चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती
(s =आधी अ = अ , क , का , की , आदि )
(s =आधी अ = अ , क , का , की , आदि )
जब हम छुट छया त हमर कंदूडुंद तेल जन कुछ शब्द भौरि भौरि डाळे गेन बल राजाशाही से बढ़िया लोकशाही हूंद।
पण मै लगद यु भ्रम च। राजकरणी का नियम सासत्व छन। राजकरणी अपण कथगा बि रूप बदल द्यावो , चाहे राजा राज करे चाहे जनप्रतिनिथि शासनाधीस ह्वावो , सबि जगा , हरेक समौ राजकरणी का छल -कपट इकजनि हूंद।
अब अचकाल सूचना माध्यमो आण से राजकरणी का कर्णाधारों नया नया कुकर्मी करतूत हर पल समिण आणा छन ।
पण राजनैतिक नेताओं का बयानो अर कर्मों से पाप अर पुण्य की पूरी परिभाषा ही बदल गेन । पैल चोरी-जारी पाप छौ पण आज चोरी -जारी पाप बि ह्वे सकद अर महापुण्य बि ह्वे सकद।
आपकु विरोधी दल गोरुक पींडु खाव त पाप पण आप अफु गोरु घास खाओ त वो पुण्यकर्म ह्वे जांद। पाप -पुण्य की परिभाषा ही बदले गे।
शब्दकोश आज बेकार ह्वे गेन। डिक्सनरी का क्वी मोल इ नि रै गे। भारतीय जनता पार्टी कुण कॉंग्रेस वंशवाद त परिवारवाद च पण अकाली दल , शिव सेना , बीजू जनता दल को वंशवाद प्रजातंत्र तैं बचाणो बान महान औषधि छन।
ब्याळि तक नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड भाजपा क दगड़ छे त भाजापा एक महान धर्मनिरपेक्ष पार्टी छे। जैबरि बिटेन जनता दल यूनाइटेड कु भाजापा से पलाबन्द खतम ह्वे तो नीतेश कुमार ऐंड कम्पनी वाळु कुण भाजपा खुन्कार , कुटिल , कातिल नॉन सेक्युलर पार्टी ह्वे गे। नीतीश कुमार ऐंड कम्पनीन अवसरवाद, सत्ता बान झूट -फरेबों की परिभाषा ही बदल दे।
जैबर तलक भाजापा नीतिस कुमार की सरकार मा छे त सरकार कर्मठ छे, विकासवादी छे , जन आकांक्षाओं तै पूरी करदि छे पण इना भाजपा नीतेश से बिगऴयाइ , अलग ह्वाइ कि भाजपा वाळुकुण नीतेश सरकार लुंज , नाकाबिल , जनविरोधी ह्वे गे। भाजापा वाळुन प्रशासनिक कर्मठता की परिभाषा ही बदल दे।
कोयला घोटाला की बात हूंदी त कॉंग्रेस बुल्दी बल न्यायालय तैं अपण काम करण द्यावो पण नरेंद्र मोदी का बारा मा बयान दीन्दन कि नरेंद्र मोदी तैं इस्तीफा दीण चयेंद। कॉंग्रेसन अभियोग , अभियुक्त ,अभियोगी की सम्पूर्ण जमी जमाई परिभाषा ही खतम कौर दे।
दिल्ली मा बलात्कार की घटना हूंद त भाजापा वाळु कुण बलात्कार की घटना शीला दीक्षित की नामकामयाबी ह्वे जांद पण मध्य प्रदेश का बलात्कार एक सामाजिक विसंगति का प्रतिफल ह्वे जान्दन। एक बलात्कार लौ ऐंड ऑर्डर से उपज्युं बलात्कार अर दुसर बलात्कार सामजिक बिसंगति से उपज्युं बलात्कार। भाजापान लौ ऐंड ऑर्डर की डेफिनेशन ही बदल दे।
भाजपा वाळु कुण जय ललिता का भ्रस्टाचार तो कॉंग्रेस की वक्रदृष्टि का फल च पण भाजापा वाळु कुण डीमके वाळु भ्रस्टाचार बल एक जघन्य अपराध च। भाजपा वाळुन करप्सन की डेफिनेशन ही करप्ट करि दे।
पैल जब भाजापा या कॉंग्रेस पर स्टिंग ऑपरेसन से क्वी अभियोग लगद छौ त केजरीवाल की महत्तवाकांक्षा रूपी आम आदमी पार्टी अभियोगी से तुरंत इस्तीफा की मांग करदि छे। पण अपण स्टिंग ऑपरेसन तैं दुसर दल की साजिस बतैक स्टिंग ऑपरेसन तैइ खारिज कौर दींदन। दूसरौ पाप पाप अर अपण पाप पुण्य ! दूसरौ गुण अवगुण अर अपण अवगुण सदगुण !
तहलका समाचार समूह अभियोग्युं तै अभियोग साबित हूंण से पैलि तुरंत फांसी पर लटकाणो मांग करद छौ (खासकर भाजापा संबंधी केस )। . पण जब तहलका समाचार समूह का तेजपाल यौन शोषण केस को अभियोगी पाये गए तो तहलका समूह की मुखिया शोमा चौधरी न्यायिक प्रक्रिया , संवैधानिक प्रक्रिया , नागरिक का अपण अधिकार की बात करण मा लगि गे। अफु तैं पाक -साफ़ की प्रतिनिधि बताण वाळि शोमा चौधरीन दोगलापन ,दुत्तोपन , दुत्तीकरम की परिभाषा ही बदल दे। दुसरो कर्म पाप अर अपण बीभत्स दुस्कर्म भी पुण्य !
अब पाप अर पुण्य मा क्वी फरक , भेद , अंतर ही खतम ह्वे ग्यायि ।
अब त पाप पुण्य को मापदंड ही नि रे गे। पता ही नि लगणु कि पाप -पुण्य को असली मापदंड क्या च ? Copyright@ Bhishma Kukreti 23/11/2013
[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी के जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के पृथक वादी मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण वाले के भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य;सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य ; अन्धविश्वास पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य श्रृंखला जारी ...]
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