चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती
(s =आधी अ = अ , क , का , की , आदि )
(s =आधी अ = अ , क , का , की , आदि )
स्थान आम पुंगड़ , एक हऴया हौळ लगाणु च। "रा रा ! अरे अन्वैक .... अबि तीन मौक पुंगड़ बाण .... ले ले … बौड़ जा …बौड़ जा ।
पुंगड़ मथि एक आम रस्ता मा तीन आदिम अर एक बुडड़ि लाठि टेकिक कुकड़ि हिटणि।
तौळ बिटेन हऴया धै लगैक - क्या हे भाना काका ! आज सबि इन जाणा छंवां जन बुल्यां कै खौळ -म्याळा मा जाणा छंवां ! अर हे भुभना दादि कख छे यीं उमर मा रक् रक कौरिक हिटणी। क्या अफिक छे कुंडम फुकेणि जाणि।
बुडड़ि -चुप रै तू फेडु। कुंडम जालि त तेरि ब्वे जालि ज्वा में से उमर मा बड़ी च।
हऴया- हे काका ! दौड़ कखाकि ?
हऴया- हे काका ! दौड़ कखाकि ?
भाना - अरे उ आज पार गां राजेन्द्रs पांच सालौ नौनु नीलामी च त हम सबि नीलामि दिखणौ जाणा छंवां। पोरु साल हमर मुंडीतम बरजात छे त दादी गिंदी म्याळा अर बिखोति कौथिक नि जै साक त हमन स्वाच ददि तैं नीलामी इ दिखाये जावु।
हऴया ( बळद खुलद , खुलद ) - हैं ये क्षेत्र मा नीलामी हूणि च अर कै हराम का बच्चान मीमा नि ब्वाल?
हऴया ( बळद खुलद , खुलद ) - हैं ये क्षेत्र मा नीलामी हूणि च अर कै हराम का बच्चान मीमा नि ब्वाल?
भाना - हैं ! सरा अडगै (क्षेत्र ) मा फैलीं च अर त्यार गांवक लोग बि नीलामी दिखणौ आणा छन ।
हऴया-ल्या तुम एक सोड़ तमाखु खावो . सरा क्षेत्र मा मीम ही तुम तैं हुक्का तमाखु पीणो मीलल। मी बि तुमर इ दगड़ आन्दु !
हऴया-ल्या तुम एक सोड़ तमाखु खावो . सरा क्षेत्र मा मीम ही तुम तैं हुक्का तमाखु पीणो मीलल। मी बि तुमर इ दगड़ आन्दु !
एक हैंक मनिख - ह्यां हे हऴया भैजि ! तू नीलामी दिखणो ऐलि त बल्दुं क्या ह्वाल ? कखि स्यूं ! बाघ … ?
हऴया- अरे बल्द खुड़ -खुड़ अफिक सीधा सनिम /गौशलाम चलि जाला। बच्चों नीलामी रोज रोज थुका दिखणो मिल्दि
(हऴया बल्द खोलिक , हौळ -ज्यू ऊनि सीं पर रण दींदु अर बळदुं तैं रस्ता लगैक बुल्दु - जा हाँ सीधा छनिम जैन हां ! )
हऴया- हे काका ! कथगा लोग स्कुल्या नौनु नीलामी दिखणा आणा होला ?
हऴया- अरे बल्द खुड़ -खुड़ अफिक सीधा सनिम /गौशलाम चलि जाला। बच्चों नीलामी रोज रोज थुका दिखणो मिल्दि
(हऴया बल्द खोलिक , हौळ -ज्यू ऊनि सीं पर रण दींदु अर बळदुं तैं रस्ता लगैक बुल्दु - जा हाँ सीधा छनिम जैन हां ! )
हऴया- हे काका ! कथगा लोग स्कुल्या नौनु नीलामी दिखणा आणा होला ?
