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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Sunday, September 1, 2013

महेंद्र सिंह धोनी बखरूं हड़ताल से परेशां !

 चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती  

               जब बखरुन द्याख बल जब बि क्वी धार्मिक नेता बलात्कार प्रयत्न या कुल्टाचार  तहत पुलिस कस्टडी जांद या जेल जांद त वैका च्याला चांठी हड़ताल कौरि दींदन।  जब बखरुंन देखि बल जब क्वी आतंकवादी पकड़े जांद त भारतम सेंसलेस सेक्युलर  अर नॉनसेन्स सेक्युलर पार्ट्यु मा जुद्ध छिड़ जांद अर एकाद जगा दुसर दिन समाचार ऐ जांद बल फलण जगा द्वी गुटुं मा झगड़ा अर उख धारा एक सौ चवालीस लगि गे।  
              जब बखरुंन विश्लेषण कार अर पायि कि अयोध्या मा लोगुं तैं राम मन्दिर की याद तबि याद आंद जब चुनाव नजीक ह्वावन अर बकै दिन कृष्ण से काम चल जांद।  जब बखरूंन कश्मीर मसला को विश्लेष्ण कार त पा बल कश्मीर मा जिहाद करणों क्वी एक बि ठोस कारण नी च अर कश्मीर इथगा बड़ु इश्यु नी च कि कश्मीर तैं जिहाद का बान मनुष्य बलि दियाणि छन।  तो बखरुंन बलि का बकरा बणनो मना करि दे। 
          बखरुं समज मा ऐ ग्याइ बल क्वी बि धार्मिक अनुष्ठान जैमा पशु बळि  दिए जांद वो इश्वारादेस नी च बलकणम मनिखौं बणयां नियम छन अर बखर समजि गेन कि जनि उत्तराखंड का बामणुन मांश भक्षण तै जायज ठैराणो बान शास्त्रीय श्लोक  की रचना कार अर बुल्दन कि वेदुं मा लिख्युं च बल ,"उत्तराखंडे ब्राम्हणे मांश भक्षते, विंध्याचले मातुल कन्या अप्यते  । " अर ये श्लोक का बल पर  उत्तराखंड का बामण मुंडळी का हकदार बण्या छन तो  इनि  शास्त्र अर भगवान का नाम पर हर धर्म की धर्मपुस्तकों  मा कुछ न कुछ लेखिक 'बखर बली ' जायज ठहराये गे।  
                  बस जनि बखरों तैं मनुष्य का आळी -जाळी -स्वार्थी धार्मिक अनुष्ठानो बारा मा तत्व ज्ञान ह्वै बखारोंन हड़ताल कौरि दे अर साफ़ साफ मना करि दे कि "धार्मिक अनुष्ठानो हेतु हम बली का बकरा बनने को कतई भी तैयार नही हैं !" । देखादेखि अठ्वाड़ का ब्याला , घात मा पुज्याणा  मुर्गा, गिगड़ , गड्याळ , बकर ईद मा कट्याण वाळ बल्द बि हड़ताल मा शामिल ह्वे गेन।   
         धरती मा फिर से ऊनि भूचाल ऐ ग्यायि जनि धर्म की लड़ाई हेतु धार्मिक नेताओंन धर्म का नाम पर बच्चों की फ़ौज बणाइ अर लाखों बच्चों तै धर्म युद्ध मा मरवाई।   
  घूस -  भ्रष्ट तरीकों से रुपया कमाओ अर पशु बलि से स्वर्ग पावो का अनुयायी परेशान छया कि अब जब वो पशु बळि नि द्याला त वूं तैं नरक की जगा सोरग कनकै मीलल !
अनाचारी , ब्यभिचारी बि परेशान छा कि इथगा पाप करणों बाद सौंग उपाय छौ कि पशु बळि द्यावो अर पाप हरण कारो। पशु बळि पाप हरता छौ अर अब यी अनाचारी -ब्याभिचारी दुखी छा कि बखरों हड़ताल से यूंका  पाप कनै कट्याल?
