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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Monday, September 2, 2013

भूतूं ब्यथा-कथा

चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती  
                                                  
एक भूत - वेरी डेड इवनिंग  
दुसर भूत -वेरी डेड इवनिंग  टु यूं टू 
भूत १- क्या बात त्यार मुक सुज्युं च दिन मा निंद नि आयि ?
भूत २- अरे ये कलजुग मा इ मनिख ना त आफु  चैन मा छन अर ना हि हम भूतुं तैं चैन से सीण दींदन।  त्यार क्या च ! तु त भांगै गोळि खैक फकोरिक से जान्दि त त्वै क्या पता आज दिनम इख श्मशान  पर क्या क्या स्वांग , कना -कना नाटक ह्वेन !
भूत १- अरे भै जब श्मशान स्थल पर बि यि मनिख कुत्ता -बिरळो  तरां लड़दन त इन मा निंद आन्दि नी च त मि भंगुल पेक से जांदु।  अछा बथादि कि आज दिनम क्या ह्वाइ जो त्वै तै निंद नि आयि ?
भूत २ - हूण क्या छौ ! एक बुडड़ि क डेड बौडी आयि त वींक चार नौनु मादे क्वी बि मुंड मुंड्याणो तयार नि छौ
भूत १- किलै क्वी बि अपण ब्वे कुण मुंड्याणो तैयार नि ह्वे ?
भूत २ - अरे हरेक बुलणु कि मीन ब्वे पर सबि भायुं से जादा खर्च कार त मि किलै मुंड्यौ ? हरेकक अपण ब्वे पर कर्युं खर्चाक बही खाता लेक आयुं  छौ।    पट्ठोंन एक सर दर्द की गोळि क बि हिसाब लिख्युं छौ। चार घंटा तलक मुर्दा बिचारि घाम मा सुखणु राइ , इख तलक कि  जादा से जादा मड्वै  मुर्दा तैं बगैर लखड़ दियां वापस चलि गे छा पण यूं चार भायुं झगड़ा नि निपट।  
 भूत १- फिर क्वी नि मुंड्याइ? बिचरि ! बरखी  बाद हमर  दगड़ भूतुं गाणी मा ऐइ  जालि !  
भूत २ - ना फिर ऊंन अपण मुंडीतौ एक गरीब तै पैसा  देक  पटाई अर फिर वो वीं बुडड़ि कुण मुंड्याइ   अर वी ध्याड़ी (दैनिक वेतन ) हिसाब से क्रिया मा बि बैठल।    
भूत १- अब बथावो ध्याड़ि (दैनिक भत्ता ) पर मृतक  -क्रिया मा भुर्त्यौ बैठणो दिन बि ऐ गेन। या त एक मुर्दा बात ह्वे त तू बुनु छौ सरा दिन भर काईं काईं हूणु राई ? 
भूत २ -हाँ एक हैंक मुर्दा आइ  त वु पुरुष मुर्दा तीन घंटा तलक घाम मा सुकणु राइ अर तीन भाई लड़णा रैन। इख तलक कि तिन्युं मा हाथा -पाई बि होइ।  पुलिस आयि त तौंकि हाथापाइ -मारामारी बंद ह्वे।   
भूत १- कनो क्वी बि नौनु अपण बुबाकुण मुंडेणौ तयार नि ह्वाइ ? क्या तौं तैं मृतक-क्रिया मा बैठणौ भुर्त्या नि मील ?  
भूत २ -नै रे नै ! हरेक नौनु चाणो छौ कि वु बुबाक बान मुंड्यावो अर केवल अर केवल वु इ मृतक क्रिया मा बैठो !  
भूत १- वाह ! क्या आज ये कलजुग मा इन बुबा प्रेमी पुत्र पैदा हूणा छन ?
भूत २ -ना रै ! बुबा प्रेमौ बान वो नि मुंड्याण चाणा छा।  बलकणम बात कुछ हौरि छे।   
भूत १- क्या ?
भूत २ -वो क्या च ! बुड्या मोरद दै बोलि ग्यायि कि जु पुत्र वैक बान मुंड्याल अर मृतक -क्रिया मा बैठल वै नौनु तैं फ़्लैट को अतिरिक्त स्टोर रूम मीलल !  
भूत १- औ त स्टोर रूमौ बान सबि भाइ बुबाकुण मुंड्याण चाणा  छा अर मृतक -क्रिया मा बैठण चाणा छा।   
भूत २ -हाँ ! निथर क्वा च अचकाल जो ब्वे बुबौं बान मुंड्याणु ? 
भूत १- फिर कु मुंड्याई ? कैन लगाइ चिता पर आग ? 
भूत २ -कैन बि ना !
भूत १- त ?
भूत २ -त क्या जब तिन्युं मा मारामारी -हाथापाई ह्वे अर पलिस आयि त पुलिस केस बणी गे अर अब केस न्यायालय मा चलि गे कि स्टोर रूम कै तैं मीलल। 
भूत १- अरे पण चिता पर आग कैन लगाइ ?
भूत २ -कैन लगाण छौ ? पुलिस का एक सिपाहीन चिता पर आग लगाई अर क्या ?
भूत १- हाँ ! हम भूतुं मा एक आण (मुहावरा ) च बल -भायुं  झगड़ा मा पंच  कुखड़ खावन  अर परधान बुगठ्या  !
भूत २ - हाँ 
भूत ३- वेरी डेड इवनिंग टु आल ! अरे यूं मनिखों क क्या ह्वाल ? 
भूत १- औ त बिजि गेवां ?
भूत ३- अरे बिजिक बि क्या फैदा ? वो हमन सोचि छ्यायि कि चूंकि यु श्मशान हम लैक नि रै ग्यायि त हम अब शहरी श्मशान छोड़ि ग्रामीण श्मशान मा  डाळळा।  वांक क्या ह्वाइ ?
भूत २- हाँ यार जथगा जळदि ह्वावो हम तै शहर छोड़ी   ग्रामीण श्मशान चलि जाण चयेंद !

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कल पढिये कि भूत शहरी श्मशान छोड़ ग्रामीण श्मशान क्यों जा रहे हैं ?


Copyright@ Bhishma Kukreti 3/9/2013 



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