भाना - पोरु साल पल्ली अडगैं (क्षेत्र ) मा नीलामी ह्वे छे त सौएक लोग नीलामी दिखणा ऐ छा। हमर अडगैं (क्षेत्र ) मा पैल बार स्कुल्या नौनु नीलामी हूणि च त चार पट्टीयुं से कम से कम डेढ़ सौ लोग त आला ही।
हऴया- त यांक मतबल च बजार लगल ?
हऴया- त यांक मतबल च बजार लगल ?
परमा - हाँ ! दुकानदार अपण दूकान लेकि आला।
हऴया- चाउ -माउ -जलेबी बि ? शराब बि बिचे जालि ?
हऴया- चाउ -माउ -जलेबी बि ? शराब बि बिचे जालि ?
परमा - हाँ सबि कुछुं दूकान लगलि भै।
हऴया- ठीक च हे भाना काका पांच सौ रुप्या देदी। जरा कुछ शराबै बोतल खरीद लींदु। मी त्यार पुंगड़ बाणो भ्वाळ इ आदु
हऴया- ठीक च हे भाना काका पांच सौ रुप्या देदी। जरा कुछ शराबै बोतल खरीद लींदु। मी त्यार पुंगड़ बाणो भ्वाळ इ आदु
(भाना खुसी -खुसी हऴया तैं पांच सौ रुप्या दींदो )
सूत्रधार - हाँ तो आपन बि पुछण कि या स्कुल्या नौनु नीलामी क्या च ? चूंकि गांव का गांव ख़ाली ह्वेगेन त स्कूलम द्वी मास्टर एक छात्र तैं पढ़ाणा छन मतबल बौगाणा छन। अर अब गां का गरीब से गरीब परिवार बि अपण बच्चों तैं ऋषिकेश या कोटद्वार अंग्रेजी स्कूलम भर्ती करांदु त भौत सि प्राइमरी स्कूल छात्र नि हूण से बंद ह्वे गेन। भौत सि जगा मास्टर छन अर छात्र नि छन अर मास्टर/मास्टर्यांण अपण बदली नि चांद तो वो कखि बिटेन बि एक छात्र को जुगाड़ करदो या करदी जां से स्कूल चलणि रावो। पैल नौन्याळु ब्वे -बाब मास्टरुं तैं नाळि -डड्वार दींदा छा अब मास्टर/मास्टर्यांणि नौनु -नौनि क ब्वे बाबुं तैं मावरी फीस दीन्दन . पोरु साल पल्ली पट्टी मा एक नौनि जनि पांच सालौ ह्वे त वैकि नीलामी ह्वे छे। सात स्कूलुँ से मास्टर बोलि लगाणा ऐन। बच्ची साढ़े तीन हजार प्रति महीना मा एक मास्टर्याणि नीलामी मा खरीद। बकै छै स्कूल छात्र नि हूणों कारण बंद ह्वे गेन ऊँ इस्कूलुँ मास्टर /मास्टर्याण्यूं बदली दूर ह्वे ग्यायि। जैन साढ़े तीन हजार प्रति माह मा नीलामी जीत वो मजा से अपण ड्यारम बैठिक तनखा खाणु च। क्या पूछ तुमन ? बच्ची की पढाई लिखाई को क्या ह्वाल ? कनो जख एक छात्र अर एक मास्टर ह्वालु उख पढ़ाई -लिखाई की छ्वीं लगाण एक मूर्खतापूर्ण छ्वीं ही होलि कि ना ?
