Best Harmless Garhwali Humor , Satire on Rahul Gandhi
राहुल गांधी जी ! मार्केटिंग तैं गाळि नि द्यावा जी !
हँसोड्या , चबोड़्या :: भीष्म कुकरेती
मि रोज रात पैल पैग पेकि मुलायम सिगौ कसम खांदु , तीन पैग बाद ए राजा क सौं घटुद अर चौथ पैग पेकि अवोळ डाळक सौंगध लींदु कि भोळ सुबेर कै बि राजनेता पर चबोड़ की चमकताळ नि लगौल। यूंन नेतौंन सुंदरण नी च, फोकट मा म्यार लिखणम टैम इ बर्बाद हूण अर उनि बि जब मेरि गढवळि अपण निशंक सरीखा नेता नि पढ़दन तो कौनसे करूणानिधि पौढ़ ल्याल ?
परसि रात बि इनि ह्वे राहुल गांधी जीन मार्केटिंग की तौहीन कार अर मीन नेहरू शताब्दी मा भाग लीण वाळ चीनी कम्युनिस्ट ,इंडियन कम्युनिष्ट अर ममता बनर्जिक सौं खैन कि राहुल गांधी पर नि लिखण , अर उनि बि हर्युं नेता पर लेखिक क्या फैदा ? मीन ब्याळि राहुल गांधी तो छवाड़ो कै मरियल मूस पर बि नि ल्याख। किन्तु जो आलोचना राहुल जीन मार्केटिंग की कौरी छे वांक शूल पीड़ा अबि तक नि गे। अब स्विलकुड्या पीड़ा तो स्वील हूण से हि शांत ह्वे सकद तो झक मारिक नेताओं पर लिखण पड़णु च।
परसि झारखंड चुनाव रैली मा राहुल जीन गुस्सा मा , रोस मा , मूसो तरां किरैक ब्वाल कि बल स्या भारतीय जनता पार्टी मार्केटिंग से जितणि च। मतबल राजीव नंदन राहुल का हिसाब से मार्केटिंग भ्रस्टाचार जन जघन्य अपराध च , मार्केटिंग पाप च , मार्केटिंग क्वी विषैली दवा च धौं !
मेरी दिग्विजय सिंग जी से दरख्वास्त च बल सोनिया नंदन राहुल जी तैं मार्केटिंग का मतबल नि पता तो इन मनिख तैं बीकॉम या बीबीए की क्लास मा भ्याजो अर मार्केटिंग को अर्थ समझाओ। बीकॉम की क्लास मा जब मास्टर प्रियंका कु भुला राहुल तैं मास्टर रटाल कि अमेरिकन मार्केटिंग असोसिएसन अनुसार मार्केटिंग एक क्रिया च , क्रियाऊं समूह च ,विधियां च जाँ से कुछ प्रोडक्ट, विचार या सेवाओं की रचना हूंद अर संचार प्रसार हूंद ; सुपर्दगी हूंद; संट्वरा -बंट्वरा हूंद जो कि ग्राहक का वास्ता , सहयोग्युं वास्ता , चाकरों वास्ता बड़ा कीमती हूंद।
चिदंबरम जी! जरा इंदिरा खानदान का चिराग -इ-जश्न तैं सिखाओ कि मार्केटिंग विरोध की चीज नी च, मार्केटिंग क्वी गुनाह नी च अर ना ही मार्केटिंग क्वी राजस्थान का वास्ता कीर्ति पी चिदंबरम कु अपनायुं भ्रष्ट तरीका च।
लोकसभा मा कॉंग्रेसी नेता खड़गे जी नेहरू खानदान की नाक राहुल गांधी तैं मार्केटिंग शास्त्री जय बेयर की मार्केटिंग परिभाषा सुणावो कि मार्केटिंग लोकसभा मा उफसोरिक सीण नी च अपितु मार्केटिंग एक संदेश च , एक कार्य च जु संदेश का कारण बणद।
मार्केटिंग असल मा संदेश हूंद अर मार्केटिंग करण हरेक वनस्पति , हरेक जंतु अर हरेक मनुष्य का जैविक गुण च। तो जैविक गुण की आलोचना करण कखक न्याय -निसाब च भै ?
