चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती
(s =आधी अ = अ , क , का , की , आदि )
(s =आधी अ = अ , क , का , की , आदि )
सूत्रधार - भरथरी उज्जैन देशौ महान राजा छौ। जैक रणिवास मा सहतर से अधिक राणी छे। पण भरथरीक प्रेम राणी पिंगला से जरा बिंडी इ छौ। एक दिन वै तैं एक साधुन अमर कीर्ति पाणौ फल दे , भरथरीन वो फल अपण प्रेमी तैं दे , प्रेमिन वो फल अपण प्रेमिका एक वैश्या तै दें अर वीं गणिकान वो फल अपण कृपासिंधु विक्रमादित्य तैं दे दे। राजा भरथरी तैं या बात पता लग तो वो प्रयाश्चित स्वरुप सन्यासी ह्वे गे। एक दिन राजा भरथरी भिक्षा मांगणौ रानी पिंगला मा ऐ। अलग अलग क्षेत्रों मा लोकगाथाउं भरथरी -पिंगला संवाद अलग अलग ढंग से गाये जांद। पण यु संवाद इन बि त ह्वे सकुद छौ। सुणो अर द्याखो भरथरी -पिंगला संवाद!
भरथरी -हे माता पिंगला भिक्षा दे दे ।
पिंगला -वो हो ! द्याखो ! दुनिया का महान ढोंगी मर्द आज मँगत्या भेस मा भीख मांगणु च. बोल पुरुषार्थ की भिक्षा द्यूँ या अनाज की भिक्षा ?
पिंगला -वो हो ! द्याखो ! दुनिया का महान ढोंगी मर्द आज मँगत्या भेस मा भीख मांगणु च. बोल पुरुषार्थ की भिक्षा द्यूँ या अनाज की भिक्षा ?
भरथरी - माते ! मानव तै कुटिल शबद शोभा नि दींदन
पिंगला -अच्छा ! हे कपटी मरद ! जब तुम्हारो सन्यासी हूण पर हम सहतर राणी रांड -विधवा जीवन यापन करणा छंवां तो वो सभ्य मानव की पहचान च है ?
भरथरी -यो सौब पाप कर्मों फल च माते। कर्मफल तो भुगण ही पड़दन।
पिंगला -हाँ कर्मफल या पाप तो तुम्हारो छौ पण हम सहतर स्त्री तुम्हरो पाप कर्मो फल भुगतान करणो मजबूर किलै करे गेवां ?
भरथरी -ये तो संसार का संसारी जाळ मा फंस्युं समाज से पूछ जैन यो सामजिक नियम बणयां छन।
पिंगला -अर भगोड़ो के सरताज ! तुम तै क्या पूछे जावो ?
भरथरी -मि बताइ सकुद कि ये भव संसार तैं कनै पार करे जावो अर परलोक प्राप्ति साधन बताइ सकुद !
पिंगला -हे कर्तव्य बिमुख्युं सम्राट ! हम सहतर राणियुं समस्या परलोक नी च यो ही लोक च।
भरथरी -यांक उत्तर मीम नी च !
पिंगला -तो फिर तुमन मी पर बेवजह शक किलै कार ?
भरथरी -मीन कीर्ति पाणो फल त्वे तैं दे छौ अर तीन वो एक परपुरुष तै दे दे !
पिंगला -तो इखमा साबित कख हूंद कि वो मेरो प्रेमी छौ। हमर आपस मा मधुर संबंध अवश्य छा पण प्रेम तो नि छौ। तुम मर्द अफु त निष्ठावान नि रौंदा पण स्त्रियों से सौ प्रतिशत निष्ठा की ख्वावीश करदां। अर हे शंकित मर्द ! तुमन बगैर जाँच्या परख्यां सन्यास को निर्णय ले ल्याइ। हे निरदयी मर्द! विवाहित ह्वेक , सहतर जनान्युं पति ह्वेक बि अपणो आप संन्यास लीणो निर्णय लीण एक पुरुषत्वहीन को ही काम ह्वे सकुद।
भरथरी -पिंगला राणी ! अपुरुष की उपाधि ठीक नी च !
