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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Monday, November 17, 2014

चौदा जनान्युं मृत्यु पर इथगा हो हल्ला अर चौदा लाख हत्याओं पर चुप्पी ?

 गुस्सा मा : भीष्म कुकरेती 

                     अबि बिलासपुर , छत्तीसगढ़ मा एक दर्दनाक घटना घट अर सरा भारत मा उमाळ ऐ गे , भारी हो हल्ला ह्वे गे। बिलासपुर मा परिवार नियोजन सर्जरी से चौदा जनान्युं मौत से कॉंग्रेस , कम्युनिष्ट पार्टी का नेता अर ममता बनर्जी  बि आहत छन अर सबि छत्तीसगढ़ का मुख्यमंत्री व स्वास्थ्य मंत्री की बळी मांगणा छन तो छत्तीसगढ़ सरकारन ब्याला -बुगठ्याक  जगा स्वास्थ्य अधिकारी निलंबित कर देन।  जन कि हूंदी  च कि ब्यालों जगा मकड़ा ही मारे जांदन तो छत्तीसगढ़ मा स्ट्रलाइजेसन की सरा  गलती को ठीकरा मेडिकल टीम पर फोड़े गे। चौदा जनान्युं मौत  पर टीवी वाळ , अखबार वाळ इख तक कि नौबत बजाण  वाळ बि हो हल्ला करणा छन।  मानवीय पक्ष च तो मी बि छतीससगढ़ सरकार से इस्तीफा की मांग करणु छौ। 
यीं खबर सुणिक ह्यूमन राइट्स वाळ गस खैक पड्यां छन। 
टाइम्स नाउ का अरणब गोस्वामी तो यूँ चौदा जनान्युं की मौत पर गुस्सा मा इथगा चिल्लाई कि  India Today TV मा करण थापरौ कंदूड़ फूटी गेन। 
अखबारुं संपादक अर पत्रकार परिवार नियोजन योजना पर ही प्रश्न चिन्ह लगाणा छन।   
दुःख की बात च तो मी बि दुखी छौं , सोग मा छौं , गमगीन छौं
पर मि वै कॉंग्रेसी  नेता अजित जोगी से पुछ्ण चाणु छौं बल ठीक च तुम तैं यूँ चौदा जनान्युं मरण से अत्यंत , भारी दुःख ह्वे पर जोगी साब जब भारत मा तम्बाकू सेवन करण से हर साल दस बारा लाख लोगुं हत्या हूंदी तो तुमर कळयज ठप्प किलै पड़ जांद। तुम तब तम्बाकू-बीड़ी  -सिगरेट की फैक्ट्रियों पर बमबारी की मांग किलै नि करदा ? तम्बाकू उद्यम द्वारा तेरा -चौदा  लाख हत्याओं पर दुःख जताणम तुमर जीब पर ताळु किलै लग जांद भै ?
पिछ्ला सौ सालम भारत मा 100 00  00,000 लोग तम्बाकू सेवन से मरिन। 
हर साल 13500  करोड़ रुपया तम्बाकू सेवन से तम्बाकू व्यसनी दवाई -रोग निदान पर खर्चा करदन। 
मि टाइम्स नॉउ का अरणब गोस्वामी से पुछण चांदु बल उन त तू बिलासपुर मा चौदा जनान्युं मौत का  बारा मा ब्याळि (13 /11 /2014 ) टीवी माँ इथगा जोर से गिरजणि मारणु छौ कि न्यूक्लियर बम बि शर्माणा छया किन्तु तीन कबि गरजणि किलै नि मार कि हत्यारा तम्बाकू उद्यम से बारा चौदा लाख लोग हर साल मोरणा रौंदन ? तम्बाकू उद्यम का विरुद्ध तेरी जीब तैं  गुरान तड़कै दे , काटि दे , या कैन धळ धळकै दे क्या ? या त्यार मालिक जैन परिवार  तम्बाकू लॉबी का गुलाम छन ?
यी अखबार या मीडिया का बड़ा बड़ा विद्वान जब बजट पर बहस करदन तो तम्बाकू टैक्स से भारत सरकार की आय का विश्लेषण तो करदा छन किंतु इन किलै नि बुल्दन कि हर साल 13500  करोड़ रुपया तम्बाकू सेवन से तम्बाकू व्यसनी तैं दवाई -रोग निदान पर खर्चा करण पोड़द।  
मानव अधिकार का धड्वै यूं चौदा जनान्युं मोरण से  बच्चों कु अनाथ हूण , चौदा मर्दों रंडवा हूणों जायज दुःख जताणा छन किन्तु यी मानव अधिकारॉ सैं गुसैं  चुप किलै रौंदन जब यूँ  तैं WHO बतांद कि तम्बाकू सेवन से भारत मा प्रतिवर्ष बारा -चौदा लाख मर्दन अर इथगा ही अधिक लोग कथगा इ बीमार्युं से ग्रसित रौंदन।  
असल मा भारत क्या कखि बि तम्बाकू खेती सफाचट  हि बंद हूण चयेंद किन्तु सत्ता , प्रशासन अर मीडिया तो तम्बाकू लॉबी की गुलाम च , नौकर च,  सत्ता , प्रशासन अर मीडिया  तम्बाकू लॉबी की जेब मा च तो यी लोग तम्बाकू लॉबी का विरोध करी ही नि सक्दन।  तबि तो कॉंग्रेसी , भाजपाई , कम्युनस्टी या कौमनस्टी आदि छुटि मुटि मौतुं पर हो हल्ला कर सकदन किंतु तम्बाकू लॉबी का विरुद्ध बुलण मा सबकी नानी मर जाती है। 
कब भारत मा हर साल चौदा लाख लोगुं मोरण बंद ह्वाल ?


Copyright@  Bhishma Kukreti 14 /11 /2014       
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लेख की   घटनाएँ ,  स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में  कथाएँ चरित्र , स्थान केवल व्यंग्य रचने  हेतु उपयोग किये गए हैं। 

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