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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Tuesday, December 3, 2013

ब्यौ काजुं मा हम क्यांक मजा लींदा ?

 चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती 

     
(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )
ब्यौ काज , न्यूत , जीमण -जामण आदि मा हम लोग खुस हूंदा , आनंद लींदवां , मजा लुटदां।  तुम बतावो तो सै मजा लींद छां कि ना ? 
पर जरा टक लगैक , ध्यान लगैक स्वाचो त सै कि इन जगा पर हम मजा क्यांक लींदा ? क्यां से हम तैं सबसे जादा मजा आंद ?
तुम या मि शहरूं मा कैक ब्यावक न्यूत मा जांदवा त सबसे मिलदवां।  मिलदा छा कि ना ? पर क्या हम तैं कै तैं मीलिक मजा आंद ?
नै हम तै मजा तब आंद जब हम बुलदां बल यार मजा त गांवक न्यूत मा आंद छौ।  परसाद की सपडांग मा जु मजा छौ उ इख बुफे पार्टी मा कख च?
फिर हैंक न्यूतेर हुंगारी पूजिक हां  मा हां मिलैक बुलद - हां यार जु मजा माळु पत्तों पत्तळ चाटण  मा आंद छौ वू यूं प्लास्टिकौ प्लेटुं माँ कख ह्वे सकद। 
अब तिसर चुप किलै रावो वो बि हुंगारी पुजद अर व्हिस्की की चुस्की लगांद लगाँद बुलद बल पर यार अब त गाउँ हालत भौत बुरी ह्वे गे . बगैर दारु क्वी काम इ नि करद। सर्यूळ  भात  पकाणो तबि आंद जब वैक ड्यार चार टैमो आठ बोतळ पौंच जांदन। 
दुसर अपण दारु पंचों पैग खतम करदो अर बुल्दो बल अरे फिर उख ब्यौ काजुं मा दारु पेक जु घपला , जु दंगऴयाट हूंद नि ब्वालो।  अब त हमर गां मा ये दारु वजै से ब्यौ घौरम हूण ई बंद ह्वे गेन।  उख गां मा लोग बाग़ तुमरि दारु पींदन अर तुमि तैं गाळि दीन्दन। 
अब द्याखो जरा यीं न्यूत पार्टी मा अफु पैग पर पैग लगाणा छन अर तुलना करणा छन कि गां मा जीमण मा गांवक लोग दारु पींदन। 
इख  न्यूत पार्टी क टेबल की बनि बनि   भोज्य पदार्थों तैं चखणा छन अर तुलना करणा छन कि पैल गाँव मा न्यूत भोज मा जादा मजा आंद छौ। 
असल मा हम जीमण माँ याने पार्टी मा आज को  भोजन से मजा नि लींदा अपितु भूतकाल से तुलना करिक , पास्ट से कम्पेयर करिक ही जीमण याने पार्टी का मजा लींदा।  हम तैं मजा आज से नि आंद।  हम वर्तमान से आनंदित नि हूंदा बलकणम जब तलक वर्तमान की तुलना भूतकाल से नि करला त हम मजा लेइ नि सकदा। हमर आनंद मा तुलना एक आवश्यक मसाला हूंद । जन बगैर मसाला का भोजन मा मजा नि आंद उनी बगैर कंपैरिजन नामक मसाला का हम प्लेजर नि ले सकदा।  प्लेजर का वास्ता तुलना करण हमकुण एक  आवश्यक इंग्रेडिएंट च। 
शादी हॉल ठंडो अर सुविधाजनक ह्वावो तो हम बुलदां बल, "हॉल एयरकंडीशंड च।  निथर परसि फलणो ब्यौ मा ! ये मेरि ब्वे गरमिन अर फगोसन मोरि गे  छा। " आज की ठंड से यदि हम पर्स्याकि गरमी से तुलना नि करला तो हम तैं ख़ुशी प्राप्त ह्वै इ नि सकेंद।  खुसी का वास्ता हम तुलना करदां।  
बर -ब्योलि देखिक हम बुलदां , " जोड़ि त ठीक च पर तै बरौ कुण मेरी साडो भाइक नौनि ही ठीक छे।  टिपड़ा नि मील।  निथर आज …। " इखम बि तुलना ही महत्वपूर्ण च। 
पौण देखिक हम बुलदां बल ," पौण त ठीकि छन पण वो स्टैंडर्ड नी  च जु मेरि स्याळि द्युरो ब्यौ मा छौ !" तुलना से ही हम आनद ले सकदां। 
हमर हरेक खुसी मा तुलना हूंद। 
जरा श्मशान यात्रा का हाल द्याखो त सै उखम बि हम तुलना करिक दुःख का आनंद  या दुःख का स्वाद लींदा। मरण मा बि हम तुलना करदां। 
ओहो या उमर थ्वड़ा  छे  मुरणै ! चलो अपण उमर भोगिक मोर ! भौत भोग बिचारिन ! 
यार श्मशान घाट बिंडी दूर ह्वे गयाइ।  जथगा लोगुं उम्मीद छे उथगा नि ऐन।  क्या बात दिवंगत का ऑफिस वाळ नि ऐन ? क्या दिवंगत की ऑफिस वाळ से नि बणदी रै होलि ? क्या बात बीच वाळ भाइ ब्वे कुण क्रिया मा बैठणु च , जेठु भाइ क अपण ब्वे दगड़ नि बणदि रै होलि ?
यी वाक्य  क्या छन ?  सब तुलनात्मक वाक्य छन। 
हमर मजा मा तुलना महत्वपूर्ण च। 
तुलना की तराजू से हम प्रसन्न हूंदां। 
माप -तौल से हम खुश हुँदा। 
हम तै मजा तुलना से ही आंद। 
हमर प्लेजर मा कम्पैरिजन आवश्यक इंग्रेडिएंट हूंद। 
तुलण , माप तौल करण , कंपैरिजन करण ही हमर मजा च। 


Copyright@ Bhishma Kukreti  4 /12/2013 


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