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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Tuesday, November 12, 2013

गढ़वाळम शिक्षा मा बनि बनिक चुनौती

चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती 

     
(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )
 गढ़वाळम शिक्षा मुतालिक   भौत सि चुनौती छन।
 परसि   एक हाई स्कुल्या  विद्यार्थिन छात्रों की चुनौतियां पर इन निबंध  ल्याख -
                    यों तो भारत कभी अन्वेषणों देस थौ पण अब घनघोर नकलच्यूं  देस ह्वे ग्ये। 
                 उन त हमर स्कूलम छात्रों , स्कूल प्रबंधक सदस्यों अर अभिभावकुं अथक अर भारी सार्थक दबाब का वजै से खुले आम नकल की सम्पूर्ण आजादी च।  पण नकल से बि हम छात्रुं समिण भौत सि समस्या अर चुनौती ऐ  गेन।  चूंकि सबि एकि किस्मै किताब से  इमतानम  हम नकल करदां त मास्टर बि सब्युं तैं सौ मांगन नब्बे नब्बे नंबर दे दीन्दन। अब इन मा हम स्कूल्यों तैं पता इ नि चलद कि कु छात्र अब्बल च अर कु फिस्सडि च।  
              चूंकि खुले आम नकल कौरिक पास हूण अब शिक्षा संस्कृति बणि गे अर छात्रुंन पढ़न -लिखण बंद करि दे त मास्टर लोग  अचकाल जासूसी उपन्यास पढ़िक या गारि खेलिक अपण टैम पास करदन पण गौ बुरि चीज च जु इ मास्टर  छात्रुं तैं सही ढंग से नकल करण सिखावन धौं।  यां पर मास्टर लोग बुल्दन बल नकल सिखाण सिलेबस मा नी च। पोरु साल इमतान मा  एक निबंध  आइ कि 'गणतन्त्र दिवस ' पर निबंध ल्याखो त हम सब्युंन पन्दरा अगस्त पर निबंध लेखी दे अर सबि छात्र इकदड़ि फेल ह्वे गेन।  पर्चा बणाण वाळ तैं एक्सप्लेन करण चयेंद छौ कि गणतंत्र दिवस कै दिन आंद।  पर्चा बणाण वाळु तैं ध्यान दीण चयेंद कि नकलची शिक्षा संस्कृति मा कन तरां का सवाल पुछण चएंदन ! चूंकि अब पढण  अर पढ़ाण प्रागैतिहासिक बात छन त क्लास मा सीणै बड़ी तकलीफ च , बेंच मा सीणम मुंड पटै जांद . हमन प्रिंसिपल साब से कथगा इ प्रार्थना कार कि हम तै ड्यार बिटेन सिरवणि  -दिसाण लाण दयावो त प्रिंसिपल साबन ब्वाल बल स्कूल नियम संदर्भ  BKBAS EDUCATION, संख्या 420 ,   डेटेड दिसंबर 1859   का तहत क्लास मा गद्दा -दिसाण -सिरवणि  नि लाये सक्यांद।  छात्रों समिण क्लास मा खासकर बरसात मा सुख की सुनिंद लीण एक बड़ी चुनौती च।  
               मास्टर अलग रुंदन।  ऊंक समणि बि कथगा इ चुनौती छन। 
ब्याळि कुछ  मास्टर छ्वीं लगाणा छया। 
एक मास्टर - यार साला ! मि चाणु छौ अपण बदली अपण क्षेत्र मा करै द्यूं पण साला  ट्रांसफर का रेट बि असमान  चली गेन। हमन भाजापा सरकार तैं इलै हराइ थौ कि कॉंग्रेस का राजम ट्रांसफर रेट कम होला।  पण जु भाजापा का बगत ट्रांसफर रेट द्वी लाख छा अब सीधा पांच लाक ह्वे गे।  ट्रांसफर कराण अर रुकवाण बड़ी चुनौती ह्वे गयाइ। 