आम जनता अर सबि धर्मों का सहिष्णु धार्मिक नेता परेशान नि छ्या बलकणम नया विकल्प की बात करणा छा कि  पशुबळि नि बि ह्वावो तो धर्म रसातल को नि जै सकुद।  आम जनता अर सबि धर्मों का सहिष्णु धार्मिक नेताउं मानण छौ बल धार्मिक अनुष्ठान महत्व पूर्ण नि होंद बलकणम धर्म महत्वपूर्ण होंद।  
  पण व्यापारियुं तैं बखरों हड़ताल से चिर्रि पोड़ गे।  गलादारों तैं पशुऊँ हड़ताल से कुजगा मर्च लगि गे कि अरे हमर व्यापार को क्या ह्वाल ?
महेंद्र सिंह धोनी का परिवार वाळ, साक्षी धोनी व खुद महेन्द्र सिंह धोनी तैयार ह्वे गेन कि सिरी या देओरी मन्दिरम बुगठ्य़ा मारणो जगा रोट या परसाद काटल। 
पण महेंद्र सिंह धोनी का स्पोंसर आशंकित छा कि कखि महेंद्र सिंह धोनी की पशुबळि नि दीण से धोनी की फॉर्म खराब नि ह्वे जावो अर वूंका महेन्द्र सिंह धोनी पर लगायां अरबों रुपया नि डूबि जावन।  स्पोंसरों डौर से महेन्द्र सिंह धोनी बि परेशां छा।  
आम मुस्लिम अर धार्मिक नेता बखरुं हड़ताल से कतै बि परेशान नि छा।  
पण बकर-ईद का बकरा ब्यापारी खौफजदा ह्वे गेन बल बकर ईद पर ही तो वो करोड़ों कमांदन अर पशुबळि बंद ह्वे गे तो इ लोग त रस्ता पर ऐ जाला।  
 सरकार ये मामला मा तटस्थ ह्वे ग्यायी।  
तो व्यापारियोंन अपण द्वी कारिंदों -एक हिन्दू अर एक मुसलमान कारिन्दा तैं बखर समजाणो भेजिन । 
हिन्दू कारिन्दा तैं क्वी ज्ञान नि छौ कि  गीता मा क्या लिख्युं च।     पण एक ज्ञान छौ कि गीता को स्वार्थ पूरक इस्तेमाल से नरक मिलद।  
 वैन बखरों तैं इन समझाई , " द्याखो बकरा समाज ! मि तुम तैं संयोगिता शास्त्र को तत्वज्ञान की बात बथांदु।  संयोगीता  शाश्त्र मा लिख्युं च बल आत्मा अर  शरीर अलग अलग छन।  तुमारी आत्मा अलग भी होलि तो भी कुछ फर्क नि पोड़ल।  हाँ यदि तुमारी देवतौं बान बली चढ़ाई जालि तो तुम तैं नर्क की आग मा नि भर्च्याण पोड़ल बलकणम  अवश्य ही स्वर्ग मीलल अर स्वर्ग मा तुम तै पड्या पड्या अनाजौ चारा अर मखमली पत्ती खाणौ मीलल।  पीणों सदा ही सरस्वती जल मीलल।  बली का बकरा बणण माने स्वर्ग को टिकेट। "
फिर मुसलमान कारिंदा कि बारी आयि।  वै तै बि पता छौ कि कुरान शरीफ का बेवजह इस्तेमाल कुफ्र हूंद।  तो वैन ब्वाल , " देखो ! इब्ने शफी एक बड़ा जासूसी सक्शियत छौ अर इब्ने सफी को फलसफा छौ बल यदि क्वी जनावर खुदा का वास्ता देह त्यागो तो वै जनावर तैं दोजख की आग मा नि भर्च्याण  पोड़ल अर जन्नत को सुख मीलल अर जन्नत मा सदा ही पवित्र पाणि मीलल। "
फिर वूं दुयुंन बखरूं तै नरक का दर्दनाक, दुखी जीवन से डराई अर स्वर्ग का सुखी जीवन का बारा मा बड़ा बड़ा सब्जबाग दिखाइन ।  दुयुंन सिद्ध करि दे कि पशुबळि से पशुओं तै ही स्वर्ग मिलद अर कै बि हिसाब से नर्क नि मिल्द।  
बखर मनुष्यों भकलाण मा ऐ गेन अर वो बि सोरग नरक की फांस मा फंसी गेन अर ऊंन अपणि हड़ताल वापस ले ल्यायि।  
अब सब  बखर बलि का बकरा बणणो बान धार्मिक स्थलों मा लैन लगै खड़ा छन अर नारा लगाणा छन - संयोगीता की जय ! इब्ने सफी की जय ! 


Copyright@ Bhishma Kukreti 2/9/2013 



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