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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Tuesday, November 5, 2013

दिवाली भारतम अर असली जश्न चीनम

  चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती 
     
(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )

जी हाँ !  जब कि  बग्वाळ - दिवळि-इगास भारत कु  त्यौहार च अर अचकाल चीनी लोग बि दिवळि- बग्वळि जश्न मनांदन।  
अब बग्वाळ जनि आणो हूंद त लोगुं तैं याद आंद बल सफै बि क्वी चीज होंद ज्वा बग्वाळ से पैल हूण जरुरी च।   बग्वाळ नि  ह्वावो त हिंन्दुओं तैं पता इ नि चल्दु बल जीवन मा सफै बि आवश्यक च।   फिर लोग बाग़ सरा सरी झाड़ू पुत्या लीणो बजार जांदन अर चीनी झाडु -पुत्या खरीदिक  कूण्या कूण्या  करदन। अब जब सामान्य झाडु  अर मेकैनिकल ब्वान जन कि वैक्यूम क्लीनर , मेकैनिकल माउस क्लीनर उद्यम  पर चीन मा निर्मित झाडुंन झाड़ू लगै याल तो  भारतम दिवळि- बग्वळि बगतै साफ़ सफै से चीनम ख़ुशी का माहौल फैलण लाजमी च ।  भारतम जथगा जादा  सफै ह्वावो उथगा जोर से चीनम जिया (प्रकाश ) फ़ैल जांद अर जाहो जलाल (वैभव ) का माहौल पैदा ह्वे जांद । भारत की एक एक  धूल की कण की सफाइ से हरेक चीनी पुलकित हूंद।  भारतम सफै से चीनक ग्रॉस प्रोफिट मा इजाफा ह्वाल त  चीन्यून   पुऴयाण इ च कि ना  ?
 अब जब सफै पूरी ह्वै जावो त जेबाइश अर जीनत (सजावट ) का सामान बि आणि चयेंद।  अर मुम्बई का लोहार चाल मार्केट , अहमदाबाद का गांधी रोड मार्केट , दिल्ली को खान मार्किट जख  घौरक साजो -सजावट मिल्दो वो अब चीनी मार्किट का नाम से जाणे जान्दन।  इन मा जब हरेक भारतीय की  देळि से लेकि बाथरूम तक  सजावट का हरेक सामान चीनी ह्वावो तो भारतक  जश्ने चरागाँ (दीपावली ) त्योहार से हरेक चीनी नागरिक  उत्सव, जलसा  मनाल कि ना ? भारत माँ दीपावली मनाणो जनि भारतीय  दिवतौं मूर्ति लांदन उनी उना चीनी लोग अपण ड्यारम भाग्य का तीन दिवतौं 'फू , लुक अर साउ' का मूर्ति थरपी दींदन।  जब जम्बूद्वीप का जश्ने चरागाँ (दीपावली ) से चीन्यूं जेब भर्यालि त चीन्यूं द्वारा   भाग्य दिबता '  फू , लुक अर साउ' की मूर्ति थर्पिक जश्न मनाण जायज च कि ना ? 
अब जब बग्वाळ - दिवळि-इगास मनाण त मा लक्ष्मी , गणेश आदि दिबतौं मूर्ति पूजाs ठौ मा लगाण जरूरी ह्वैइ जांद , इना जनि  भारतीय दिबतौं मूर्ति भारतीयों ड्यार आंदन  उना चीनी लोग बि भारतीय दिबतौं पूजा शुरू  करी दीन्दन।  अब जब हरेक मेड इन चाइना की  लक्ष्मी मूर्ति से चीन्यूं तैं लाभ प्राप्ति ह्वाल त इन मा  हरेक चीनी लक्ष्मी भक्त  ह्वैइ जाल कि ना ? 
अब धनतेरस अर चौदसौ कुण टीवी , फ्रिज , ऑडियो , कंप्यूटर, घरेलू व रसोई उपकरण आदि चीज खरीदि  ड्यार लाण हमकुण  शगुन बात च।  हम यूं उपकररणु तैं घौर लांदा अर उना चीनी लोग खुसी मारा विजां तरां का पटाका फुड़ण  मिसे जांदन , फुलझड़ी जळाण मिसे जांदन , हम से जादा खुस चीनी लोग  हूंदन कि भारत मा टीवी , फ्रिज , ऑडियो , कंप्यूटर, घरेलू व रसोई उपकरणु  की खरीदी बढ़ गे।  अर हरेक चीनी समृद्धि  कु देवता 'लू स्टार' की पूजा मा मगन ह्वे जांद 
इना हम बग्वाळ - दिवळि-इगास मनाणोs लाइटिंग करदां अर उना चीनी लोग धन देवता 'चाइ शेन Cai Shen ' की पूजा तयारी मा लग जान्दन।  हिंदुस्तान मा जथगा जादा लाइटिंग उथगा जोरुं से चीनम समृद्धि दिवता की 'चाइ शेन ' की पूजा हूंद ।
अचकाल हमर ड्यार छुट मुट चीज चीन से आण मिसे गेन त चीनी लोगुन हमर खरीदी पर खुस त होणि च। 
जु देस जन भारत अपण देसो माटु /माइन्स बिचण तै प्रगति मानो , अपण धरती की विक्री तैं आर्थिक उदारवाद मानल; अंवेषण , निर्माण पर ध्यान नि द्यालु , बिचौलियापन तै इकॉनोमिक रिफॉर्म मानल त वै देसम द्यु -करूड़ी बि आयात करण पोड़ल अर जब चीन से हमारो आयात निर्यात से कई गुणा जादा होलु त चीन्यूनं हमर खरीदी से खुस हूणी च।   
 हिन्दुस्तानन अन्वेषण -निर्माण तैं तिलांजलि देकि बिचौलियापन तैं आर्थिक उन्नति को आधार समजि याल तो हूणि च कि त्यौहार हमारा अर असली जश्न चीनम। 

Copyright@ Bhishma Kukreti  5 /11/2013 



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