चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती
(s =आधी अ = अ , क , का , की , आदि )
(s =आधी अ = अ , क , का , की , आदि )
जब बिटेन उत्तराखंड मा पंचायत चुनावो छ्वीं लगण शुरू ह्वेन तैबरि बिटेन मि पोलिटिकल कंसल्टैंट बि ह्वे ग्यों। रोज क्वी ना क्वी पोलिटिकल सलाह मांगणकण ड्यार बिटेन फोन करणु रौंद अर करणि रौंदि।
अब सि परसि म्यार स्कूलौ दगड्या बलबीरौ भैजी दलबीर भैजि फोन आयि बल ," यार भीषम ! तू अफु तैं गढ़वालीs बड़ो साहित्यकार बुल्दी पण ये गां तैं क्या फैदा ?"
मीन ब्वाल ," कनो अचाणचक गां तैं गढ़वळि साहित्यकारौ क्या जरुरत पोड़ि गे ?"
दलबीर भैजिन ब्वाल ," अब तू तो जाणदि छे मि ग्राम प्रधान क्या बौण कि तै दिन बिटेन म्यार ख़ास भुला बलबीर पर बि प्रधान बणणो भूत -खबेस लगि गे अर ऊ बि ग्राम प्रधानौ बान खड़ हूणु च ?"
मीन पूछ , " त क्या बोट दीणो ड्यार आण ?"
दलबीर भैजि उत्तर छौ ," नै नै ! अबि इथगा कंगाली बि नि आयि कि प्रवास्यूं बोटुं जरुरत पोड़ि जावो। अर तीन बोट त बलबीर तैं दीण। बलबीर त्यार क्लासफेलो जि छौ। "
मीन पूछ , "तो चुनाव बान गढ़वळि साहित्यकार की जरूरत कखम पोड़ि गे?"
दलबीर भैजिन जबाब दे ," अरे जरा कुछ गाळि चयाणा छन ?"
मीन चकरैक ब्वाल ," भैजि पैल जब तलक बडा जी बच्यां छा तब तलक गां इ ना सरा अडगैं (क्षेत्र )मा वूं से कैड़ि अर बुरि गाळि दीण वाळ क्वी नि छौ अर अब मीन सूण सरा ब्लॉक मा तुम से बड़ो गाळिदिवा क्वी नी च त फिर बि तुम तै गाळि चयाणा छन ?"
दलबीर भैजि ," अरे उन सि बात हूंदी त मि सालों "……" नि" …" । मि वै बलबीर की ……बि … पण जरा बात ही कुछ हौर च।. " (यी गाळि लिखे नि सकेंदन )
मीन पूछ ," कनो ? क्या बात ह्वे ग्यायि ? क्या तुमर पीठि भाइ बलबीर तुम से बड़ो गाळिदिवा ह्वे ग्यायि क्या "
दलबीर भैजि , " नै नै ! वु अपण ब्वैक मैसु क्या गाळि द्यालो। गाळि दीणम त मीन अपण बुबा की बि …… ?
मीन ब्वाल ," त अंगरेजी मा गाळियुं शब्द चयाणा छन ?"
दलबीर भैजि , " नै रे ! अंग्रेज क्या गाळि द्याला जु मि दे सकुद !"
दलबीर भैजि , " नै रे ! अंग्रेज क्या गाळि द्याला जु मि दे सकुद !"
मि ," त पंजाबी गाऴयुं जरुरत च ?"
दलबीर भैजि , " ओहो ! पंजाबी मीमांगन गाळि सिखणो आंदन अर तू पंजाबी गाळयुं छ्वीं लगाणु छे ?"
दलबीर भैजि , " ओहो ! पंजाबी मीमांगन गाळि सिखणो आंदन अर तू पंजाबी गाळयुं छ्वीं लगाणु छे ?"
