चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती
(s =आधी अ = अ , क , का , की , आदि )
(s =आधी अ = अ , क , का , की , आदि )
अजकाल लोगुं, जनता , विचारकुं , लिख्वारुं पर एक बुरु सौरण्या (छुवाछूत ) रोग लग्युं च कि हरेक बरड़ाणु रौंद बल उत्तराखंड बणणो साल बाद बि बिकास नि ह्वे। पण सकारात्मक दृष्टि से दिखे जावो त उत्तराखंड मा भौत विकास ह्वे।
क्वी दिन इन नि जांदु कि उत्तराखंड वासिन्दा या प्रवासी विकास नि रटद ह्वावो। राज्य स्तर प्रसिद्ध एक गुप्त रोगी क्लिनिक को सर्वे अनुसार जख 1999 मा एक उत्तराखंडी दिन मा औसतन द्वी दैं विकास -विकास शब्द कु जाप करद छौ उख सन 2013 मा दिन मा एक उत्तराखंडी औसतन चार दैं किरांद (दर्द से चिल्लाना ) ,"विकासै नै परिभाषा क्या च ? कखम च विकास ? कैकु विकास ? क्यांक विकास ?"। याने विकास जाप मा द्वी सौ प्रतिशत की वृद्धि ह्वे। विकास जाप मा वृद्धि एक सकारात्मक विकास की निसाणि च। सर्वे को अनुमान बथान्दु बल सन 2015 -2016 मा उत्तराखंड मा इथगा विकास ह्वे जालो कि लोगुन बुलण मिसे जाण ," बस अब हम तैं नि चयाणु यु विकास !"
उत्तराखंड राज्य़ बणणो बाद हमारा नेतृत्वन भविष्य तैं ध्यान रैखिक योजना बणैन , ग्लोबलाइजेशन मा अग्वाड़ी रौणै खातिर इन स्तिथि पैदा करिन कि पहाड़ों से मूवमेंट ऑफ पीपल फ्रॉम वन प्लेस टु अदर प्लेस (प्रवासीकरण ) मा अच्छी खासी वृद्धि ह्वे। जख ग्लोबलाइजेशन योजना का तहत पहाड़ों से प्रतेक गां बिटेन , प्रति तीन मैना मा सात लोगुन पहाड़ छ्वाड़ त उथगा ही संख्या मा पूरबी भारत का प्रावास्यूंन पहाड़ मा प्रवेश कार। जग प्रसिद्ध इंटरनेसनल ग्लोबलाइजेशन रेटिंग कम्पनीक हिसाब से यो ट्रेंड /वृति क्षेत्रीय विकास का वास्ता एक आदर्श स्थिति च। जनसंख्या समीकरण मा अधिक अंतर नि आण से पहाडुं भविष्य उज्वल च। उत्तराखंड निर्यात मा बि एक प्रसिद्ध प्रदेश माने जांद। उत्तराखंड युवाओं निर्यात करद अर विजय बहुगुणा , साकेत बहुगुणा सरीखा नेताओं आयात करदु। एक नेता दस लाख युवाओं बरोबर त ह्वालि कि ना ?
