चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती
(s =आधी अ = अ , क , का , की , आदि )
(s =आधी अ = अ , क , का , की , आदि )
मंहगाई क्या च ? अर्थशास्त्री बुल्दन बल कीमतुं स्तर वृद्धि कुण मैंगै बुल्दन। याने कि आज प्याज सौ रुपया किलो मिलणु च अर यदि लगातार तीन मैना तलक प्याजौ कीमत सौ रुप्या रावो त समझो कि मंहगाई नि बढ़णी च।
मंहगाई बि माटु ( धूल ) , माखुं, मच्छरुं तरां सबि जगा हरेकाक घौरम मिल्द अर सबि मैंगै से परेशान रौंदन । जन कि सरकारी दलौ सांसद जिंदल बि अपण नौकरूं तै मंहगाई भत्ता दींद दै सरकार तैं गाळि दींद। आईपीएल मा नीता अंबानी क्रिकेटरुं कीमत बढण से जब अपण मुम्बई टीम मा युवराज तै नि खरीद सकदी त नीता अंबानी सरकार तैं सभ्य अर संवैधानिक भाषा मा ब्वे बैणी गाळि दींदि कि सरकार मंहगाई रुकणम नाकामयाब च। या जब अनिल अंबानी तैं 2G घोटाला मा तिहाड़ जेल जयां अधिकार्युं बान तिहाड़ जेलम घूस जादा दीण पोड़द त अनिल अंबानी बि बुलद कि मंहगाई भौत बढ़ि ग्याई अस्तु मनमोहन सरकार की छुट्टी हूण इ चयेंद।
मंहगाई की मार से मल्लया बि मरणु च. बिचरु मल्लया मंहगाई का कारण किंग फिशर एयर लाइन्स का सरकारी बैकुं उधार , सरकारी कर अर अपण नौकरूं तनखा बि नि दे सकणु च। मंहगाई से मल्लया का हजारों दगड्यौं जिकुड़ि मा डाम पड़ि गेन। मल्लयान प्रोमिस कौर छौ कि हरेक तैं आर्कटिक सागरम पार्टी द्यालु पण मुर्दा मोरल यीं मंहगाई को कि मल्लया जन शिष्ठ, जबान को पक्को मनिख बि आर्कटिक सागरम पार्टी नि दे सकुणु च अर वै पर बि निरस्यां दगड्यौं दबाब च कि मनमोहन सरकार बदले जावो। मंहगाई गरीब -अमीर नि देखदि। वा करमजली सब्युं तैं तंग करदि। मि तैं पूरो भरवस च कि राबर्ट बाड्रा बि मंहगाई से त्रस्त होलु तबि त अचकाल बाड्रा द्वारा हरियाणा , उत्तराखंड , हिमाचल, राजस्थानम जमीन खरीदणो क्वी खबर नी आणि च त साफ़ च बल मंहगाई भौत बढ़ गे। सैत च बाड्रा बि बुलणु ह्वावो कि मनमोहन सिंह जी मंहगाई रुकणम नाकामयाब छन।
याने कि मंहगाई अमीर -गरीब को भेद नि करदी अर सब्युं तैं एकी आंखन दिखदि।
मंहगाई बड़ी विचित्र असलियत च अर या निरदयी मंहगाई अर्थ शास्त्र्युं तैं बि फेल कौर दींदि । पैल अर्थ शास्त्री बुल्दा छा कि मंहगाई डिमांड अर सप्लाई (मांग -पूर्ति ) पर निर्भर करदि। जब भारत मा प्याजौ उत्पादन मा केवल 7 प्रतिशत की कमी आयी पण प्याज का दाम 600 प्रतिशत बढिन त अर्थ शास्त्र्युंन पुराणि अर्थ शास्त्र की किताब -डिग्री जळै देन अर अब हरेक बड़ु अर्थ शास्त्री दुबर PhD करणो बान कृषि मंत्री शरद पवार से अनुदान मांगणु च। कृषि मंत्री बुलणा छन कि कृषि पर PhD कराणै जुमेवारी कृषि मंत्रालय की नी च बलकणम रक्षा मंत्रालय या विदेश मंत्रालयै च।
मंहगाई एक इन चीज च ज्वा छैं च पण दिख्यांदि नी च। मंहगाई महसूस करे जांद। मंहगाई का चिन्ह हूँदन जन कि पैल खिसाउंद पैसा लेक हम थैला या बुर्या भौरिक अनाज लेक आंद छा अब थैला भौरिक रुप्या लिजांदा अर कीसा भौरिक अनाज लौंदा।
मंहगाई महसूस जरुर हूंद पण हरेक तैं मंहगाई महसूस नि हूंदि। जनता तैं अर विरोधी दल तैं मंहगाई महसूस हूंदि पण योजना आयोग अर सरकारी राजनीतिक दल तैं मंहगाई महसूस नि हूंदि। सरकारी राजनीतिक दल बुलद बल विकास वृद्धि की असली निसाणी मंहगाई च। ऊंक हिसाब से मंहगाई बढ़ी माने विकासन हद पार करी आल।
मंहगाई एक भरम च। जब हम सिक्का मंदिरम चढांदां त सिक्का बड़ो लगुद पण जनि वै सिक्का तैं दुकानिम लिजांदा त वी सिक्का छुट ह्वे जांद।
मंहगाई इन जटिल चीज (?) च कि मंहगाई संबंधी द्वी धुर विरोधी विचारकों तैं पद्म श्री मील जांद।
मंहगाई सचमुच मा निरदयी च। हमेशा मंहगाई तनखा तैं दनकांदी," ये नरभागण तनखा ! त्यार दगड्या जन कि पट्रोल की कीमत , मकान की कीमत कथगा बढ़ि गेन पण तू छे कि अबि छ्वटि कि छ्वटि याने नाटि /ड्वार्फ छे "
मंहगाई एक ज़िंदा चीज च या चुनगी दीणी रौंद पण या कैकि बि नि सुणदि । द्याखो ना ! प्रधान मंत्री रोज आश्वासन दीन्दन बल मंहगाई पर जल्दी ही काबू करे जाल पण या च कि रोज बेकाबू, बेलगाम , बेशरम घोड़ी तरां अग्वाड़ी ही बढ़णि रौंद।
मंहगाई कम करणो तरीकों पर हरेक देस मा अर्थशास्र्युं तैं हर साल पद्म बिभूषण जन तगमा मिल्दन पण आज तक मंहगाई तैं क्वी नि रोक साक। मँहगै पर लिखे जरुर सक्यांद पण मंहगाई से पार नि पाये सक्यांद।
मंहगाई चालाक च , चतुर च , धोखा दीणम उस्ताद च। मंहगाई का हरेक कार्य कठोर , करुड़ , क्रूर मर्द का छन पण मंहगाई अफु तैं जनानी बतांदी अर हम बि मंहगाई की भकलौण मा ऐक मंहगाई तैं स्त्री लिंग मा जगा दींदा !
Copyright@ Bhishma Kukreti 8 /11/2013
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