उत्तराखंडी ई-पत्रिका की गतिविधियाँ ई-मेल पर

Enter your email address:

Delivered by FeedBurner

उत्तराखंडी ई-पत्रिका

उत्तराखंडी ई-पत्रिका

Wednesday, November 26, 2014

चलो जरा हंसाणो मास्टर बणे जाव !

विमर्श : भीष्म कुकरेती 

कैक ज्यु बुल्यांद बल रुवैक पढ़sये जाव , कैक ज्यु बुल्यांद बल मार बांधिक मुसलमान बणाये जाव , छात्रक ज्यु बि बुल्यांद बल मास्टर जी हंसी हंसिक   साथ पढ़ावन ! मि झूट बुलणु हों तो क्रोधी , गुस्सैल , नराजगी का प्रतीक दुर्वाशा ऋषि तैं सुमरिल्या तो आकाशवाणी होली कि भै कै तैं अड़ाण हो,  पढ़ाण  हो , धमकाण बि हो तो हंसी हंसी माँ समझावो। 
                                        हाहाकार ना  हाहा -हाहा  अध्यापन 
अच्काल जख जावो पढ़ाण , सिखाण , प्रशिक्षण , समजाण , बिंगाण , कु काम बड़ो जोरो से चलणु च अर अधिकतर हाहाकारी टेकनीक से पढ़ाणो जुगत हूणि च अर पढ़न वाळ बराखडी तो छोडो एक शब्द बि नि समझद पर थोड़ा सा ही आप हाहा-हाहा टेक्नीक अपनाओ अर फिर द्याखो गळया बळद बि कन चौकड़ी भरद धौं ! बल्द बि चूटिक हौळ नि लगांदन अपितु हंसदा शब्दों से चुपकारिक ज्यादा हौळ लगांदन।  मि झूट बुलणु हो तो कै बि हळया देवी देवगौड़ा , के सी त्यागी जन बुलणो  हळया ना  पर अछेकी हळया  तैं पूछी लेन ! यदि तुम कुकुर -बिरळ पाळदा तो भी आप तैं पता चल गे होलु कि हंसी का साथ प्रशिक्षण से कुत्ता क्या शेर बि चौड़ सीख जांद। 
तो आप हाहाहाहा अध्यापक बणो।   
                            जमाना जितणो कला 
एक चीनी कविता का भाव इन छन -
यदि तुम मुल मुल मुस्करांदा तो तुम एक साल अग्वाड़ी को हि सोच सकदा !
यदि तुम खत खत हंसदा तो तुम दस साल अग्वाड़ी को बारा मा हि सोच सकदा !
यदि तुम दूसरों तैं हंसण सिखौंदा तो तुम  सौ साल अग्वाड़िक बारा मा अवश्य सोच सकदा !
एक दैं मुल मुल मुस्कराट ब्वेक /बोइक  तुम एक दैं फसल काट सकदां !
हंसी का पेड़ लगैक तुम दस दैं फसल काटि सकदां !
दूसरों तैं हंसण - हंसाण सिखैक तुम सौ दैं फसल काटि सकदां !
  जब बि जमाना जितणो समौ आंद त जिताड़ खिलाड़ी पैल हौंस इ हौंस मा पढ़ाण वळ शिक्षक पैदा करद अर तब जमाना जितणो जांद। 
  रुंदा ह्वेक  कठण गौळ नि टपे जान्द ! कठण  गौळ टपणो कुण हंसदारी जिकुड़ी चयेंद। कृष्ण भगवानन बि रुंदी सूरत मा ना  खिल्दा -खिल्दा -हंसदा -हंसदा नाग तैं साधी छौ।  असली अध्यापक शिष्यों तैं खेल खेल मा पढ़ांद अर शिष्य बि हंसी हंसी मा कठिन से कठिन पाठ सीख जांदन।  रुंदा मास्टर पाठ रटांद किंतु खेल खेल मा पढ़ाण वळ सरलता से पाठ कु मंतव्य याद करै दींद।  
रुंदा मास्टर पुराणा मुहावरों पर टिक्युं रौंद जब कि हंसद -हंसद पढ़ाण वळु उपाध्याय नया से नया मुहावरा गढ़द।  पीटि पीटिक , रुलै रुलैक पढ़ाण वळ मास्टर नकलची शिष्य पैदा करद ,रुलै रुलैक पढ़ाण वळ मास्टर लाचार नकलच्युं फ़ौज तयार करद अर हंसी हंसी से पढ़ाणो मतबल हूंद शिष्यों मा रचनाधर्मिता पैदा करण। 
रुंदा मास्टर निरुत्साहित करद , रूखो टीचर दब्बु बणान्द किन्तु हंसी हंसी मा पढ़ाण वळ अध्यापक ऊर्जा भरद , उत्साह भरद अर जिंदगी जीणो कौंळ बतांद। जख उलार हो , जख उत्साह हो , जख हंसी -खुसी हो उखक सिख्युं मनिख हार नि सकद ! 
जमाना जितण माने हंसी हंसी मा हंसाण वळ अध्यापक पैदा करण ! 

Copyright@ Bhishma Kukreti 26/11/2014
Best of Garhwali Humor in Garhwali Language; Best of Himalayan Satire in Garhwali Language ; Best of  Uttarakhandi Wit in Garhwali Language ; Best of  North Indian Spoof in Garhwali Language ; Best of  Regional Language Lampoon in Garhwali Language; Best of  Ridicule in Garhwali Language ; Best of  Mockery in Garhwali Language; Best of  Send-up in Garhwali Language; Best of  Disdain in Garhwali Language; Best of  Hilarity in Garhwali Language; Best of  Cheerfulness in Garhwali Language;  Best of Garhwali Humor in Garhwali Language from Pauri Garhwal; Best ofHimalayan Satire in Garhwali Language from Rudraprayag Garhwal; Best ofUttarakhandi Wit in Garhwali Language from Chamoli Garhwal; Best of North Indian Spoof in Garhwali Language from Tehri Garhwal; Best of Regional Language Lampoon in Garhwali Language from Uttarkashi Garhwal; Best of Ridicule in Garhwali Language from Bhabhar Garhwal; Best of Mockery  in Garhwali Language from Lansdowne Garhwal; Best of Hilarity in Garhwali Language from Kotdwara Garhwal;Best of Cheerfulness in Garhwali Language from Haridwar;

No comments:

Post a Comment

आपका बहुत बहुत धन्यवाद
Thanks for your comments