का रस व मदिरा पान भी सामान्य रिवाज था। 
धूम्रवर्तिका (पतिब्यड़ी )   से औषधि या नशायुक्त औषधी का धुंवा पिया जाता था। 
उत्तराखंड की जड़ी -बूटियाँ   प्रसिद्ध थीं
                       कृषि 
आजीविका के साधन थे - कृषि , पशु चारण , आयुध -शस्त्र जीविका और ट्व्यापार /रेडिंग 
      अनाजों में मंडुवा , नीवार (झंगोरा ) , श्यामाक  अनाज थे 
जौ -गेंहू की खेती भी होती थी 
दालों में मूंग , उड़द , तुअर थे 
तिल , कपास व गन्ने का उत्पादन भी होता था।  
                       पालतू पशु 
गाय, भेड़ , बकरी , घोड़े , कुत्ते आदि।  भोटान्तिक क्षेत्र में  पालतू पशु था। 
जनपद  से बैल, भार्गवी घोड़े व उन निर्यात होते थे
               निर्यात या व्यापार होने वाली वस्तुएं 

अंजन , लवण , गुग्गल , मूंज , बाबड़ घास , देवदारु के फूल , उन , ऊनी वस्त्र , भांग व भांग -वस्त्र -रस्सियाँ , कम्बल , पशु खाल , लाख , चमड़े के थैले , दूध , दही , घी , ताम्बा , लौह व पशु 
जड़ी बूटियाँ , विष , बांस -रिंगाल व उपकरण ; भोजपत्र , हाथीदांत , सुवर्ण चूर्ण , सुहागा , शहद , गंगाजल , लवण , टिमर आदि भी निर्यात होते थे।  
 

Reference-
Dr. Shiv Prasad Dabral, Uttarakhand ka Itihas 1- 9 Parts
Dr K.K Nautiyal et all , Agriculture in Garhwal Himalayas in History of Agriculture in India page-159-170 
B.K G Rao, Development of Technologies During the  Iron Age in South India 
V.D Mishra , 2006, Prelude Agriculture in North-Central India (Pragdhara ank 18)
Anup Mishra , Agriculture in Chalolithic Age in North-Central India 
Mahabharata
All Vedas 
Inquiry into the conditions of lower classes of population  
Lallan Ji Gopal (Editor), 2008,  History of Agriculture in India -1200AD
K.K Nautiyal History of Agriculture in Garhwal , an article in History of Agriculture in India -1200AD
Steven A .Webber and Dorien Q. Fuller,  2006, Millets and Their Role in Early Agriculture. paper Presented in 'First Farmers in Global Prospective' , Lucknow  
Joshi A.B.1961, Sesamum, Indian central Oil Seeds Committee , Hyderabad  
Drothea Bradigian, 2004, History and Lore of Sesame , Economic Botany vol. 58 Part-3  
Chitranjan  Kole , 2007  ,  Oilseeds 

Gopinath Mohanty et all, 2007, Tappasu Bhallika of Orissa : Their Historicity and Nativity  

Copyright Bhishma  Kukreti  15 /9/2013 

Notes on History of Gastronomy in Uttarakhand; History of Gastronomy in Pithoragarh Uttarakhand; History of Gastronomy in Doti Uttarakhand; History of Gastronomy in Dwarhat, Uttarakhand; History of Gastronomy in Pithoragarh Uttarakhand; History of Gastronomy in Champawat Uttarakhand; History of Gastronomy in Nainital Uttarakhand;History of Gastronomy in Almora, Uttarakhand; History of Gastronomy in Bageshwar Uttarakhand; History of Gastronomy in Udham Singh Nagar Uttarakhand;History of Gastronomy in Chamoli Garhwal Uttarakhand; History of Gastronomy in Rudraprayag, Garhwal Uttarakhand; History of Gastronomy in Pauri Garhwal, Uttarakhand;History of Gastronomy in Dehradun Uttarakhand; History of Gastronomy in Tehri Garhwal  Uttarakhand; History of Gastronomy in Uttarakhand Uttarakhand; History of Gastronomy in Haridwar Uttarakhand; 

 ( उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास ; पिथोरागढ़ , कुमाऊं  उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास ; कुमाऊं  उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास ;चम्पावत कुमाऊं  उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास ; बागेश्वर कुमाऊं  उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास ; नैनीताल कुमाऊं  उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास ;उधम सिंह नगर कुमाऊं  उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास ;अल्मोड़ा कुमाऊं  उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास ; हरिद्वार , उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास ;पौड़ी गढ़वाल   उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास ;चमोली गढ़वाल   उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास ; रुद्रप्रयाग गढ़वाल   उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास ; देहरादून गढ़वाल   उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास ; टिहरी गढ़वाल   उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास ; उत्तरकाशी गढ़वाल   उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास ; हिमालय  में कृषि व भोजन का इतिहास ;     उत्तर भारत में कृषि व भोजन का इतिहास ; उत्तराखंड , दक्षिण एसिया में कृषि व भोजन का इतिहास लेखमाला श्रृंखला ) 

Notes on History Gastronomy, culinary, cooking, food, cuisine, food recipe, food items, agriculture, agro--products in Post Mahabharata Kulinda Janapad;History Gastronomy, culinary, cooking, food, cuisine, food recipe, food items, agriculture, agro--products in Pithoragarh of Post Mahabharata Kulinda Janapad;History Gastronomy, culinary, cooking, food, cuisine, food recipe, food items, agriculture, agro--products in Champawat of Post Mahabharata Kulinda Janapad;History Gastronomy, culinary, cooking, food, cuisine, food recipe, food items, agriculture, agro--products in Bageshwar of Post Mahabharata Kulinda Janapad;History Gastronomy, culinary, cooking, food, cuisine, food recipe, food items, agriculture, agro--products in Nainital of Post Mahabharata Kulinda Janapad;History Gastronomy, culinary, cooking, food, cuisine, food recipe, food items, agriculture, agro--products in Almora Post Mahabharata Kulinda Janapad;History Gastronomy, culinary, cooking, food, cuisine, food recipe, food items, agriculture, agro--products in Udham Singh Nagar of  Post Mahabharata Kulinda Janapad;History Gastronomy, culinary, cooking, food, cuisine, food recipe, food items, agriculture, agro--products in Pauri Garhwal Post Mahabharata Kulinda Janapad;History Gastronomy, culinary, cooking, food, cuisine, food recipe, food items, agriculture, agro--products in Chamoli district Post Mahabharata Kulinda Janapad;History Gastronomy, culinary, cooking, food, cuisine, food recipe, food items, agriculture, agro--products in Rudraprayag district of Post Mahabharata Kulinda Janapad;History Gastronomy, culinary, cooking, food, cuisine, food recipe, food items, agriculture, agro--products in Tehri and Uttarkashi of  Post Mahabharata Kulinda Janapad;History of Gastronomy, culinary, cooking, food, cuisine, food recipe, food items, agriculture, agro--products in Dehradun of Post Mahabharata Kulinda Janapad;History Gastronomy, culinary, cooking, food, cuisine, food recipe, food items, agriculture, agro--products in  Haridwar of Post Mahabharata Kulinda Janapad;

No comments:

Post a Comment

आपका बहुत बहुत धन्यवाद
Thanks for your comments