मि ," कबि मि गढ़वाली गाळि शब्दकोश छपौल त तुम से ही सौब गाळि संकलन करलु। तो फिर तुम तै कना गाळि चयाणा छन ? "
दलबीर भैजि ," अरे भै वुन गाळि चयाणा छन जौं गाळयुं तैं सज्जन , सभ्य , साधु , सरीफ , शांत , सुसंस्कृत , भद्र, प्रेरणा स्रोत्र लोग प्रयोग करदन। "
मि ," भैजि ! सज्जन , साधु , सभ्य , सरीफ , शांत , भद्र, सुसंस्कृत , संस्कारी , संवेदनशील , सभ्रांत , प्रेरणा दींदेर लोग सुपिन मा बि गाळि नि दींदन। "
दलबीर भैजि ," क्या गधा जन बात करणु छे? "
दलबीर भैजि ," क्या गधा जन बात करणु छे? "
मि ," हाँ यदि सज्जन , साधु , सरीफ , शांत , सभ्य , भद्र, सुसंस्कृत , संस्कारी , प्रेरणा दींदेर गाळि द्यावो तो वो सज्जन , साधु , सरीफ , शांत , भद्र, सुसंस्कृत , संस्कारी , संवेदनशील , सभ्रांत , प्रेरणा दींदेर ह्वेइ नि सकुद। "
दलबीर भैजि ," समिज ग्यों ! समिज ग्यों ! तू बलबीरौ दगड्या छे त मि तैं सभ्य , संस्कारी , सुसंस्कृत , संवैधानिक दृष्टि से न्याययुक्त गाळि नि सिखाण चाणु छे। "
दलबीर भैजि ," समिज ग्यों ! समिज ग्यों ! तू बलबीरौ दगड्या छे त मि तैं सभ्य , संस्कारी , सुसंस्कृत , संवैधानिक दृष्टि से न्याययुक्त गाळि नि सिखाण चाणु छे। "
गुस्सा मा दलबीर भैजिन फोन काटि दे।
आज बलबीरौ फोन आयी अर गुस्सा मा बुलण बिस्यायि , "क्या रै भीषम ! उन त तू बुल्दु बल मी त्यार दगड्या छे। पण तीन म्यार भैजि तैं सभ्य , संस्कारी , सुसंस्कृत , संवैधानिक दृष्टि से न्यायपूर्ण गाळि किलै सिखैन ?"
मीन पूछ , " कनो क्या ह्वाइ ?"
बलबीरन जबाब दे , " अरे म्यार भैजि (दलबीर ) पैल मि तैं माँ -बैण्युं गाळि दींदा छा। अर ब्याळि बुलणा छा कि बलबीर सांप है , मौत का सौदागर है , दानव है , राक्षस है , हत्यारा है , भस्मासुर है। "
मीन ब्वाल , ' ब्वेक सौं छन मीन दलबीर भैजि तै सभ्य , सुसंस्कृत गाळि नि सिखैन। "
बलबीर ," वो त भैजिन दिल्ली मा कै कॉंग्रेसी से यी सभ्य , सुसंस्कृत गाळि सीखि होला। मी बि फोन कौरिक दिल्ली का कै भारतीय जनता पार्टी वाळ से संस्कारी , सुसंस्कृत , संवैधानिक दृष्टि से न्यायपूर्ण गाळि सीखि लींदु। "
बलबीरौ फोन कट कि गां बिटेन मेरी मौसी फोन ऐ गे ," ये भीषम ! मि अपण जिठा जीक विरोध मा प्रधानौ चुनाव लड़णु छौं। जरा कुछ सुसंस्कृत , सभ्य गाळि शब्द सुझादि। "
मि ," मौसी ! चुनाव मा जनता की समस्याओं पर बहस हूंदी अर तू गाळि शब्द खुज्याणि छे ?"
मौसी जबाब छौ ," अब जब प्रधान मंत्री प्रत्यास्यायी , बड़ा बड़ा मंत्री जनसमस्यों छोड़िक खुलेआम अपण विरोधयुन तै सभ्य -असभ्य गाळि द्याला त हमन बि यूं देश का कर्णाधारों पद चिन्ह पर चौलिक अपण विरोध्युं तै गाळि ही दीण कि ना ? "
मीन जबाब दे , " ठीक च एकाद दिनम सभ्य गाळि सीखिक फोन करुद। "
मौसिन ब्वाल ," तू रण दि इथगा देर मा त जिठा जी मि तै कुज्य़ाण कथगा गाळिदे द्याल धौं। मी दिल्ली मा कै बडु राष्ट्रीय नेता तै फोन कौरिक गाळि सीखि ल्योलु।"
मौसिन फट से फोन काटि दे। अर मेरि समज मा नि आणु कि यी भारतम क्या होणु च? देस की समस्याओं समाधान की जगा नेता लोग गाळि दीणा छन या गाळि सिखणा छन।Copyright@ Bhishma Kukreti 10 /11/2013
[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी के जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के पृथक वादी मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण वाले के भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य;सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य श्रृंखला जारी ...]
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