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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Thursday, November 14, 2013

जागरा की सब्जी , औषधीय उपयोग

 History /Origin /introduction, Food uses , Economic Uses of Pokeweed/ Indian poke  (Phytolacca acinosa) in Uttarakhand context 
                                           उत्तराखंड  परिपेक्ष  में  जंगल से उपलब्ध सब्जियों  का  इतिहास -17 

                                     History of Wild Plant Vegetables ,  Agriculture and Food in Uttarakhand -17                         
          
                                              उत्तराखंड में कृषि व खान -पान -भोजन का इतिहास --57  
                                        History of Agriculture , Culinary , Gastronomy, Food, Recipes  in Uttarakhand -57


                                                                आलेख :  भीष्म कुकरेती

उत्तराखंडी नाम - जागरा 
नेपाली नाम -जारिंगो 
 जागरा वास्तव में एक भुखमरी का साग  वनस्पति कहा जाएगा। वास्तव में जागरा की बड़ी उम्र की पत्तियां व जड़ें विषैली होती हैं। 
जागरा पहड़ी इलाकों में जंगलों के किनारे 500 -3000 मीटर की ऊंचाई में उगता है। खेतों में भी खर पतवार के रूप में भी उगता है। 
जागरा का स्वास , AID  , जलन ;  बैक्ट्रियाई व फंगस से पनपी बीमारियों में औषधीय उपयोग होता है। 
जागरा की  कम उम्र कोमल कच्ची पत्तियां व जड़ें ही सब्जी बनाने के काम  आ सकती हैं। 
चीन में , कश्मीर में जागरा की सफेद जड़ों को स्लाइस में काटा जाता है और  इन स्लाइसों को टोकरी में 48 घंटों तक झरने के नीचे रखा जाता है जिससे जागरा का विषैला समाप्त हो जायैं। फिर जड़ों की स्लाइसों को भाप में गरम कर लहसुन -नमक लगाकर खाया जाता है। रिपोर्ट है कि  वाले पौधे विषैले नही होती हैं। कश्मीर में भी जड़ें खायी जाती हैं। जड़ें सुखाकर भी खाया जाता है। 
सालनी मिश्रा, मैखुरी , काला , राव व सक्सेना ने लिखा है कि नीति -माणा के मध्य नंदा देवी  बायोस्फेयर क्षेत्र में  जागरा की कोमल पत्तियों को केवल मार्च में ही खाया जाता है।  अप्रैल के बाद जागरा की पत्तियां विषैली होने लगती हैं। मिश्रा आदि लिखते हैं कि कच्ची पत्तियों को पहले उबाला जाता है और पानी निथारकर फिर उबली पत्तियों को तेल में भूनकर , नमक , मसाले मिलाकर पालक /मरसू जैसी सब्जी बनाई जाती है।  
जागरा के फलों से  लाल स्याही बनायी जाती है।


Copyright Bhishma  Kukreti  14 /11/2013 

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