भारत का हिमालय मा बड़ी समस्या जंगल कट्याणै च अर नया जंगल नि आण से भारत मा पर्यावरण समस्या पैदा ह्वे गे छे। किन्तु उत्तराखंड राज्य निर्माण का बाद उत्तराखंड का राजनीतिक नेतृत्व अर चुस्त प्रशासन का बदौलत पहाडुं मा कृषि सफाचट रूप से बंद ही ह्वे गे जां से कृषि खेत अब जंगळ मा तब्दील ह्वे गेन। पर्यावरण की दृष्टि से ख़ेतुं जंगळम बदलण एक सकारात्मक कार्य च। नेसनल फोरेस्ट कमिसनन उत्तराखंड का भूतपूर्व कृषि मंत्र्युं तैं पद्म विभूषण अर मुख्यमंत्र्युं तैं नोबल पुरुष्कार दीणै अनुमोदन कर्युं च। उत्तराखंड मा उत्तराखंड बणणो बाद पहाडुं मा लैंटीना घास मा ज्वा घनघोर वृद्धि ह्वाइ वांसे प्रसन्न ह्वेक इंटरनेसनल लैंटीना प्लांट लवर्स असोसिएसन ये साल उत्तराखंड का हरेक भूतपूर्व कृषि मंत्री , वन मंत्री तैं 'लैंटीना टाइगर ' अवार्ड द्यालो।
वन प्राणी संरक्षण खासकर गूणी -बांदर -सुंगर संरक्षण का मामला मा उत्तराखंड बणणो उपरान्त गूणी -बांदर -सुंगरुं जनसंख्या मा आशातीत वृद्धि ह्वे तो हरेक देस का अंतराष्ट्रीय वन संरक्षण संस्थान उत्तराखंड सरकार तै सर्टिफिकेट प्रदान करणो बान वन प्राणी बचाओ संस्थानु अधिकारी रोज दिल्ली आणा छन त विदेशी सम्मान दाताओं की तकलीफ दूर करणो वास्ता उत्तराखंड का मंत्री अर अधिकार्युंन दिल्ली मा अपण कार्यालय स्थापित करि आलीन।
शिक्षा स्तर मा बि पहाडुं मा आशानुकूल वृद्धि ह्वे। जख सन 1998 मा पहाडुं मा साठ प्रतिशत छात्र -छात्राएं नकल कौरिक पास हूंद छा अब शत प्रतिशत छात्र -छात्राएं नकल कौरिक पास हूणा छन। उत्तरप्रदेश सरकार अब छात्र -छात्राओं द्वारा नकल से पास हूणों का मामलामा उत्तराखंड से पैथर ह्वे गे। परसि यीं खुसी मनाणो बान उत्तराखंड का शिक्षा अधिकार्युंन दिल्ली मा एक पार्टी सार्टी धार। अपुष्ट समाचार बताणा छन कि नौ बजे रात पार्टी शुरू ह्वे अर सुबेर शराब की कमी हूण से भौत सा अधिकारी पूरी तरह से टुण्ड नि ह्वे सकिन।
राज्य प्राप्ति बाद प्रत्येक उत्तराखंड सरकार नई तकनीक , न्यू स्किल डेवलपमेंट का मामला मा बि संवेदनशील राइ। यही कारण च कि अब उत्तराखंड मा चोरी -चपाटी -जन विशिष्ठ तकनीक आधारित उद्यम बढ़िया ढंग से फलणा छन -फुलणा छन।
सरकारी कर्मचार्युं संबंधित ट्रांसफर इंडस्ट्री बि अब संगठित रूप से चलणी च जो साबित करद कि यदि उत्तराखंड्यूं तैं मौक़ा दिए जावो तो वो कै बि उद्योग मा क्रान्ति लै सकदन।
भ्रस्टाचार का मामला मा अबि बि उत्तराखंड एक पिछड़ा राज्य च। जख भारतीय भ्रस्टाचार सूचांक मा 94 वां स्थान च उख उत्तराखंड मा भ्रस्टाचार सूचांक 93. 7 च। उत्तराखंड का राजनीतिक नेतृत्व अर प्रशासन की पूरी कोशिस च कि भ्रस्टाचार का मामला मा राज्य जल्दी ही यथास्थान प्राप्त कौर ल्याल।
यद्यपि सरकार का पूरो प्रयत्न छौ कि हरेक गां मा शराब की ऑथराइज्ड दुकान खुले जावन किंतु अबि तक प्रत्येक पट्टी मा एकि दुकान खुलि सकिन यां से जनता मा भारी रोष च। पण नेता, प्रशासन अर सामाजिक कार्यकर्ता यीं दिशा मा कार्यरत छन अर अगली पंचवर्षीय योजना मा हरेक गां मा एक परमिट (शराब ) की दुकान खुल जालि।
रेल ट्रांसपोर्ट का मामला मा बि जरूर विकास ह्वैइ तबि त गढ़वाऴयुंन अपण लोकसभा सदस्य सतपाल महाराज तैं 'रेल पुरुष ' नाम दे। बिहार ये मामला मा पिछड्यूं प्रदेश च। बिहार से इथगा रेल मंत्री आणो बाद बि बिहार्युंन कै तै बि रेल पुरुष नि ब्वाल पण उत्तराखंड्यूंन सतपाल महाराज तैं रेल पुरुष ब्वाल। याने उत्तराखंड मा रेल ट्रांस्पोर्टो विकास अवश्य ही ह्वे च।
NGO क संख्या अर खर्चा मा आशातीत वृद्धि हूणी च।
Copyright@ Bhishma Kukreti 11 /11/2013
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