पिंगला -हाँ इन पुरुष तैं त अपुरुष ना किमपुरुष की उपाधि ही ठीक लगद। पुरुष जब चाओ जैक दगड़ चाओ वैक दगड़ गैरमुनासिब संबंध बणै सकुद अर फिर वुं संबंधो तैं तोड़िक भजोड़ा बण सकुद। यि भजोड़ा मर्द मर्द ना बलकण मा केवल पुरुषत्वहीन या केवल किमपुरुष ही ह्वे सकुद।
भरथरी -पिंगला मी इक अशोभनीय शब्द सुणणो नि अयूं छौ।
पिंगला -वाह मर्दों तै आयना दिखाओ तो क्रोध अर शब्द अशोभनीय ह्वे जांदन। जो पुरुष अपण पाप प्रयाश्चित का खातिर अपण पौरुषीय जुमेवारी से भागो वो या तो पुरुषत्वहीन च या किमपुरुष च . वो सन्यासी नी च वो नपुंषक च , नामर्द च। अर तुम पुरुषोंन एक पुरुषत्वहीन विश्वामित्र तैं ब्रह्मर्षि की उपाधि बि दे जैन महर्षि पद पाणो खातिर अपण बेटि शकुंतला छोड़ी, जैन अपण मानवीय उत्तरदायित्व नि निभाई ।
भरथरी -मि अब एक क्षण बि इक नि ठहर सकुद।
पिंगला -पुरुषत्वहीन तैं पुरुषत्वहीन ब्वालो तो वो इनि बहाना दींदु।
पिंगला -अच्छा ! हे कपटी मरद ! जब तुम्हारो सन्यासी हूण पर हम सहतर राणी रांड -विधवा जीवन यापन करणा छंवां तो वो सभ्य मानव की पहचान च है ?
भरथरी -यो सौब पाप कर्मों फल च माते। कर्मफल तो भुगण ही पड़दन।
पिंगला -हाँ कर्मफल या पाप तो तुम्हारो छौ पण हम सहतर स्त्री तुम्हरो पाप कर्मो फल भुगतान करणो मजबूर किलै करे गेवां ?
भरथरी -ये तो संसार का संसारी जाळ मा फंस्युं समाज से पूछ जैन यो सामजिक नियम बणयां छन।
पिंगला -अर भगोड़ो के सरताज ! तुम तै क्या पूछे जावो ?
भरथरी -मि बताइ सकुद कि ये भव संसार तैं कनै पार करे जावो अर परलोक प्राप्ति साधन बताइ सकुद !
पिंगला -हे कर्तव्य बिमुख्युं सम्राट ! हम सहतर राणियुं समस्या परलोक नी च यो ही लोक च।
भरथरी -यांक उत्तर मीम नी च !
पिंगला -तो फिर तुमन मी पर बेवजह शक किलै कार ?
भरथरी -मीन कीर्ति पाणो फल त्वे तैं दे छौ अर तीन वो एक परपुरुष तै दे दे !
पिंगला -तो इखमा साबित कख हूंद कि वो मेरो प्रेमी छौ। हमर आपस मा मधुर संबंध अवश्य छा पण प्रेम तो नि छौ। तुम मर्द अफु त निष्ठावान नि रौंदा पण स्त्रियों से सौ प्रतिशत निष्ठा की ख्वावीश करदां। अर हे शंकित मर्द ! तुमन बगैर जाँच्या परख्यां सन्यास को निर्णय ले ल्याइ। हे निरदयी मर्द! विवाहित ह्वेक , सहतर जनान्युं पति ह्वेक बि अपणो आप संन्यास लीणो निर्णय लीण एक पुरुषत्वहीन को ही काम ह्वे सकुद।
भरथरी -पिंगला राणी ! अपुरुष की उपाधि ठीक नी च !
पिंगला -हाँ इन पुरुष तैं त अपुरुष ना किमपुरुष की उपाधि ही ठीक लगद। पुरुष जब चाओ जैक दगड़ चाओ वैक दगड़ गैरमुनासिब संबंध बणै सकुद अर फिर वुं संबंधो तैं तोड़िक भजोड़ा बण सकुद। यि भजोड़ा मर्द मर्द ना बलकण मा केवल पुरुषत्वहीन या केवल किमपुरुष ही ह्वे सकुद।
भरथरी -पिंगला मी इक अशोभनीय शब्द सुणणो नि अयूं छौ।
पिंगला -वाह मर्दों तै आयना दिखाओ तो क्रोध अर शब्द अशोभनीय ह्वे जांदन। जो पुरुष अपण पाप प्रयाश्चित का खातिर अपण पौरुषीय जुमेवारी से भागो वो या तो पुरुषत्वहीन च या किमपुरुष च . वो सन्यासी नी च वो नपुंषक च , नामर्द च। अर तुम पुरुषोंन एक पुरुषत्वहीन विश्वामित्र तैं ब्रह्मर्षि की उपाधि बि दे जैन महर्षि पद पाणो खातिर अपण बेटि शकुंतला छोड़ी, जैन अपण मानवीय उत्तरदायित्व नि निभाई ।
भरथरी -मि अब एक क्षण बि इक नि ठहर सकुद।
पिंगला -पुरुषत्वहीन तैं पुरुषत्वहीन ब्वालो तो वो इनि बहाना दींदु।
सूत्रधार -अब अचकाल एक समाचार रोज सुण्याणम आणो च कि तहलका पत्रिका का मुख्य सम्पादक तरुण तेजपालn अपणि कनिष्ठ पत्रकारिण से द्वी दै छेड़ छाड़ कार। अर फिर प्रयाश्चित स्वरुप अफिक छै मैना संन्यास ले ल्याइ। क्या तहलका पत्रिका का तरुण तेजपाल अर वैकि पत्नी का मध्य संवाद नि ह्वे हवालु ? अवश्य ह्वे होलु अर ह्वे सकुद च द्वी पति -पत्नी मध्य इन संवाद बि हे ह्वे होलु ' जरा सूणो अर द्याखो।
टीवी समाचार - तहलका पत्रिका की कनिष्ठ स्त्री पत्रकार ने पत्रिका के मुख्य सम्पादक तरुण तेजपाल पर दो बार शारीरिक छेड़खानी का आरोप लगाया और तरुण तेजपाल ने प्रायश्चित स्वरुप पत्रिका से छह महीनो के लिए सन्यास की घोषणा कर दी है।
मिसेज तरुण तेजपाल (अट्टाहास करद करद )- वाह ! डियर तरुण !