जब मोतीलाल नेहरू जीका झड़नाती राहुल जी मचासीन ह्वेक भाषण दींदन तो वो बि मार्केटिंग च , संदेश दीणो तरीका च , राहुल जी जब दस आदिमुं बीच बुलणा रौंदन वो बि मार्केटिंग च तो मेरी समज मा नि आई कि अमित शाह , नरेंद्र मोदी या भाजपान क्या गुनाह कार ?
हाँ ओवर या अंडर कम्युनिकेसन, कम्युनिकेसन टूल गलत मने जै सक्यांद पर कम्युनिकेसन तैं रावण , खरदूसण , खलनायक घोषित करण तो क्वी होशियार नेता का गुण नि ह्वे सकद।
असल मा कॉंग्रेस याने राहुल जीक थिंक टैंक मा खोट च , राजीव गांधीक थिंक टैंक मा बि बिंडी दुंळ छौ अर यु थिंक टैंक जनता लैक संदेसवाहक शब्द हि नि खुजे सकणा छन। राहुल जी तैं समजण चयेंद कि पत्रकारों लैक भाषा , शब्द अर विषय जरूरी नी च कि वा ही भाषा जनता लैक हो ! पत्रकारूंन मुलायम सिंग को 75 वीं वर्षगांठ को झलसा की बड़ी काट कार किन्तु जनता याने मुलायम सिंग कु टारगेट आउडेन्स का वास्ता यु झलसा बड़ो तर्कसंगत अर गर्व को जलसा छौ। यदि राहुल जीक थिंक टैंक बि राहुल गांधी तैं पत्रकारुं का शब्द बुलणो द्याला तो अवश्यमेव राहुल गांधीका कचरा , फजीहत ही होली !
मार्केटिंग शब्द आम जनता कु समज मा आण लैक शब्द बि नी च तो फिर भाजपा ब्वालो नरेंद्र मोदी पर मार्केटिंग का तीर चलैक क्या फायदा ?
क्वी गढ़वाली व्यंग्यकार मेरी काट कारल कि चूँकि भीष्म कुकरेती इंटरनेट मा रोज एक व्यंग्य पोस्ट करद इलै भीष्म कुकरेती गलत च तो इखमा भीष्मौ त क्वी नुक्सान नि होलु बलकण माँ आलोचक की ही भद्द पिट जालो।
इनि राहुल गांधी द्वारा स्वच्छता अभियान की आलोचना से बि नरेंद्र मोदीक नुक्सान नि हूण वाळ। ये मामला मा क्षेत्रीय पार्टयूं नेता अधिक होसियार छन जु नरेंद्र मोदी या कॉंग्रेस का विरुद्ध या समर्थन मा ऊँ शब्दों तैं इस्तेमाल करदन जु ऊँका वोटरूं तैं पसंद आंदन। उत्तर प्रदेश का रामपुर वासी आजम खान ये मामला मा चतुर राजनीतिज्ञ च।
खैर अंत मा फिर से मि राहुल जी से अनुरोध करद कि नरेंद्र मोदी , अमित शाह या शिब्बू सोरेन तैं जथगा थिंचणाइ तुम जोर से थींचो , थंचकाओ, छपोड़ो किन्तु मार्केटिंग , विपणन कला तैं गाळि नि द्यावो। मार्केटिंग एक कला च , एक फिलोसोफी च अर मार्केटिंग रागस नी च जांक आलोचना करे जाव !
खैर अंत मा फिर से मि राहुल जी से अनुरोध करद कि नरेंद्र मोदी , अमित शाह या शिब्बू सोरेन तैं जथगा थिंचणाइ तुम जोर से थींचो , थंचकाओ, छपोड़ो किन्तु मार्केटिंग , विपणन कला तैं गाळि नि द्यावो। मार्केटिंग एक कला च , एक फिलोसोफी च अर मार्केटिंग रागस नी च जांक आलोचना करे जाव !
Copyright@ Bhishma Kukreti 24 /11 /2014
*लेख की घटनाएँ , स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में कथाएँ , चरित्र , स्थान केवल व्यंग्य रचने हेतु उपयोग किये गए हैं।
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