आलेख : भीष्म कुकरेती
वैदिक योद्धाओं और पर्वतीय योद्धाओं में यद्ध हुए। अत> वैदिक संस्कृति का प्रभाव हिमालयी क्षेत्र पर लगातार होता रहा था
वेदों में वर्णित कृषि और अनाज इस परकार हैं
ऋग्वेद तक भारतवासी कृषि को अपना चुके थे।
भूमि कृषि और अरण्य (जंगल ) में बती थी।
क्षेत्र (खेतों ) में कृशीवल (किसान ) खेती करते थे।
खाद का उपयोग शुरू हो चुका था और कूल का उपयोग हो चुका था ।
मैदानों में कई जोड़ी बैलों से हल खींचने (लांगुल , सीर ) का वर्णन है।
शतपथ ब्राह्मण में जोतने , बोने काटने और पशुओं से दाईं करने का वर्णन हाई।
फसल को दाथी (दात्र ) से काटकर पुलों (पर्ष ) में बांधा जाता था और खलियानों (खल ) में पटका जाता था। मांडने के बाद चलनी (तितौ )या शूप (शूर्प ) से त्रिण व भूसे (तुष ) को अनाज से अलग किया जाता था। (ऋग्वेद ).
पहले पहल अनाज में केवल जौ (यव ) की खेती होती थी।
बाद में धान , मूंग , उड़द , तिल , अणु , खल्व , मसूर नीवार आदि की खेती प्रारम्भ हुयी
साल भर में दो खेती होने लगी थी
सत्तू का प्रयोग भी शुरू हो चुका था।
फल
फलों में कर्कन्धु (एक प्रकार का खजूर ) , कुवल , बेर का नाम आता है
पशु धन
गएँ आदि दूध, दही घी के लिए पाली जाने लगी थी और खाद के लिए भी
दुग्ध पदार्थ और मांस का बाहुल्य खाने में था
गोठ या गौशाला तरह की शैली शुरू हो चुकी थी
भेड़ का मांस रुचिकर माना जाता था।
औजार
वैदिक संस्कृति ताम्र युग की संस्कृति थी संस्कृति की थी। बाण , गदा , फरसा , बसूला आदि औजार निर्माण होते थे।
अन्न , मांश को भून कर खाया जाता था। पीस कर भी भोजन करने आ चुकी थी
बर्तनों की कमी थी तो पत्तों पर खाना बनाया जाता था। उत्तराखंड में वैदिक संस्कृति या परवर्ती वैदिक संस्कृति के चिन्ह जैसे ढुंगळ संस्कृति , उमी संस्कृति, पत्तों के अन्दर या बांस के अंदर मच्छी पकाना संस्कृति आज भी ज़िंदा है
Reference-
Dr. Shiv Prasad Dabral, Uttarakhand ka Itihas 1- 9 Parts
Dr K.K Nautiyal et all , Agriculture in Garhwal Himalayas in History of Agriculture in India page-159-170
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B.K G Rao, Development of Technologies During the Iron Age in South India
V.D Mishra , 2006, Prelude Agriculture in North-Central India (Pragdhara ank 18)Anup Mishra , Agriculture in Chalolithic Age in North-Central India
Mahabharata
All Vedas
Inquiry into the conditions of lower classes of population
Copyright @ Bhishma Kukreti 6/9/2013
( उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास ; पिथोरागढ़ , कुमाऊं उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास ; कुमाऊं उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास ;चम्पावत कुमाऊं उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास ; बागेश्वर कुमाऊं उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास ; नैनीताल कुमाऊं उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास ;उधम सिंह नगर कुमाऊं उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास ;अल्मोड़ा कुमाऊं उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास ; हरिद्वार , उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास ;पौड़ी गढ़वाल उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास ;चमोली गढ़वाल उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास ; रुद्रप्रयाग गढ़वाल उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास ; देहरादून गढ़वाल उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास ; टिहरी गढ़वाल उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास ; उत्तरकाशी गढ़वाल उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास ; हिमालय में कृषि व भोजन का इतिहास ; उत्तर भारत में कृषि व भोजन का इतिहास ; उत्तराखंड , दक्षिण एसिया में कृषि व भोजन का इतिहास लेखमाला श्रृंखला )
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