( Tourism and Hospitality Management for Garhwal, Kumaon and Haridwar series-1 )
लेखक : भीष्म कुकरेती
(विपणन व विक्री प्रबंधन विशेषज्ञ )
उत्तराखंड की भिन्न व अति विशेष भौगोलिक , सामाजिक , राजनैतिक विशेषताओं के कारण उत्तराखंड का विकास में पर्यटन उद्यम का सर्व प्रथम महत्व है। यहाँ तक कि प्राथमिक उद्यम कृषि भी पर्यटन से जुड़ा है। अत: यह आवश्यक है कि उत्तराखंड का निवासी या प्रवासी को पर्यटन व आतिथ्य प्रबंधन का प्राथमिक ज्ञान होना अति आवश्यक है।
इसी ध्येय की प्राप्ति हेतु इस लेखक ने कई लेख उत्तरांचल में पर्यटन परिकल्पना नाम से लेख प्रकाशित किये।
पर्यटन की परिभाषा
पर्यटन की परिभाषा
वर्ल्ड टूरिज्म ऑर्गेनाइजेशन के अनुसार सभी यात्राएं पर्यटन नही हैं।
वर्ल्ड टूरिज्म ऑर्गेनाइजेशन के अनुसार किसी भी व्यक्ति द्वारा एक साल से कम की अवधि में व्यापार , आराम या आनंद प्राप्ति या अन्य उद्येश्य पूर्ति हेतु की यात्रा को पर्यटन कहते हैं और यह यात्रा आम जिंदगी जीने या आम जीविका की यात्रा नही होनी चाहिए (जैसे नौकरी के लिए कोई मनुष्य रोज दुगड्डा से कोटद्वार आता है तो वह पर्यटन नही है ).
मैथीसन और वाल (1982 )के अनुसार अपने स्थाई निवास या कार्यस्थल से अस्थाई रूप से किसी गंतव्य स्थान की यात्रा , यात्री द्वारा उन स्थानों में सक्रिय कृत्य करना; और उस या उन यात्रियों के लिए साधन उपलब्धीकरण को पर्यटन कहते हैं।
नॉर्दन आरिजाना विश्वविद्यालय (2012 ) के अनुसार पर्यटन एक सामूहिक रूपसे कंही उद्यमों , सेवाओं और कृतों से और परिवहन सुविधाएं , रहने की सुविधाएं , खाने -पीने की सुविधाओं , खरीददारी की सुविधाएं, मनोरंजन की सुविधाओं, आतिथ्य की अन्य अपेक्षित जैसे पर्यटन अनुभव की सुविधाये जुटाने को पर्यटन कहते हैं।
मैसिन्तोष व गोएलडनर (1986 ) के अनुसार पर्यटक , सरकारी संस्थाओं या सरकारी अधिकारियों , व्यक्तिगत व व्यापारिक संस्थाओं व स्थानीय लोगों के मध्य आपसी संबंध , आपसी बातचीत या अन्य माध्यमों द्वारा यात्रियों या यात्री को आकर्षित करने की प्रक्रिया व घटनाओं को पर्यटन कहा जाता है।
उपरोक्त परिभाषाएं स्पष्ट करती हैं कि पर्यटन कोई फैक्ट्री या उत्पाद उत्पादक जैसा माध्यम नही है अपितु पर्यटन में कई भागीदार हैं जैसे
सरकार
सरकाऋ कर्मचारी व सरकारी संस्थान
व्यक्ति व गैरसरकारी संस्थाएं
स्थानीय लोग
व्यापारिक संस्थान या व्यापारी
मूलभूत सुविधाएं
यात्री के ठहरने , खाने -पीने , व्यापारिक सविधाएं व अन्य पर्यटकीय सुविधाये प्रदान करने की प्रक्रिया प्रबंधन को आतिथ्य प्रबंधन कहते हैं।
आतिथ्य सत्कार प्रबन्धन पर्यटन प्रबंधन का एक मुख्य व महत्वपूर्ण अंग है।
@@ उत्तराखंड में पर्यटन व आतिथ्य प्रबंधन श्रृंखला अगले भाग में जारी ……
Copyright @ Bhishma Kukreti 29/11/2013 contact ID bckukreti@gmail.com
1 -भीष्म कुकरेती, 2006 -2007 , उत्तरांचल में पर्यटन विपनण परिकल्पना , शैलवाणी (150 अंकों में ) , कोटद्वारा , गढ़वाल
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