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Monday, November 24, 2014

हरिद्वार , बिजनौर और सहारनपुर इतिहास संदर्भ में निषाद नृवंश

Negrito Race In India in context Haridwar History

                        हरिद्वार , बिजनौर और सहारनपुर इतिहास संदर्भ में निषाद नृवंश 
                           Racial Elements in Haridwar Population of Prehistoric Period -2 

                                              हरिद्वार की नृशस शाखाएं -एक ऐतिहासिक विवेचन -2 

                                       हरिद्वार का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास -भाग -11   

                                                      History of Haridwar Part  --11  

                              
                           
                                                   इतिहास विद्यार्थी ::: भीष्म कुकरेती
भारत के प्राचीनतम निवासियों का संबंध निषाद अथवा नीग्रिटो नृवंश से जोड़ा जाता है।  डा मजूमदार का डोम समुदाय भी नीग्रिटो समुदाय का अंग रहा है। निषाद जाति कृषि उत्पादक नही थे अपितु आखेटक थे। आज के अंडमान निकोबार के आदि वासियों को निषाद बंशज कहा जाता है जो पिछले 60 हजार सालों से यहां निवास करते हैं। नीग्रिटो नृवंश का अफ्रिका से भारत आगमन को महान अफ्रिका समुद्री पलायन या प्रवास नाम दिया गया है।
राजकुमार रेवती और अन्य {(2005 ) Polygeny and antiquity … , BM Evolutionary Biology 5 :26 } के अनुसार 60 प्रतिशत भारतीयों में mt DNA haplogroup M मिलता है जोकि अंडमान के सभी आदि वासी समूहों में भी मिलता है। 
महाभारत के अनुशार निषाद नृवंश का आकर नाटा , बेडोल आकृति, कोयले जैसा रंग , लाल नेत्र , काले बालों वाले होते थे। 
कॉल मुंड आदि नृवंशी मानव ने निषाद शाखा को अपने में समेट लिया किन्तु बिहार में प्राप्त एक मूर्ति व अजंता की कतिपय भृति चित्रों से पता चलता है कि कई सैकड़ों वर्ष पहले भी इस नृवंश का जड़नाश नही हुआ था। 
वर्तमान में किसी न किसी रूप में कादर (केरल ) ; इरुल (पलियन ) अंगमीनागा (आसाम ) ; बेद्दा (श्री लंका ) की आदि जातियों में निषाद जातियों की प्रतिच्छाया मिलती है। अन्थ्रोपोलिजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की सन 2010 की रिपोर्ट बताती है  कि DNA अनुशंधान से पता चलता है कि बैगा (मध्य प्रदेश ) जैसी 26 आदि वासियों में निषाद जीन मिले हैं। 
उत्तराखंड -हिमाचल के कुछ हरिजनो में पाये जाने वाले लक्षण जैसे धूमिल केश , मोटे होंठ , तथा मोटी नाक कहीं ना कहीं इस अनुमान की पुष्टि करती है कि निषाद नृवंश गढ़वाल , हिमाचल , हरिद्वार , बिजनौर , सहारनपुर में भी थी। 


     Copyright@ Bhishma Kukreti  Mumbai, India 23/11/2014 
History of Haridwar to be continued in  हरिद्वार का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास -भाग 12        

(The History of Garhwal, Kumaon, Haridwar write up is aimed for general readers) 

                                                               संदर्भ 

१- डा शिव प्रसाद डबराल , उत्तराखंड का राजनीतिक और सांस्कृतिक इतिहास भाग - 2 

( The History of Haridwar, Part of Bijnor, Partial Saharanpur  write up is aimed for general readers) 
 



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