हैंक  मास्टर - भै बिचारा विजय बहुगुणा तैं अपण बैणि रीता बहुगुणा जोशीक बि त ख़याल रखण पोड़ल कि ना ? त कुछ हिस्सा इलाहाबाद -लखनऊ त जालो कि ना ?
तिसर मास्टर - यार में से त बड़ी गलती ह्वे गे।  क्या सुन्दर मि ऋषिकेश  म्युनिस्पैलिटी मा चपड़सी लगि गे छौ कि म्यार सवर्गीय बुबा जीक बि औड़ राइ अर मि इख गां मा मास्टर बौण ग्यों। वाइफ दूर स्कूलम मास्ट्रयाणि च।   अब म्यार बच्चा उख ऋषिकेश अंग्रेजी स्कूलम भर्ती हुंयां छन त ब्वे ऊंक दगड़ रौंदि।  भुला अर वैक घरवळि  बि अलग अलग जगा नौकरी करदन अर बच्चौं तैं  देहरादून कॉन्वेंट स्कूलम भर्ती कराण वाळ च अर बुलणु च कि ब्वे वैक बच्चों दगड़ ब्वे ही रालि। समझ मा नि आणु कि क्या करे जावु !
पैल मास्टर - हाँ भै हम गढ़वाल का गांवुं  मास्टरुं कुण बच्चों शिक्षा एक बड़ी चुनौती च।  इख गाउँ मा एज्युकेसनौ स्टैंडर्ड जीरो  च। दिनों दिन एज्युकेशन कु स्टैंडर्ड गिरणु इ च।   त हम तैं बच्चा देहरादून, कोटद्वार  या ऋषिकेश भिजण  पड़णा छन।  पता नि या सरकार कब शिक्षा स्तर बढ़ाली धौं। 
दुसर मास्टर - मि तै त नि लगद कि सरकार एज्युकेसनौ स्टैंडर्ड बढाणो बान  सीरियस च ।  
एक मास्टर - अच्छा ! आज रातौ क्या प्रोग्राम च ?
दुसर मास्टर - इखमा प्रोग्राम का बारा मा चिंतित हूणै जरुरत क्या च।  बुबा बोलिक प्रिंसिपल दारु बि पिलाल अर कछबोळि बि खलाल!
हैंक मास्टर - हाँ साला तैं हमन झूठी गवाही देक लड़की छेड़णो  केस से जि बचाइ।  पण साला  प्रिंसिपल छ बि नारायण दत्त तिवाड़ीक च्याला हाँ ! कख ग्याइ नौनि छेड़णो ? दूर भाभर हैं ?
पैल मास्टर -हाँ उ त हमन गवाही दे दे कि प्रिंसिपल साब वैदिन स्कूलम कक्षा दस तैं क्रॉस फर्टिलाइजेसन पड़ाणा छया त बची ग्याइ ।  
xx                                        xx 
अभुभावकुंक समणि बि बड़ी चुनौती छन 
एक अभिभावकन अपण छुटु भुलाकंण चिट्ठी ल्याख -
            उन त इक सौणा ( नौनु) की  फेल हूणो डौर नी  च।  नकल से सबि पास ह्वे जांदन।  पण परेशानी तब हूंदी जब एकी छुट्टी रौंदि।  पैलाक सि जमानो त रै नि ग्याई जब हमर जिमदारु रौंद छौ त ब्वे -बाब इन्तजार करदा छ कि नौनु -नौनीक  स्कूल से छुट्टी ह्वावु त हौळ , गोर मा जाण, पगार लगाण , धांण - निरै - गुडै, पाणी सारण जन आदि काम कारल।  तब खेती पाती छे।  अब तन बात नी च  । अब खेती ही नी च त   हम भगवान से प्रार्थना करदां कि हे भगवान स्कूलम छुट्टी ही  नि ह्वावो।  काम नी  च त सबि स्कुल्या छुट्टी दिनूं मा खेल , भंगऴयाट करण मा व्यस्त रौंदन।  डाँटो त इ स्कुल्या अपण बुबा तैं धमकी दीन्दन कि हम यूथ  कमीसन से शिकायत कौरि देल्या कि हमर बुबा हम तैं धमकान्द। अब त अपण जण्या बच्चों तै हम डाँटि बि नि सकदाँ !   म्यार बिचार च ये सौणा तैं तख त्यार दगड़  शहरम भेजि द्यूं ! 



Copyright@ Bhishma Kukreti  13 /11/2013 



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