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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Sunday, September 1, 2013

इंटरनेटी जमाना मां सासूं छ्वीं

 (Garhwali Satire, Garhwali Humor, Garhwali wits)
                     भीष्म कुकरेती
आज न भोळ त हूणि चा अर जादातर अरेंज्ड शादी ब्यौ इन्टरनेट का मार्फ़त ही होला .
दुन्या मां बदलाव कथगा बी आला पण काट करण या एक हैंका मां अपनी खैरी लगान बंद नि होला .
इनी इन्टरनेट का जमाना मां सासू अपनी खैरी कन सुणाली सुनाली या काट कनें कारली :
एक सासू: क्या बुन्न मेरी त मौ घाम इ लगी ही ग्याई जन बुल्या !
हैंकि: क्या बुन. मेरी ब्वारी अमेरिकन मैरिज़ डॉट वाली च. दस साल ब्यौ कर्याँ होई गेन मूसो बी नि जनम !!
दूसरी : कनो नौनो मां खोट च या ब्वारी ही बांज च ?
सासू: तन हुन्दो त भगवान् का नाम फर रुंदा हम . अमेरिकन स्टाइल वाली जी च ब्वारी . बोलणि च बल मां बणणो कु
दुःख, पीडा कैन सैणे ?. बुलणी रौंद बल बच्चा पैदा करण मा डौ /दर्द /मुसीबत होंद बल ! द बथावा इं अमेरिकन शादी डॉट कॉम वाळी तैं मां बणनै पीडा नि सयाणी च ,
दरद नि चयाणो च . अपण त मवासी क्या सरा साखी इ बांज पोडी ग्याई
हैंकी : ए भूली ! अरे ब्वारी त छें च .कै दिन त कुछ त होलू . एक मेरी भूलि का नौनू अमेरिकन शादी डॉट वाली ल्हायी.
ब्वारी क्या लायी बिथ्या /रोग लाइ . सारा गाँव एरिया मां मेरी भुली मुख दिखाण लैकि नी रईं च.
पैली: कनो क्या व्हाई ? क्या चुल्लो तैं टोइलेट समजीक चुल्लू मा हगदि  क्या ?
वैइ : हूँ क्या ह्वै कि  मेरी भुली का नौनु अमेरिकन डॉट कॉम बिटेन मोछ वळी ब्वारी खुजेक ल्हेई ग्याई . ब्वारी बोलवां या ब्वारा ब्वालवां ?
क्वी कवी त  भुलि  का मजाक कौरिक बुल्दन बल ' तेरो नौनु ब्वारी ह्व़े गे?'
उख मवासी त घाम अलग लग अर जग मा बदनामी अलग हूणी च
एक हैंकि : ए भुली !! ओ द्याख च जमुना कि नौली नयी नयी ब्वारी . गौड़ी ,भैंसूं , बखरूं त छ्वाड़ो मूसों दगड बी अंगरेजी मां बचल्यांद ..
दूसरी : अब टाईम्स शादी डॉट कॉम वळी होली त डाळ बूटों दगड बि  अंगरेजी मां ही छ्वीं कारली कि ना ?
एक; हाँ भारत डॉट कॉम वाली होंद ता वा डौटर  इन लौ की   जगा बहु ह्व़े जांद . त फिर , वहु त हिन्दी मां ही बच्ल्याळी , हिंदी मा इ बात करली की ना?
तीसरी: क्वी कुछ बि ब्वालो , ब्वारी ल़ाण होऊ त उत्तराखंड डॉट कौम  बिटेन ल़ाण चयांद भै .
पैली: हाँ उन त उत्तराखंड डॉट कौम  की ब्वारी ठीकि होंदी . घर कु काम बि  कॉरी लीन्दी पण राज्य का ओफिसरुं तरां जादा तर देहरादून ही पड़ीं रौंदी .
दूसरी : सबसे बढिया त अपन गढ़वाली ब्यौ डॉट कौम वळी होंद , बल घर का कम बि  करदन अर हम सासुं का खुट बी पटकै  लीन्दन
चौथी : हाँ ! गढवाळी ब्यौ ड़ोट कौम वळी ठीकि रौंद , पण गढ़वाली शादी डॉट कोम वाळीम सवोर , सगोर, एटीकेट कुछ बी नि होंदी , वी घर्या हिसाब किताब ...
फाणु बाड़ी त पकै लीन्दन पण कबि जब फोई ग्रास विद मस्टर्ड , पाएला डिश , या सुशी रौल्स बणाण हो त गढवाळी ब्यौ डौट  कौम वळी ब्वार्युं ब्व़े मोर  जांद .
सबी: हाँ हमारो जमानो ही ठीक छायो जब ........हाँ ! पण जु

Copyright@ Bhishma Kukreti 31/8/2013 



[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी  दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य;सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य श्रृंखला जारी ...]  

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