गढवाली लोक नाटकों / लोक गीतों में विषाद भाव
Review of Characteristics of Garhwali Folk Drama, Folk Theater/Rituals and Traditional Plays part -39
As per Bharat’s Natyashastra, dejection sentiment is demonstrated in drama performance by searching for help, worrying about means, weakness, senselessness, deep breathing and so on.
Ghadela is one of the most important cultural and religious rituals in Garhwal. In this folk ritual, soul of deities, brave, famous persons or deceased persons are called by Jagari (priest) and he sings various folk songs. In Hantya jagar the soul
The following Jagar are Hantya Jagars and in each Jagar there is sentiment of dejection in the story and in song too.
The audience also feels dejection awhile hearing the Hantya Jagar.
आन्छरी या मातरी हंत्या जागर
मातरी तोको आमू साड़ी देऊ।
आमू देऊ तोको बोली लोकु देऊ।
नो रंगूला तोको बोली लोकु देऊ।
सात रंगूला तोकू दुशाला देऊ।
सात नाज लो देऊ तोको देजो।
तो को रंग -रंगीलो सजीलो डोला देऊ।
काजरारी आंख्युं क काजल देऊ।
पूजिक तोकू घर पठाऊ।
सासर जनों भेजऊँतोउ।
हामू दिउ तो तोके द्वफरी देऊ।
रवाईं में हंत्या जागर -भाग -१
मामी तेरी छुटी पड़ी चाखोल्युं की टोल।
तेरो होलो केसों मामी इजा को पराण।
तेरो होलो केसों मामी इजा को पराण।
त्वेको आयो पड़ी मामी काल सी ओ बाण।
काल सी छिपदो मामी रीट दो सी ओ बाण।
सोची होलो मामी तै हरस देखऊं।
यख मं बैठी रो तेरो बांको माणिस।
के कालन डालि मामी जोड़ी मां बिछाऊँ।
भैर भीतर मामी देखी ज तू अ क्वैक।
देखी भाळी जाई मामी आपड़ो बागीचा।
मातरी तोको आमू साड़ी देऊ।
आमू देऊ तोको बोली लोकु देऊ।
नो रंगूला तोको बोली लोकु देऊ।
सात रंगूला तोकू दुशाला देऊ।
सात नाज लो देऊ तोको देजो।
तो को रंग -रंगीलो सजीलो डोला देऊ।
काजरारी आंख्युं क काजल देऊ।
पूजिक तोकू घर पठाऊ।
सासर जनों भेजऊँतोउ।
हामू दिउ तो तोके द्वफरी देऊ।
रवाईं में हंत्या जागर -भाग -१
मामी तेरी छुटी पड़ी चाखोल्युं की टोल।
तेरो होलो केसों मामी इजा को पराण।
तेरो होलो केसों मामी इजा को पराण।
त्वेको आयो पड़ी मामी काल सी ओ बाण।
काल सी छिपदो मामी रीट दो सी ओ बाण।
सोची होलो मामी तै हरस देखऊं।
यख मं बैठी रो तेरो बांको माणिस।
के कालन डालि मामी जोड़ी मां बिछाऊँ।
भैर भीतर मामी देखी ज तू अ क्वैक।
देखी भाळी जाई मामी आपड़ो बागीचा।
रवाईं में हंत्या जागर -भाग -2
भैया कलकी रौ तेरी हौंसिया उमर।
कैसू रयो भैया तू सौबकू प्यारो।
दुखी रौ दी मेरा भया बैठ्या छन तेरा सारा।
देख तेरी इजा रौया निपूती इजा।
तेरी जोड़ी रौयो कनी सौजोड़ी।
तेरो कनू रौयो मयऴदू स्वभाव।
मरदी बगत त्वेन पाणि भी न पाये।
कनि गई होली बंठ्या तू बांकी स्वैण छोड़ी।
अकेली इजा को यकूलो लडीक।
बांकुरासे पराण तेरो डाऴयूं-डाऴयूं रै गे।
टोली छोड़ी गयी भैया सारा बाल बच्चा।
कनू गई प्यारो भैया इजा कू तू जायो।
भैया कलकी रौ तेरी हौंसिया उमर।
कैसू रयो भैया तू सौबकू प्यारो।
दुखी रौ दी मेरा भया बैठ्या छन तेरा सारा।
देख तेरी इजा रौया निपूती इजा।
तेरी जोड़ी रौयो कनी सौजोड़ी।
तेरो कनू रौयो मयऴदू स्वभाव।
मरदी बगत त्वेन पाणि भी न पाये।
कनि गई होली बंठ्या तू बांकी स्वैण छोड़ी।
अकेली इजा को यकूलो लडीक।
बांकुरासे पराण तेरो डाऴयूं-डाऴयूं रै गे।
टोली छोड़ी गयी भैया सारा बाल बच्चा।
कनू गई प्यारो भैया इजा कू तू जायो।
Copyright @ Bhishma Kukreti, bckukreti@gmail.com 14/11/2013
Review of Characteristics of Garhwali Folk Drama, Folk Rituals and Traditional Plays part to be continued…
References
1-Bharat Natyam
2-Steve Tillis, 1999, Rethinking Folk Drama
3-Roger Abrahams, 1972, Folk Dramas in Folklore and Folk life
4-Tekla Domotor , Folk drama as defined in Folklore and Theatrical Research
5-Kathyrn Hansen, 1991, Grounds for Play: The Nautanki Theater of North India
6-Devi Lal Samar, Lokdharmi Pradarshankari Kalayen
7-Dr Shiv Prasad Dabral, Uttarakhand ka Itihas part 1-12
8-Dr Shiva Nand Nautiyal, Garhwal ke Loknritya geet
9-Jeremy Montagu, 2007, Origins and Development of Musical Instruments
10-Gayle Kassing, 2007, History of Dance: An Interactive Arts Approach
11- Bhishma Kukreti, 2013, Garhwali Lok Natkon ke Mukhya Tatva va Charitra, Shailvani, Kotdwara
12- Bhishma Kukreti, 2007, Garhwali lok swangun ma rasa ar Bhav , Chithipatri
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