चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती
भौत दिन ह्वै गे छा , राजनैतिक नेताओं अर अधिकार्युं भ्रष्टाचार , अनाचार , कुल्टाचार पर चबोड़्या-चखन्योर्या लेख लिखद लिखद मि तैं बि बिखळाण आण बिसे गे छे अर फेस बुकौ पाठक बि अब Like बटन नि दबांद छा। त रिफ्रेश हूणौ बान मीन स्वाच आम आदिमुं समस्या जाणे जावु अर आम आदिमुं परेशानी पर कलमौ तलवार चलाये जावु।
पैला जमनु भलो छौ आम आदिम फटाक से पछणे जांद छौ। सूर्यकांत त्रिपाठी निरालाs समौ पर 'पेट पीठ एक ,लकुटिया टेक ' से पता चलदो छौ कि आम आदिम क्वा च। 'पेट पीठ एक ' पर आम मनिखों मोनोपोली छे । ' पण ;पेट -पीठ एक' चिन्ह पर त सिक्स पैक वाळुन कब्जा कौरि आल अर सलमान खान , आमीर खान जन अमीर लोग बि पेट-पीठ-एक कौरिक फोटो खैंचाणा छन।
फिर कमलेश्वर कु जमाना आयि त आम मनिखों चिन्ह छौ -बल मुंड मा छुट छुट बाळ, पसीना , अदा बौंळु फट्युं कुर्ता अर दुंळदार गमछा या धोती । पण आर्थिक सुधार का बाद अब अदा बौंळु फट्युं कुर्तौं अर धोति -गमछा बणाण वळी फैक्ट्री बंद ह्वे गेन अर चीन से केवल टी शर्ट अर पैंटुं ही आयात हूंदन । गंजमज दाड़ि पर कौंग्रेस कु सुभाष झा जन नेतौं कब्जा ह्वे गे। अर टी शर्ट त -पैंट से सेठ लोग अर आम मनिखौं मा फरक खतम ह्वे गे। जख तलक पसीना बगाणौ सवाल च त संसद नि चलण दीणो बान विरोधी दल का नेता पसीना बगांदन अर अफु पर भ्रष्टाचारौ दाग -धब्बा मिठाणो बान मंत्री पसीना बगाणा रौंदन या धन्ना सेठ लोग अपण वजन कम करणों बान जौगिंग से या सत सत मंजिल चौढि पसीना बगाणा रौंदन । याने कि अब पसीना पर बि आम मनिखौ कब्जा नि रै गे ।
मजदूर बि त आम आदिम हूंद। त मीन स्वाच कै फैक्ट्री मा जये जावो अर मजदूर से पूछे जावु कि आम आदिमुं क्या क्या परेशानी छन। मि एक फैक्ट्री मा ग्यों।
फैक्ट्री क मीन एक मजदूर से पूछ बल जरा बथावदी आम आदिमौ समस्या क्या क्या छन ?
वो मजदूर इन बितक जन इकुऴया गोर कै मिनख देखिक बितकद। वो मजदूर कुकुर जन भुकद भुकद बुलण बिस्यायि - मेखुण आम आदिम बुललि त गुदल फोड़ि द्योल हाँ ! मि आम आदिम नि छौं मि त ऐटक (AITUC) कु सदस्य छौं अर हम आम आदिम क्या हम त आदिम हि नि छंवां। हम त कॉमरेड छंवां । हाँ यी इंटक का सदस्य आम आदिम होला त वूं तैं पूछि ल्यावो !
मि इंटक कु मजदूरम ग्यों तो वैन बौळेक ब्वाल - तुम लोग बि ना हमको कुछ नही समझते ! जब ऐटक वाळ आम आदिम नि ह्वे सकुद त इंटक वाळ आम आदिम त राइ दूर हम आम मजदूर बि नि छंवां। हम त इंटक का सदस्य छंवां।
मीन हरेक मजदूर से पूछ तो हरेक अफु तैं मजदूर ना कै मजदूर यूनियनौ सदस्य बताणु छौ।
उख फैक्ट्री मा क्वी बि मजदूर नि छया , क्वी बि आम आदिम नि छौ इख तक कि क्वी बि आदिम नि छ्यायि बस कै यूनियनों सदस्य छौ।
मि स्कूलम ग्यों त पायि कि चतुर्थ श्रेणी कर्मिक अर नया मास्टरौ तनखा इकजनि च त मीन टीचर तैं आम अदिमौ समस्या पूछ तो टीचर मै पर भड़िक ग्यायि ," अरे मि टीचिंग कैडर मा आंदु त मि कनकै कॉमन मैन ह्वे सकुद , हैं ?"
चतुर्थ श्रेणी कर्मिकौ दलील छे कि स्कूलों मा काम करण वाळ कर्मचारी अर फैक्ट्री या सडकों पर काम करण वाळ मजदूरों तुलना नि ह्वे सकद अर वैन ब्वाल बल "हम नॉन टीचिंग स्टाफ वाळ छंवां तो कै बि हिसाब से हम आम मनिख नि ह्वे सकदां !"
मीन अपण बिल्डिंगौ स्वीपर्याण तैं आम मिनखों समस्या पूछ तो वा बुलण लगि बल ' मि त प्राइवेट स्वीपर छौं । प्राइवेट सफाई कर्मचारी कबि बि पसंद नि करदन कि वूं तैं आम मनिख बोले जावो। सरकारी स्वीपर आम आदिम हूंदन "
सरकारी सफाई कर्मचारी तैं पूछ तो वो मै पर रूसे ग्यायि अर गुस्सा मा बुलण मिस्यायि ," अरे हम सरकारी मुलाजिम छंवां , हम तै पेन्सन मिल्दि ! हम कनकै आम आदिम ह्वे गेवां ?"
मि एक बिल्डिंगौ मजदूरम ग्यों त वैकि दलील छे कि चूंकि वैकि दैनिक ध्याड़ी तीन सौ रूप्या रोज च त वो आम आदिम ह्वेइ नि सकुद ! वैन ब्वाल बेलो पावर्टी लाइन (BPL ) वळ ही आम आदिम होलु ।
चर्मकारूं तैं पूछ तो वो अफु तैं प्रकाश आंबेडकर वादी , अठावलेवादी या कुम्बले वादी बथावो पण कैन बि स्वीकार नि कार कि वो एक आम मनिख च।
मि बेलो पावर्टी लाइन वाळम ग्यों तो वैन मी तैं आदलत मा मुकदमा की धमकी दे द्याई , " अरे हम बीपीऐल वाळ छंवां ! क्वी ऐरा गैरा नथू खैरा नि छंवां कि तुम हम तैं आम आदिम बणाओ ! ज्वा फैसिलिटी हम तैं बीपीऐल मा मिल्दि वा फैसिलिटी आम आदिम हूण पर मीललि क्या ?" अजीब बात छे कि वो आदिम बीपीऐल मा रौण चांदो अर आम आदिम को ठप्पा पसंद नि करणु छौ।
मि जै तैं बि पुछणो ग्यों वो क्वी ना क्वी तगमा /ठप्पा लेकि बैठ्युं छौ अर क्वी बि आम आदिम तो क्या ! क्वी बि मनिख नि छौ।
जु आप तैं कखि आम आदिमौ दर्शन ह्वे जावन तो मि तैं चौड़ सूचित करि देन ।
Copyright@ Bhishma Kukreti 31/8/2013
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