ल्या ! चलो द्याखो कि एक पांच बरसौ बच्चा की नीलामी कन हूंदी। सी द्याखो ! पंचैत घर का चौक मा पांच साल का बच्चा की नीलामी हूणी च। इन लगणु च जन बुल्यां क्वी खौळ -म्याळा -कौथिग जुड्यु ह्वावो धौं। दुकान बि लगीं छन लोग रंगीन कपड़ा पैरिक कौथिग का परमानंद लीणा छन। हाँ एक जागरीन घड्यळ बि धर्युं च अर दूर दुसर क्षेत्र से औजी बि अयाँ छन। नीलामी खतम हूण पर पंडों नाच बि नचे जालो। ये ल्या दुसर मुलक से बादी बादण बि अईं छन। शराब बि बिकणि च। बुगठ्या शिकार बि बिकणि च। माहौल माँ खुसी ही खुसी च। शिक्षा की ऐसी तैसी हूणी च त खुसी मा त्यौहार त होलु ही। ये ल्या जरा नीलामी त द्याखो। प्रधान जीक देख रेख मा नीलामी हूणि च। ल्या द्याखो पांच साल का बच्चा की नीलामी शुरू ह्वे गयाइ। बीस स्कूल से मास्टर अयाँ छन। याने बीस स्कुलुँम एक बि छात्र नि छन। अब जु मास्टर/मास्टर्याणि नीलामी जीतल बस वोही स्कुल आबाद रालो बकै उनीस स्कूल छात्र नि हूणो कारण बंद ह्वे जाल। ल्या द्याखो नीलामी का अभिनव , आनंददायक दृश्य -
ग्राम प्रधान - बच्चा का खाण पीण को इंतजाम की जुमेवारी बि शिक्षक या शिक्षिका की ही होली। दिवळि -बग्वळि मा एक मैना बोनस बि दीण पोड़ल। साल भरक पैसा एडवांस मा बच्चा का बाप ले ल्यालो। पांच हजार रुपया प्रति माह से बोली शुरू होलि।
एक शिक्षिका-छै हजार
हैंक शिक्षिका - सात हजार
एक मास्टर -साढ़े सात हजार
……
……
एक मास्टर नरेंद्र -बारा हजार पांच सौ रूप्या !
कुछ देर बाद ग्राम प्रधान - नरेंद्र मास्टरन साढ़े बारा हजार प्रति माह की बोलि लगै याल। साढ़े बारा हजार रुपया प्रति माह एक ……। साढ़े बारा हजार द्वी ……।
सुमति मास्टर्याण - साढ़े बारा हजार रुपया प्रति माह अर द्वी बोतल थ्री ऐक्स रम प्रति माह अलग से दगड़म इकै व्हिस्की की बोतल रखड़ी , दिवळि , होळि मा।
बच्चा का बाप - बस बस ! नीलामी बंद कारो। म्यार बच्चा सुमति मास्टर्याणि क स्कूलम हि जालु।
प्रधान - ठीक च बच्चा सुमति मास्टर्याणि क स्कूलम हि जालु। यदि सुमति मास्टर्याणि तीन दिनम साल भर का एडवांस दे द्याली त बच्चा सुमति मास्टर्याणि क स्कूलम हि जालु। अर यदि तीन दिनम सुमिति पैसा नि भौरली त बच्चा नरेंद्र मास्टरक स्कूलम भर्ती ह्वालो।
सुमति मास्टर्याण - एक लाख पचास हजार रुपया अबि ले ल्यावो। (अपण पति तैं धै लगैक ) लावो तौं पैसा अर छै थ्री ऐक्स रम की बोतल बि बच्चा क बुबा जी तै अबि सौंप द्यावो।
सुमति मास्टर्याण - एक लाख पचास हजार रुपया अबि ले ल्यावो। (अपण पति तैं धै लगैक ) लावो तौं पैसा अर छै थ्री ऐक्स रम की बोतल बि बच्चा क बुबा जी तै अबि सौंप द्यावो।
नरेंद्र मास्टर - यह बईमानी है। एक शिक्षिका शराब की बोतल से नीलामी जितणी च जब कि नीलामी से पैल शराब की शर्त नि छे।
प्रधान -नरेंद्र सूण ! अपण परिवारौ झगड़ा इकम नि ला। सुमति मास्टर्याण की !
जनता - जय हो !
प्रधान -सुमति मास्टर्याण की!
जनता -जय हो ! जय हो !
सूत्रधार - चलो अब जरा कौथिग का मजा लिए जावो !
Copyright@ Bhishma Kukreti 12 /11/2013
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