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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Sunday, September 1, 2013

छुमा स्याळि छ्वीं करद वो कवि ह्वे ग्यायि

कवि -लोकेश नवानी 
जौंकि चलि नी दिल्लि मा छंट्याँ महाचकड़ैत।  
बणगिन पंच पर्वाण इख , करण लग्याँ पंचैत ।1।
बीं से बि कम बोल्दन छोरा विदेसू भेज्यांन।  
वो भाषा साहित्य का यख छन पंच परवाण । 2 ।
घौरम भ्यू करदन बड़ो भाषा से बिखळाण ।
सभा मिटिंगु मा छन बण्या , भाषा का विद्वान ।3 । 

छुमा स्याळि  छ्वीं करद वो बल कवि ह्वे ग्यायि । 
जो कवि छौ वो  देखि की आंसु फुंजद रै ग्यायि। 4 ।
कविता जब जब भी बणद कै चारण कू गीत ।
चरणवन्दना मा लिख्युं वो साहित्य त नि हूंद ।5 ।
सच तैं दबै नि सकुद क्वी करल्यो कतग प्रयास।  
बिना ढुंड्याँ चुप रैंदु नी , सूण बेटा इतिहास। 6 ।
यां से बडु परमाण क्या कलयुग ऐगे घोर ।
कवियों प्रमुख बण्यु हैंकै कविता कु चोर । 7 ।
थुपड़ा लगै की मीलि गिन वै इनाम खिताब ।
पर समाज से मन को रैगे केवल ख्वाब । 8 ।
 
सर्वाधिकार @ लोकेश नवानी , देहरादून

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