तरुण तेजपाल - इख मेरि इज्जत ख़तम हूणि च अर तू इथगा जोरुं से हंसणि छे ?
मिसेज तरुण तेजपाल- हां हां ! याद च एक पार्टी मा मि एक मित्र का दगड़ घुल मीलिक छ्वीं लगाणु छौ अर डियर तरुण तीन पार्टी ही मा बबाल खड़ो कर दे छौ अर ड्यारम तीन म्यार दगड़ जु बरताव कार वो संबळिक आज बि मि तैं रूण आण बिसे जांद।
मिसेज तरुण तेजपाल- हां हां ! याद च एक पार्टी मा मि एक मित्र का दगड़ घुल मीलिक छ्वीं लगाणु छौ अर डियर तरुण तीन पार्टी ही मा बबाल खड़ो कर दे छौ अर ड्यारम तीन म्यार दगड़ जु बरताव कार वो संबळिक आज बि मि तैं रूण आण बिसे जांद।
तरुण तेजपाल-हाँ पण मि सहन नि कौर सकुद कि मेरी प्रिया कै हैंकाक ....
मिसेज तरुण तेजपाल-हा ! हा ! मर्द चांदो कि पत्नी पर एकाअधिकार रावो किन्तु अफु अपणी बेटि सहेली दगड़ शारीरिक संबंध बणाण मा क्वी बि शरम ल्याज ना हैं ?
तरुण तेजपाल-अरे क्षणिक भावनाओं को ज्वार भाटा मा इन ह्वे गे। निथर …
मिसेज तरुण तेजपाल-हे राजनीति अर समाज मा स्वछता को धड्वे, ओजस्वी , प्रखर पत्रकार ! एक बात बतावो यदि यही आरोप मै पर लगदा तो तुम्हारि क्या प्रतिक्रिया हूंदी ?
तरुण तेजपाल-उं ! उं …
मिसेज तरुण तेजपाल-हाँ ! हाँ ! तुम जबाब ही क्या दे सकदवां ? मर्द स्त्री से एकनिष्ठा ही चांदो अर अफु जख चाओ उज्याड़ खैक ऐ जावो। मर्दों तैं पत्नी से एकनिष्ठा की शत प्रतिशत चाहत हूंदी ।
तरुण तेजपाल-उं ! उं …
मिसेज तरुण तेजपाल-हा ! हा ! मर्द चांदो कि पत्नी पर एकाअधिकार रावो किन्तु अफु अपणी बेटि सहेली दगड़ शारीरिक संबंध बणाण मा क्वी बि शरम ल्याज ना हैं ?
तरुण तेजपाल-अरे क्षणिक भावनाओं को ज्वार भाटा मा इन ह्वे गे। निथर …
मिसेज तरुण तेजपाल-हे राजनीति अर समाज मा स्वछता को धड्वे, ओजस्वी , प्रखर पत्रकार ! एक बात बतावो यदि यही आरोप मै पर लगदा तो तुम्हारि क्या प्रतिक्रिया हूंदी ?
तरुण तेजपाल-उं ! उं …
मिसेज तरुण तेजपाल-हाँ ! हाँ ! तुम जबाब ही क्या दे सकदवां ? मर्द स्त्री से एकनिष्ठा ही चांदो अर अफु जख चाओ उज्याड़ खैक ऐ जावो। मर्दों तैं पत्नी से एकनिष्ठा की शत प्रतिशत चाहत हूंदी ।
तरुण तेजपाल-उं ! उं …
सूत्रधार - मिसेज तरुण तेजपाल क्वी राणी पिंगला त छ ना जो अपण पति तै नामर्द, नपुंषक या पुरुषत्वहीन बोलि द्यावो । हां आप ही फैसला कारो कि जु सम्पादक हारुँ गुनाहों तैं त उजागर करण म बहुत ही माहिर च अर अफु इन बेहयाई , बेशर्मी को गुनाह कारो तो वो मर्द , मर्द च या नामर्द च , नपुंषक च या पुरुषत्वहीन च ?
Copyright@ Bhishma Kukreti 26/11/2013
यह लेख सर्वथा काल्पनिक है।
[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी के जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के पृथक वादी मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण वाले के भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य;सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य ; अन्धविश्वास पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य श्रृंखला जारी ...]
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